संसद न बने पराजय की बौखलाहट का मैदान... शीतकालीन सत्र से पहले पीएम मोदी की विपक्ष को नसीहत

संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले पीएम मोदी ने विपक्ष को सलाह देते हुए कहा कि शीतकाली सत्र केवल रिचुअल नहीं है, राष्ट्र को प्रगति की ओर तेज गति से ले जाने के जो प्रयास चल रहे हैं, उसमें ऊर्जा भरने का काम शीतकालीन सत्र करेगा.

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  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संसद को पराजय की बौखलाहट का मैदान नहीं, बल्कि नीति पर जोर देना चाहिए
  • PM मोदी ने विपक्ष को सलाह दी कि शीतकालीन सत्र केवल रिचुअल नहीं बल्कि देश की प्रगति में ऊर्जा भरने वाला
  • पीएम मोदी ने कहा कि संसद में ड्रामा नहीं, बल्कि डिलिवरी होनी चाहिए और सभी को अपने विचार व्यक्त करने चाहिए
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नई दिल्‍ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि संसद को पराजय की बौखलाहट का मैदान नहीं बनाना चाहिए. देश की जनता ने जो हमें जिम्मेदारी दी है जो है, उसे हमें गंभीरता ने निभाना चाहिए. जो बुरा होता है, उसमें टिप्पणी कैसे कर सकें, ताकि देश के नागरिकों का भी ज्ञानवर्धन हो ये मेहनत का काम है, लेकिन ऐसा करना चाहिए. ड्रामा करने के लिए जगह बहुत होती हैं, यहां ड्रामा नहीं डिलिवरी होनी चाहिए, जहां पराजित होकर आए हैं वहां बोलिए, जहां पराजय होना हैं वहां भी बोलिए, यहां नारे नहीं नीति पर बल होना चाहिए.  

शीतकाली सत्र केवल रिचुअल नहीं 

संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले पीएम मोदी ने विपक्ष को सलाह देते हुए कहा कि शीतकाली सत्र केवल रिचुअल नहीं है, राष्ट्र को प्रगति की ओर तेज गति से ले जाने के जो प्रयास चल रहे हैं, उसमें ऊर्जा भरने का काम शीतकालीन सत्र करेगा. भारत ने लोकतंत्र को जिया है, लोकतंत्र के उमंग और उत्साह को ऐसे प्रकट किया है, जो समय-समय पर विश्वास और मजबूत होता रहता है. गत दिनों बिहार में जो चुनाव हुए हैं, उसमें भी मतदान जो हुआ है वो लोकंतत्र की सबसे बड़ी ताकत है. माताओं और बहनों की ताकत जो बड़ा रही है, वो अपने आप में विश्वास पैदा करती है. 

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यहां ड्रामा नहीं डिलिवरी होनी चाहिए

संसद में ड्रामा करने वाले कुछ सांसदों को नसीहत देते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'ड्रामा करने के लिए जगह बहुत होती हैं, लेकिन संसद में ड्रामा नहीं डिलिवरी होनी चाहिए. जहां पराजित होकर आए हैं वहां बोलिए. जहां पराजय होना हैं, वहां भी बोलिए. यहां नारे नहीं नीति पर बल होना चाहिए. एक तरफ लोकतंत्र की मजबूती और लोकतंत्राकि संस्थाओं के भीतर मजबूती को दुनिया बहुत बारीकी से देख रही है, भारत ने सिद्ध कर दिया है कि लोकतंत्र डिलिवर करता है. जिस गति से आज भारत की आर्थिक स्थिति नई ऊंचाई को प्राप्त कर रही है, विकसित भारत की तरफ ले जाने का काम किया जा रहा है, उसमें सबकी भागीदारी होनी चाहिए.

नए सांसदों को भी बोलने का दिया जाए अवसर

मेरी ये चिंता रही है कि काफी समय से सदन में जो पहली बार चुनकर सांसद आए हैं या जो छोटी आयु के हैं, वैसे सभी दलों के सभी सांसद बहुत परेशान हैं, बहुत दुखी हैं. उन्हें अपने सामार्थ्य का परिचय कराने का अवसर नहीं मिल रहा है. क्षेत्र की समस्या के बारे में बताने का अवसर नहीं मिल रहा है, अपनी बात बताना चाहते हैं उसपर भी रोक लग रही है, कोई भी दल हों हमें किसी को भी हमारी ये नई पीढ़ी के नौजवान सांसद पहली बार आए ये सांसद को अवसर देना चाहिए. नई पीढ़ी के अनुभव से राष्ट्र को भी लाभान्वित हो. 

'राजनीति में नकारात्मकता उपयोगी हो सकती है, लेकिन...'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'राजनीति में नकारात्मकता उपयोगी हो सकती है, लेकिन अंततः राष्ट्र निर्माण के लिए सकारात्मक सोच भी होनी चाहिए. मैं आपसे अपेक्षा करता हूं कि आप नकारात्मकता को सीमित रखें और राष्ट्र निर्माण पर ध्यान केंद्रित करें. यह शीतकालीन सत्र एक और कारण से भी महत्वपूर्ण है. हमारे नए सभापति हमारे उच्च सदन को मार्गदर्शन देंगे. मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं. जीएसटी सुधारों ने देशवासियों में श्रद्धा का वातावरण बनाया है. इस सत्र में भी इस दिशा में बहुत काम होगा.'

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