प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) आज (शनिवार, 30 अप्रैल) प्रधान न्यायाधीश एन वी रमना (CJI NV Ramana) की मौजूदगी में मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन (Joint conference of Chief Ministers and Chief Justices) के उद्घाटन सत्र में हिस्सा लेंगे. प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने एक बयान में यह जानकारी दी है. उसके मुताबिक राजधानी दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित होने वाले इस सम्मेलन को प्रधानमंत्री संबोधित भी करेंगे.
यह सम्मेलन छह साल बाद हो रहा है. इससे पहले, 2016 में यह सम्मेलन हुआ था. पीएमओ ने कहा कि 2016 से अब तक सरकार ने अवसंरचना में सुधार और ‘ई-कोर्ट्स मिशन मोड प्रोजेक्ट' के तहत अदालती प्रक्रियाओं में डिजिटल प्रौद्योगिकी का एकीकरण करने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं.
सम्मेलन न्यायपालिका के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करने का एक मंच है. अदालतों में बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए न्यायमूर्ति रमना के प्रस्ताव को सम्मेलन के एजेंडे का हिस्सा बनाया गया है.
हाईकोर्ट में 126 जजों की नियुक्ति, 54 नाम अभी भी सरकार के पास लंबित : CJI रमना
संबंधित कार्यक्रम के बारे में जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि न्यायिक रिक्तियों को भरने, लंबित मामलों, कानूनी सहायता सेवाएं और भविष्य के प्रारूप तथा ई-अदालत चरण-तीन जैसे विषय एजेंडे के शीर्ष पर रखे गए हैं. CJI रमना और केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू भी दिन भर चलने वाले कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करेंगे.
सम्मेलन के उद्घाटन के बाद विभिन्न कार्य सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिनमें मुख्यमंत्री और मुख्य न्यायाधीश एजेंडे में शामिल विषयों पर चर्चा करेंगे और आम सहमति तक पहुंचने का प्रयास करेंगे. सामान्य तौर पर इस तरह के सम्मेलन हर दो साल में होते हैं, लेकिन कुछ अपवाद भी हैं. पिछला सम्मेलन अप्रैल 2016 में आयोजित किया गया था. यह इससे पूर्व 2015 और इससे पहले 2013 में आयोजित किया गया था.
जस्टिस रमण ने सुप्रीम कोर्ट के CJI के तौर पर एक वर्ष के दौरान ऐतिहासिक निर्णय लिए
कुछ महीने पहले न्यायमूर्ति रमना ने अदालतों के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा सुनिश्चित करने के वास्ते भारतीय राष्ट्रीय न्यायिक अवसंरचना प्राधिकरण की स्थापना के लिए सरकार को एक प्रस्ताव भेजा था. प्रस्तावित संगठन भारतीय अदालत प्रणाली के लिए कार्यात्मक बुनियादी ढांचे के नियोजन, निर्माण, विकास, रख-रखाव और प्रबंधन के लिए प्रारूप तैयार करने में एक केंद्रीय निकाय के रूप में कार्य करेगा.
सरकार ने हाल ही में संसद को सूचित किया था कि प्रस्ताव राज्यों को उनकी टिप्पणियों के लिए भेजा गया है क्योंकि उच्च न्यायालयों और निचली न्यायपालिका के लिए बुनियादी ढांचे के विकास में राज्य सरकारों की प्रमुख भूमिका होती है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)