हिमाचल के पहले डिप्टी सीएम बने मुकेश अग्निहोत्री, यहां जानिए कैसा रहा उनका सियासी सफ़र?

मुकेश अग्निहोत्री का जन्म पंजाब के संगरूर में 9 अक्तूबर 1962 को डीपीआरओ रहे ओंकार चंद शर्मा के घर हुआ, उनकी प्रारंभिक शिक्षा ऊना जिले में ही हुई. मुकेश अग्निहोत्री ने गणित विषय में एमएससी की डिग्री ली. फिर बाद में पब्लिक रिलेशन विषय में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा किया और पत्रकार बन गए.

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मुकेश अग्निहोत्री ने राजनीति में सीधे ही विधायकी से कदम रखा.

पत्रकारिता से राजनीति में आए मुकेश अग्निहोत्री हिमाचल की राजनीति में पहले उपमुख्यमंत्री बन गए हैं. मुकेश अपने पिता ओंकार नाथ की राजनीतिक विरासत संभाल रहे हैं. उनके पिता भी कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं. उनकी हार के बाद मुकेश को संतोषगढ़ विस क्षेत्र से कांग्रेस ने चुनावी मैदान में उतारा था. हिमाचल-पंजाब सीमा स्थित ऊना जिले हरोली तहसील के गोंदपुर जयचंद के रहने वाले मुकेश अग्निहोत्री ने राजनीति में सीधे ही विधायकी से कदम रखा. बिना कोई पंच, प्रधान और जिसा पंचायत सदस्य का चुनाव लड़े बिना ही उन्होंने विधानसभा का चुनाव लड़ा.

मुकेश अग्निहोत्री का जन्म पंजाब के संगरूर में 9 अक्तूबर 1962 को डीपीआरओ रहे ओंकार चंद शर्मा के घर हुआ, उनकी प्रारंभिक शिक्षा ऊना जिले में ही हुई. मुकेश अग्निहोत्री ने गणित विषय में एमएससी की डिग्री ली. फिर बाद में पब्लिक रिलेशन विषय में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा किया और पत्रकार बन गए. राजनीति में आने से पहले मुकेश अग्निहोत्री शिमला और दिल्ली में पत्रकार के रूप में करीब दो दशक अपनी सेवाएं दे चुके हैं.

दिल्ली में ही पत्रकारिता करते हुए मुकेश अग्निहोत्री की कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से नजदीकियां बढ़ीं. बाद में वह पूर्व सीएम स्व. वीरभद्र सिंह के करीबियों में शुमार रहे. यहीं से उन्होंने पत्रकारिता से राजनीति में कदम रखा. हालांकि वर्ष 1993 में वीरभद्र सिंह के सीएम बनने पर मुकेश अग्निहोत्री के पिता पंडित ओंकार चंद शर्मा को हिमाचल प्रदेश एग्रो पैकजिंग विभाग का उपाध्यक्ष बनाया गया था. साल 1998 के विस चुनाव में मुकेश के पिता ओंकार शर्मा को कांग्रेस पार्टी ने संतोषगढ़ क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया, लेकिन उन्हें भाजपा प्रत्याशी पंडित जयकिशन शर्मा से हार का सामना करना पड़ा.

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इसके बाद साल 2003 के विस चुनाव में ओंकार चंद शर्मा को टिकट देने की बजाए मुकेश अग्निहोत्री को कांग्रेस पार्टी ने प्रत्याशी बनाया. मुकेश पहली बार ही चुनाव जीते और वीरभद्र सरकार में सीपीएस रहे. वर्ष 2007 में भी उन्होंने संतोषगढ़ विस क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. वर्ष 2012 में डिलिमिटेशन होने के कारण संतोषगढ़ ऊना विस क्षेत्र में चला गया. जबकि हरोली विधानसभा क्षेत्र का उदय हुआ. तीसरी दफा मुकेश ने हरोली क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीते। 2012 में वीरभद्र सरकार में उद्योग मंत्री रहे.

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साल 2017 में उन्होंने लगातार चौथी दर्ज की, लेकिन सरकार भाजपा की बनी. 2018 में मुकेश अग्निहोत्री को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया. 2022 के विस चुनाव में उन्हें पार्टी हाईकमान ने स्टार प्रचारक बनाया. लगातार पांच बार जीतने के बाद वह सीएम पद की दौड़ में शामिल हो गए, लेकिन हाईकमान ने उन्हें उपमुख्यमंत्री पद से नवाजा.

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