अयोध्या में PM मोदी ने क्यों किया, शबरी, गिलहरी और जटायु का जिक्र?

गिलहरी का जिक्र करते हुए पीएम (Ayodhya PM Modi) ने ये समझाने की कोशिश की कि छोटे-छोटे से काम बड़ा योगदान दे सकते हैं. पीएम ने कहा कि अगर कोई ये सोचता है कि वह बहुत छोटा है तो उसे गिलहरी के योगदान को याद करना चाहिए.

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अयोध्या में पीएम मोदी का संबोधन.

अयोध्या:

अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पीएम मोदी ने देश की जनता को अयोध्या की धरती को सबोधित किया. इस दौरान पीएम मोदी (PM Modi In Ayodhya) ने सभी को माता शबरी, रामसेतु बनाने में योगदान देने वाली गिलहरी और जटायु के योगदान को एक बार फिर से याद दिलाया. पीएम मोदी ने कहा कि आदिवासी मां शबरी तो लंबे समय से कह रहीं थीं कि राम आएंगे. यही देव से देश औऱ राम से राष्ट्र की चेतना का विस्तार है.  

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पीएम मोदी ने याद दिलाया गिलहरी का योगदान

वहीं गिलहरी का जिक्र करते हुए पीएम ने ये समझाने की कोशिश की कि छोटे-छोटे से काम बड़ा योगदान दे सकते हैं. इसीलिए अगर कोई ये सोचता है कि वह बहुत छोटा है तो उसे गिलहरी के योगदान को याद करना चाहिए. गिलहरी का स्मरण ही हमारी इस हिचक को दूर करेगा और हमे याद दिलाएगा कि छोटे प्रयास की भी अपनी एक ताकत होती है. 

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"पीएम मोदी ने याद दिलाई जटायु की हिम्मत"

जटायु के साहस और हिम्मत को याद करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जटायु को पता था कि वह अकेले रावण को नहीं रोक पाएंगे लेकिन फिर भी उन्होंने हिम्मत दिखाई और रावण का सामना किया. जटायु का जिक्र कर पीएम मोदी ने हमेशा साहस और हिम्मत बनाए रखने का संदेश दिया.

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"लंबे वियोग का आज अंत हो गया"

अयोध्या को सोबंधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हम बहुत सौभाग्‍यशाली हैं, जो रामलला की प्राण-प्रतिष्‍ठा पर मौजूद हैं. यह समय सामान्‍य समय नहीं है. यह काल के कपाल पर अमिट स्‍मृति रेखाए हैं. सभी जानते हैं कि जहां राम का काम होता है, वहां पवनपुत्र हनुमान जरूर विराजमान होते हैं. इसलिए वह रामभक्‍त हनुमान और हनुमानगढ़ी को प्रणाम करते हैं. पीएम मोदी ने कहा कि आज हमें सदियों के उस धैर्य की धरोहर मिली है, आज हमें श्रीराम का मंदिर मिला है. पीएम ने कहा कि भगवा का आगमन देखकर ही सभी अयोध्यावासी और देशवासी हर्ष से भर गए हैं. लंबे वियोग से जो विपत्ति आई थी, उसका अंत हो गया. पीएम ने कहा कि उस सम तो राम से वियोग सिर्फ 14 सालों का था, तब भी सहन करने योग्य नहीं था. इस युग में तो अयोध्या और देशवासियों ने सैकड़ों सालों का वियोग सहा है. हमारी कई-कई पीढ़ियों ने वियोग सहा है.
 

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