जेल में बंद समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान की एक चिट्ठी ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में खलबली मचा दी है. इस चिट्ठी में उन्होंने विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया पर निशाना साधा है.उन्होंने लिखा है कि विपक्षी दलों ने जितनी सक्रियता संभल में हुई हिंसा पर दिखाई, उतनी अगर रामपुर में दिखाई होती तो संभल की घटना नहीं होती. राजनीतिक विश्वेषकों का कहना है कि इस चिट्ठी के जरिए आजम खान ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव को ही निशाने पर लिया है. इस चिट्ठी के सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में नए समीकरण बनने की उम्मीद लगाई जा रही है.
संदेश में क्या आरोप लगाए हैं
आजम खान के इस पत्र को जारी किया है रामपुर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अजय सागर ने. उन्होंने एनडीटीवी को बताया कि पिछले हफ्ते उन्होंने जेल में आजम खान से मुलाकात की थी. इस दौरान ही उन्होंने मुझे यह संदेश जारी करने को दिया था.सागर भी आजम खान की बातों से सहमति जताते हैं.आजम खान ने इस संदेश में कहा है,''रामपुर में हुए जुल्म और बर्बादी का मुद्दा संसद में उतनी ही मजबूती से उठाया जाना चाहिए, जितना संभल का मुद्दा उठाया गया है. रामपुर के सफल तजुर्बे के बाद ही संभल में आक्रमण हुआ है. रामपुर के जुल्म और बर्बादी पर इंडिया गठबंधन खामोशी तमाशाई बना रहा और मुस्लिम लीडरशिप को मिटाने का काम करता रहा. उन्होंने कहा है कि दिखावे की हमदर्दी के लिए देश की दूसरी आबादी को बर्बाद नहीं किया जा सकता.''
आजम खान ने कहा है, ''यदि मुसलमानों के वोट का कोई अर्थ ही नहीं है और उनके वोट का अधिकार उनकी नस्लकुशी करा रहा है, तो उन्हें विचार करने पर मजबूर होना पड़ेगा कि उनके वोट के अधिकार को रहना चाहिए या नहीं. बेसहारा, अलग-थलग और अकेला खाक व खून में नहाया हुआ अधिकार, इबादतगाहों को विवादित बनाकर समाप्त करना इत्यादि, केवल साजिश करने वालों, षड्यंत्र रचने वालों और दिखावे के हमदर्दी के लिए देश की दूसरी आबादी को बर्बाद और नेस्तोंनाबूद नहीं किया जा सकता.''
आजम खान की जेल में मेल मुलाकात की राजनीति'
रामपुर में आजम खान पर दर्जनों मामले दर्ज कराए गए हैं. इन दिनों वो सीतापुर की जेल में बंद हैं. इसके बाद भी उनके इस संदेश ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में खलबली पैदा कर दी है. यह पहली बार नहीं है, जब आजम खान ने खुलकर नाराजगी जताई है. लोकसभा चुनाव से पहले भी आजम खान ने मुरादाबाद और रामपुर सीट पर अपने लोगों को उम्मीदवार न बनाए जाने से नाराज बताए गए थे. इसके बाद अखिलेश यादव ने सीतापुर जाकर जेल में आजम खान से मुलाकात की थी. हालांकि अखिलेश ने इसे शिष्टाचार मुलाकात बताया था. लेकिन जानकारों को कहना था कि आजम खान की नाराजगी को दूर करने के लिए ही अखिलेश ने मुलाकात की थी. अखिलेश ने उपचुनाव के दौरान रामपुर में आजम खान के परिजनों से मुलाकात की थी. इसके बाद अखिलेश यादव ने कहा था कि समाजवादी पार्टी आजम खान के परिवार के साथ है.
दरअसल आजम खान का पूरा परिवार ही कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहा है. उनकी पत्नी तंजीम फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम अभी कुछ समय पहले ही जेल से छूटे हैं. इस समय आजम खान के परिवार का कोई भी सदस्य न तो लोकसभा में है न विधानसभा में. उनकी परंपरागत रामपुर और स्वार विधानसभा सीट भी एनडीए ने उपचुनाव में हथिया ली है. रामपुर में बीजेपी ने तो स्वार में अपना दल का विधायक चुना गया है. उनके परिवार और उनके समर्थकों की पुरानी शिकायत रही है कि जिस हालात का सामना आजम खान और उनका परिवार कर रहा है, उसमें अखिलेश यादव ने कभी दिल से साथ नहीं दिया. उनका यह भी आरोप है कि समाजवादी पार्टी ने आजम खान के मुद्दे पर न तो सड़क पर संघर्ष किया और न ही सदन में. आजम खान जब पहली बार 27 महीने जेल में रहे तो अखिलेश यादव उनसे मिलने जेल में नहीं पहुंचे.इससे आजम खान और उनके समर्थकों में नाराजगी और निराशा है.
