"देश चलाने के लिए सहमति जरूरी, सबको साथ लेकर चलना चाहते हैं" : पीएम मोदी

18वी लोकसभा सत्र से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘श्रेष्ठ भारत’, ‘विकसित भारत’ बनाने के संकल्प के साथ आज 18वीं लोकसभा की शुरुआत हो रही है.

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सरकार चलाने के लिए बहुमत ज़रूरी है, लेकिन देश चलाने के लिए आम सहमति - पीएम मोदी
नई दिल्‍ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18वी लोकसभा के पहले सत्र से पहले सबको साथ लेकर चलने की बात कही. पीएम मोदी ने कहा कि ये गौरव और वैभव का दिन है. आजादी के बाद पहली बार, नव निर्वाचित सांसदों का शपथ ग्रहण नए संसद भवन में हो रहा है. आज के इस महत्वपूर्ण दिवस पर मैं सभी नवनिर्वाचित सांसदों का हृदय से स्वागत करता हूं, सबका अभिनंदन करता हूं और सबको अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं. साथ ही उन्‍होंने कहा कि हम सबको साथ लेकर चलना चाहते हैं. देश चलाने के लिए सहमति जरूरी है. पीएम मोदी ने कहा कि तीसरी बार देश की जनता ने हमें चुना है. हमारी नीयत, नीतियों पर मुहर लगाई है. 

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2047 तक विकसित भारत के निर्माण का लक्ष्य

18वी लोकसभा सत्र से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘श्रेष्ठ भारत', ‘विकसित भारत' बनाने के संकल्प के साथ आज 18वीं लोकसभा की शुरुआत हो रही है. संसद का ये गठन भारत के सामान्य मानवी के संकल्पों की पूर्ति का है. नए उमंग, नए उत्साह के साथ नई गति, नई ऊंचाई प्राप्त करने का ये अवसर है. 2047 तक विकसित भारत के निर्माण का लक्ष्य लेकर आज 18वीं लोकसभा का प्रारंभ हो रहा है. विश्व का सबसे बड़ा चुनाव बहुत ही शानदार तरीके से, बहुत ही गौरवमय तरीके से संपन्न होना, ये हर भारतीय के लिए गर्व की बात है. करीब 65 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने मतदान में हिस्सा लिया..


नीतियों और नीयत पर मुहर

प्रधानमंत्री मोदी ने संसद सत्र शुरू होने से पहले कहा, "अगर हमारे देश के नागरिकों ने लगातार तीसरी बार किसी सरकार पर भरोसा किया है, तो इसका मतलब है कि उन्होंने सरकार की नीतियों और नीयत पर मुहर लगाई है। मैं आप सभी के समर्थन और भरोसे के लिए आभारी हूं. सरकार चलाने के लिए बहुमत ज़रूरी है, लेकिन देश चलाने के लिए आम सहमति ज़रूरी है." 

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25 जून न भूलने वाला दिवस

25 जून का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा, "कल 25 जून हैं. जो लोग इस देश के संविधान की गरिमा से समर्पित हैं, जो लोग भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं पर निष्ठा रखते हैं, उनके लिए 25 जून न भूलने वाला दिवस है. कल 25 जून को भारत के लोकतंत्र पर जो काला धब्बा लगा था, उसके 50 वर्ष हो रहे हैं. भारत की नई पीढ़ी ये कभी नहीं भूलेगी की संविधान को पूरी तरह नकार दिया गया था, भारत को जेलखाना बना दिया गया था, लोकतंत्र को पूरी तरह दबोच दिया गया था. इमरजेंसी के ये 50 साल इस संकल्प के हैं कि हम गौरव के साथ हमारे संविधान की रक्षा करते हुए, भारत के लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा करते हुए देशवासी ये संकल्प करेंगे कि भारत में फिर कभी कोई ऐसी हिम्मत नहीं करेगा, जो 50 साल पहले की गई थी और लोकतंत्र पर काला धब्बा लगा दिया गया था."

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