'चूहे की हत्या' के मामले में पुलिस ने दाखिल की चार्जशीट, अब आरोपी को हो सकती है 5 साल तक की सजा

FIR होने के बाद शव का पोस्टमार्टम कराने की बारी आई तो  जिले में चूहे के पोस्टमार्टम की सुविधा ही नहीं थी. पुलिस मामले को गंभीर नहीं ले रही थी लेकिन विकेंद्र कानूनी कार्यवाही के लिए पोस्टमार्टम कराने की जिद पर अड़े थे.

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चूहे की हत्या को लेकर हुआ केस, अब आरोपी पर लटकी सजा की तलवार (प्रतीकात्मक चित्र)
नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश के बदायूं से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां एक शख्स को चूहे को मारना इतना महंगा पड़ गया कि अब उसे इस मामले में पांच साल तक की सजा भी हो सकती है. पुलिस ने इस मामले में अपनी जांच के बाद कोर्ट में 30 पन्नों की चार्जशीट फाइल कर दी है. इस चार्जशीट को लेकर सीओ सिटी आलोक मिश्रा ने बताया कि पुलिस ने आरोप पत्र में एक एक कड़ी को जोड़ा है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट, मीडिया में जारी किए गए वीडियो, सम्बंधित अलग-अलग विभागों के जानकारों की सलाह को भी शामिल करते हुए ये आरोप पत्र तैयार किया गया है.

इस मामले को लेकर विवेचना अधिकारी राजेश यादव ने संकलित साक्ष्यों के आधार पर आरोप  पत्र में लिखा है कि मनोज धारा 11(पशुक्रूरता निवारण अधिनियम) और धारा 29 (पशु हत्या या अपाहिज करना) में आरोपित पाया गया है. आरोप पत्र को मजबूत बनाने के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट को आधार बनाया गया है जिसमें स्पष्ट किया गया है कि चूहे के फेफड़े ख़राब थे, उनमे सूजन थी, लीवर में भी इन्फेक्शन था. इसके आलावा चूहे की माइक्रोस्कोपीक जाँच में भी ये स्पष्ट किया गया था कि चूहे की मृत्यु दम घुटने से हुई है. 

गौरतलब है कि सदर कोतवाली के पनवाड़ी चौक में रहने वाले मनोज ने 25 नवंबर को एक चूहे को नालें में डूबाकर रखा था. साथ ही चूहे को पत्थर से बांध दिया था. उधर से गुजर रहे पशु प्रेमी विकेंद्र शर्मा ने चूहे को बचाने का प्रयास किया, लेकिन चूहा मर गया. इसके बाद पशु प्रेमी थाने पहुंचे और आरोपी के खिलाफ FIR लिखवा दी. FIR होने के बाद शव का पोस्टमार्टम कराने की बारी आई तो  जिले में चूहे के पोस्टमार्टम की सुविधा ही नहीं थी. पुलिस मामले को गंभीर नहीं ले रही थी लेकिन विकेंद्र कानूनी कार्यवाही के लिए पोस्टमार्टम कराने की जिद पर अड़े थे.

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इसलिए चूहे को पोस्टमार्टम के लिए बरेली IVRI सेंटर भेज गया और चूहे का पोस्टमार्टम कराया गया. इसके बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई , जिसमें कहा गया है कि चूहे का लीवर और फेफड़े पहले से खराब थे. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चूहे की मौत नाली के पानी में डूबने से नहीं हुई है. उसकी मौत दम घुटने की वजह से हुई है. वह पहले से कई बीमारियों से ग्रसित था. लिहाजा, उसका बच पाना मुश्किल था. मामले में पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन बाद में थाने से ही जमानत दे दी थी.और फिर मनोज ने पांच दिन बाद कोर्ट पहुंचकर कहा कि मैं समर्पण करने आया हूँ।कोर्ट ने मनोज को कुछ देर बाद अग्रिम जमानत भी दे दी थी।

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इन आरोपों में कितनी सजा हो सकती है

कानूनी जानकारों के अनुसार पशु क्रूरता अधिनियम के मामले में 10 रूपये से लेकर 2 हजार रूपये तक जुर्माना और तीन साल की सजा का प्रावधान है। धारा 429 के अंतर्गत पांच साल की सजा और जुर्माना दोनों का प्रावधान है. चूंकि ऐसा मामला इससे पहले प्रकाश में नहीं आया है. पशुक्रूरता के मामले तो दर्ज होते है लेकिन चूहे से सम्बंधित केस और पोस्टमार्टम पहले प्रकाश में नहीं आया है. ऐसे में कोर्ट मनोज को कितनी सजा और जुर्माना डालेगी ये एक नजीर भी बनेगी और लोगों में इसकी रोचकता भी बानी रहेगी.

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पशु क्रूरता अधिनियम का पालन होना चाहिए- विकेंद्र शर्मा  

उधर, इस मामले में पशु प्रेमी विकेंद्र शर्मा भी खुलकर सामने आ गए हैं. उनका कहना है कि चूहा चार पैर और एक पूछ वाला चौपया जीव है. हमने चूहे को मारने के लिए एफआईआर नहीं कराई है, बल्कि उसके साथ क्रूरता करने पर एफआईआर कराई है. जिन जानवरों को  काट कर बेचा जाता है, उनकी पहले ब्रेन सेंसेटिव नस काट कर मौत दी जाती है. उनके मरने के बाद शरीर के टुकड़े किए जाते हैं. इसके लिए अलग से कानून है और इसकी लाइसेंसिंग प्रक्रिया है. हम लंबे समय से पशु सेवा में लगे हैं. जब पशु क्रूरता अधिनियम बनाया गया है, तो उसका पालन भी होना चाहिए.
 

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