प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को पुणे में लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार के साथ मंच साझा किया. एनसीपी में टूट के बाद ये पहला मौका था, जब पीएम मोदी और शरद पवार आमने-सामने थे. इस दौरान ऐसा लगा ही नहीं कि इनके बीच कुछ दूरियां हैं.
प्रधानमंत्री मोदी को लोकमान्य तिलक पुरस्कार से सम्मानित करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में पवार शामिल हुए. प्रधानमंत्री को उनके ‘सर्वोच्च नेतृत्व' और ‘नागरिकों में देशभक्ति की भावना जगाने' के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
पीएम मोदी जब मंच पर आए, तो शरद पवार वहां मौजूद थे. पीएम मोदी, शरद पवार के पास पहुंचे और उनसे हाथ मिलाया. इस दौरान दोनों के चेहरे पर मुस्कान थी. पीएम मोदी ने कुछ कहा, तो शरद पवार हंसे और पीएम मोदी की पीठ थपथपाई. ये पूरा दृश्य देखकर ऐसा लग ही नहीं रहा था कि ये वही, शरद पवार हैं, जो अगामी लोकसभा चुनाव के लिए मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने में जुटे हुए हैं.
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार पिछले महीने राकांपा से अलग होने के बाद पार्टी के आठ अन्य विधायकों के साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार में शामिल हो गए थे।
बता दें कि पवार ने मोदी के साथ मंच साझा न करने के विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया' के अनुरोध को स्वीकार नहीं किया था. ‘इंडिया' के सदस्यों का मानना है कि ऐसे वक्त में जब भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर एक मोर्चा बनाया जा रहा है, तो पवार का इस कार्यक्रम में शामिल होना विपक्ष के लिए अच्छा नहीं होगा. पवार ने उन सांसदों से मुलाकात नहीं की थी जो उन्हें इस समारोह में शामिल न होने के लिए मनाना चाहते थे.
लोकमान्य तिलक की विरासत का सम्मान करने के लिए 1983 में तिलक स्मारक मंदिर ट्रस्ट द्वारा इस पुरस्कार की शुरुआत की गई थी. यह पुरस्कार हर साल एक अगस्त को लोकमान्य तिलक की पुण्यतिथि पर दिया जाता है. कुछ सामाजिक संगठनों और विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्यों ने मोदी के दौरे के खिलाफ प्रदर्शन किया. कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), राकांपा (शरद पवार गुट) और विभिन्न सामाजिक संगठनों के सदस्यों ने प्रदर्शन में भाग लिया.
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