इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने पॉक्सो (POCSO) कानून के तहत आरोपी अतुल मिश्रा को गुरुवार को यह कहते हुए जमानत दे दी कि यह कानून किशोरों के प्रेम प्रसंग के मामलों के लिये नहीं है. आरोपी का 14 वर्ष की एक किशोरी से प्रेम प्रसंग चल रहा था और दोनों ने भागकर एक मंदिर में विवाह कर लिया था. इसके बाद करीब दो साल तक दोनों साथ रहे, लेकिन इस दौरान लड़की ने एक बच्चे को जन्म दिया. अतुल मिश्रा की जमानत अर्जी मंजूर करते हुए न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने कहा कि ऐसे मामले बढ़ रहे हैं जहां किशोर और नवयुवकों पर पॉक्सो कानून के तहत अपराध के मामले दर्ज किये जा रहे हैं, लेकिन यह बहुत चिंता का विषय है.
अदालत ने कहा कि पॉक्सो कानून बच्चों की यौन शोषण, उत्पीड़न, पोर्नोग्राफी जैसे अपराधों से रक्षा और उनके अधिकारों के संरक्षण के लिये बना है. हालांकि, बड़ी संख्या में पॉक्सो के तहत दर्ज मामलों को देखने से लगता है कि वे प्रेम प्रसंग में लिप्त किशोरों के परिवारों की शिकायत पर दर्ज कराये गये हैं. आवेदक की जमानत अर्जी मंजूर करते हुए अदालत ने कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि नाबालिग लड़की की सहमति का कानून की नजर में कोई मूल्य नहीं है, लेकिन वर्तमान परिदृश्य में जहां लड़की ने एक बच्चे को जन्म दिया है. अदालत ने कहा, ‘‘उसने अपने बयान में अपने मां-बाप के साथ जाने से मना कर दिया है और पिछले चार-पांच महीनों से प्रयागराज के खुल्दाबाद स्थित राजकीय बालगृह में बहुत अमानवीय स्थिति में अपने बच्चे के साथ रह रही है.”
अदालत ने कहा कि परिस्थितियों का समग्र रूप से आकलन करने पर पता चलता है कि घर में बच्चों की सीख का जिम्मा मां-बाप पर होता है, लेकिन यहां मां-बाप अपने बच्चों में जीवन मूल्य, जीवन के लक्ष्य तथा प्राथमिकता और परिवार की परंपरा की भावना विकसित करने में बुरी तरह विफल रहे हैं. अदालत ने कहा कि यदि ये किशोर बच्चे परिणय सूत्र में बंधने का निर्णय करते हैं और अब इस संबंध से उनके पास एक बच्चा है तो निश्चित तौर पर पॉक्सो कानून उनके रास्ते की बाधा नहीं बनेगा. अदालत ने साफ कर दिया कि यहां लड़की के साथ यौन शोषण या यौन उत्पीड़न नहीं किया गया है.