किसकी नजर है आजम खान पर
आजम खान परिवार और समर्थकों की नाराजगी पर कई दूसरे दलों की नजर है. नवंबर में उपचुनाव के दौरान आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के संस्थापक और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने 11 नवंबर को हरदोई जेल में बंद आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम से मुलाकात की थी. इसके बाद उन्होंने 21 नवंबर को सीतापुर जेल में आजम खान से मुलाकात की. इन दोनों अवसरों पर उन्होंने आजम खान के परिवार के साथ एकजुटता दिखाई थी. चंद्रशेखर आजाद कहते रहे हैं कि वो हमेशा आजम खान के साथ खड़ा रहेंगे और सड़क से लेकर संसद तक उनकी लड़ाई लड़ते रहेंगे.चंद्रशेखर के अलावा एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी आजम खान का मुद्दा उठाते रहते हैं. इसके बहाने वो समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव पर निशाना साधते हैं. आजम खान के संदेश को अब इन मुलाकातों से जोड़कर देखा जा रहा है.
उत्तर प्रदेश की राजनीति के जानकार बताते हैं कि इससे प्रदेश में दलित-मुस्लिम गठजोड़ के रूप में एक नया मोर्चा खड़ा हो सकता है. आजम खान ने अपने संदेश में कहा भी है कि मुसलमानों पर इंडिया गठबंधन को अपनी स्थिति स्पष्ट करना होगी, अन्यथा मुस्लिमों के हालात और भविष्य पर विचार करने के लिए उन्हें मजबूर होना पड़ेगा.दरअसल यह उनका मुसलमानों की राजनीति की एक नई पहल करने का संकेत है. उत्तर प्रदेश में मु्स्लिम वोट बैंक पर सपा के साथ-साथ कांग्रेस और बसपा की भी नजर है. चंद्रशेखर आजाद इसमें सेंध लगाना चाहते हैं. माना जाता है कि मुस्लिमों का बसपा से मोहभंग हो चुका है.वहीं सहारनपुर में इमराम मसूद को मिली जीत के बाद से कांग्रेस के हौंसले बुलंद हैं. उसकी नजर मुसलमान वोट बैंक पर है.कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने भी जेल में आजम खान से मुलाकात की कोशिश की थी. लेकिन किसी कारणवण यह मुलाकात संभव नहीं हो पाई थी. उत्तर प्रदेश में आमतौर पर मुसलमान समाजवादी पार्टी के वोट बैंक माने जाते हैं. इस साल हुए लोकसभा चुनाव में सपा के टिकट पर चार मुसलमान सांसद चुने गए हैं.
उत्तर प्रदेश में दलित-मुस्लिम गठजोड़ की कोशिशें
उत्तर प्रदेश की राजनीति में चंद्रशेखर आजाद तेजी से सक्रिय हो रहे हैं, खासकर नगीना में मिली जीत के बाद से. जानकारों का कहना है कि नगीना में उन्हें जिताने में मुस्लिम वोटों का बड़ा हाथ है. इसके बाद से ही उन्हें मुसलमान वोट बैंक को अपने साथ मिलाने की इच्छा बलवती हुई है.वो दलित-मुस्लिम गठजोड़ के सहारे राजनीति को फतह करना चाहते हैं. कुछ ऐसी ही कोशिश हैदराबाद के सांसद और एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी कर रहे हैं. वो देश में मुसलमानों के पैरोकार बनकर उभरने की कोशिश कर रहे हैं. उनकी भी राजनीति के एक सिरे पर दलित हैं. ओवैसी उत्तर प्रदेश में पैर जमाने की कोशिश कई चुनावों से कर रहे हैं. लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली है. वैसे में इन दोनों नेताओं के साथ आजम खान जुड़ जाते हैं तो यह तिकड़ी उत्तर प्रदेश की राजनीति में कोई बड़ा कारनामा कर सकती है. आजम खान का संदेश कहां तक फैलता है और क्या गुल खिलाता है, इसका पता आने वाले समय में ही चलेगा.
आजम खान 1980 में पहली बार रामपुर से विधायक चुने गए थे. वो अब तक कुल 10 बार विधायक बन चुके हैं. वो जब 1996 में विधानसभा चुनाव हारे तो सपा ने उन्हें राज्यसभा भेजा था. प्रदेश में सपा की सरकारों में आजम खान हमेशा नंबर दो की हैसियत से कैबिनेट में रहे. वो रामपुर से लोकसभा का चुनाव भी जीत चुके हैं. उनकी पत्नी तजीन फातिमा भी राज्यसभा सदस्य रहीं हैं.वहीं बेटे अब्दुल्ला आजम स्वार सीट से विधायक रहे हैं.
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