प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी दो दिन की रूस यात्रा पूरी कर ऑस्ट्रिया पहुंच गए हैं. किसी भारतीय प्रधानमंत्री की 1983 के बाद पहली ऑस्ट्रिया यात्रा है.मोदी से पहले इंदिरा गांधी ने 1983 में प्रधानमंत्री के रूप में ऑस्ट्रिया गई थीं.इसके बाद ऑस्ट्रिया के चांसलर फ्रेड सिनोवाट्ज 1984 में भारत आए थे.पीएम मोदी की यात्रा के दौरान दोनों देश संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाएंगे.पीएम मोदी का ऑस्ट्रिया के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वान डेर बेलेन और चांसलर कार्ल नेहमर से बातचीत का कार्यक्रम है.
भारत और ऑस्ट्रिया के सांस्कृतिक संबंध
भारत और ऑस्ट्रिया के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान का एक समृद्ध इतिहास है.वियना विश्वविद्यालय में संस्कृत की पढ़ाई 1845 में ही शुरू हो गई थी.वहीं रवींद्रनाथ टैगोर ने 1920 के दशक में वियना की यात्रा की थी. उनकी इस यात्रा ने दोनों देशों में सांस्कृतिक और बौद्धिक संबंधों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.ऑस्ट्रिया यूरोपीय संघ का सदस्य तो है, लेकिन नैटो का हिस्सा नहीं है. उसकी तटस्थता की यह नीति द्विपक्षीय संबंधों में एक दिलचस्प आयाम जोड़ती है.
भारत ने 1953 में ऑस्ट्रिया की सोवियत संघ के साथ समझौता वार्ता कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इसी के बाद 1955 में ऑस्ट्रिया को आजादी मिली थी.भारत और ऑस्ट्रिया में राजनयिक संबंध 10 नवंबर 1949 को स्थापित हुए थे.इस तरह 2024 में दोनों देश राजनयिक संबंधों की 75वीं सालगिरह मना रहे हैं.
भारत-ऑस्ट्रिया के राजनयिक संबंध
भारत और ऑस्ट्रिया में राजनयिक संपर्क का एक लंबा इतिहास रहा है. भारत-ऑस्ट्रिया ने 1983 में संयुक्त आर्थिक आयोग की स्थापना की थी. इस आयोग ने इस्पात, निर्माण प्रौद्योगिकी, रेलवे और धातुकर्म जैसे क्षेत्रों में तकनीकी सहयोग और संयुक्त उद्यम स्थापित करने में सहयोग किया है.भारत ऑस्ट्रिया को इलेक्ट्रॉनिक सामान, कपड़ा, जूते और मशीनरी जैसे चीजों का निर्यात करता है. वहीं ऑस्ट्रिया मशीनरी, रेलवे पार्ट्स और स्टील का आयात भारत से करता है.दोनों देशों के बीच 2023 में 2.93 अरब अमेरिकी डॉलर का व्यापार हुआ था.दोनों देशों ने फरवरी 2024 में भारत-ऑस्ट्रिया स्टार्टअप ब्रिज की शुरुआत की थी. यह पहल दोनों देशों के बीच नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए की गई थी.
भारत ने 2013 में पीएसएलवी-सी20 के जरिए ऑस्ट्रिया के पहले दो उपग्रहों TUGSAT-1/BRITE और UniBRITE का प्रक्षेपण किया था.यह दोनों देशों का अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग के नए अध्याय की शुरुआत थी.
ऑस्ट्रिया में 30 हजार से अधिक भारतीय रहते हैं.ये भारतीय वहां की स्वास्थ्य सेवाओं में काम करते हैं या व्यापार करते हैं या वहां पढ़ने गए हैं. इनमें से अधिकांश पंजाब और केरल के रहने वाले हैं. ये भारतीय दोनों देशों में सास्कृतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में बड़ी भूमिका निभाते हैं.
भारतीय नेताओं का ऑस्ट्रिया दौरा
पीएम मोदी की यात्रा से पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दिसंबर 2022 में ऑस्ट्रिया की यात्रा की थी. उनकी यह यात्रा प्रधानमंत्री की यात्रा की तैयारियों के सिलसिले में थी. अपनी यात्रा में जयशंकर ने ऑस्ट्रिया के प्रमुख नेताओं से बात की थी. उनकी यात्रा के दौरान पांच समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए थे.
नवंबर 1999 में तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन ने ऑस्ट्रिया की यात्रा की थी. वहीं तत्कालीन ऑस्ट्रियाई राष्ट्रपति हेंज फिशर ने फरवरी 2005 में भारत की यात्रा पर आए थे. तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील अक्टूबर, 2011 में चार दिन की यात्रा पर ऑस्ट्रिया गई थीं.
पीएम नरेंद्र मोदी पहली बार ऑस्ट्रिया जा रहे हैं, लेकिन वह वहां जाने से पहले ऑस्ट्रिया के नेताओं से मुलाकातें कर चुके हैं. पीएम मोदी अपने पहले कार्यकाल में जून, 2017 में इंटरनेशनल इकोनामिक फोरम में हिस्सा लेने के लिए सेंट पीटर्सबर्ग गए थे.वहां उन्होंने तत्कालीन ऑस्ट्रियाई चांसलर क्रिश्चियन केर्न के साथ द्विपक्षीय बैठक की थी. अपने दूसरे कार्यकाल में पीएम मोदी अक्टूबर, 2021 में स्काटलैंड के ग्लासगो में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP-26) में भाग लेने गए थे.इससे इतर उन्होंने तत्कालीन ऑस्ट्रियाई चांसलर अलेक्जेंडर शालेनबर्ग से मुलाकात की थी.पीएम मोदी ने 26 मई, 2020 को ऑस्ट्रिया के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वान डेर बेलेन से टेलीफोन पर बातचीत की थी.
ऑस्ट्रिया यात्रा से पहले पीएम मोदी ने लोकतंत्र, स्वतंत्रता और कानून के शासन के साझा मूल्यों पर प्रकाश डाला था, जो भारत- ऑस्ट्रिया के बीच संबंधों को रेखांकित करते हैं. उन्होंने कहा,"मैं हमारे देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने और सहयोग के नए रास्ते तलाशने पर हमारी चर्चा को लेकर उत्सुक हूं."
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