अभावों में जीवन का लंबा हिस्सा गुजारने वालीं पीएम मोदी की मां हीरा बेन थीं अटूट मेहनती

पीएम नरेंद्र मोदी ने एक बार अपनी मां के बारे में कहा था कि, अपने चाय बेचने वाले पति का हाथ बंटाने के लिए उन्हें दूसरों के घरों में बर्तन तक मांजने पड़े थे

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नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की मां हीरा बेन मोदी (Heeraben Modi) का आज निधन हो गया. उन्होंने इसी साल 18 जून को उम्र के 99 वर्ष पूर्ण करके सौवें वर्ष में प्रवेश किया था. हीरा बेन अपने छोटे बेटे पंकज मोदी के साथ गांधीनगर में रहती थीं. पीएम मोदी ने इसी साल अपनी मां के जन्मदिन पर उनके बारे में बताया था कि उनकी मां गरीबी में जन्मीं, पली-बढ़ीं और शादी के बाद भी उन्हें अभाव देखने पड़े. यहां तक कि उन्हें अपने चाय बेचने वाले पति का हाथ बंटाने के लिए दूसरों के घरों में बर्तन तक मांजने पड़े थे.

पीएम मोदी ने बताया था कि, उनकी मां हीरा बेन मोदी का जन्म गुजरात के मेहसाणा जिले के विसनगर में हुआ था. हीरा बेन जब कुछ ही दिनों की थीं तभी उनकी मां का देहांत हो गया था. वे कभी स्कूल नहीं गईं. उन्होंने सिर्फ गरीबी और अभाव देखा था. बचपन के संघर्षों ने हीरा बेन को उम्र से पहले बड़ा कर दिया था. वे अपने परिवार में सबसे बड़ी थीं और जब शादी हुई तो ससुराल में भी सबसे बड़ी बहू बनीं. ससुराल में सारे कामकाज का जिम्मा उन्हीं के ऊपर था. वडनगर के जिस घर में हीरा बेन अपने बच्चों के साथ रहती थीं वह बहुत छोटा था. डेढ़ कमरे के उस घर में न तो कोई खिड़की थी, न कोई बाथरूम था.

पीएम मोदी ने बताया था कि, कोई भी मौसम हो उनके पिता दामोदर दास सुबह चार बजे अपनी चाय की दुकान पर चले जाते थे. उनकी मां भी उसी समय उठ जाती थीं. घर के काम निपटाने के बाद वे दूसरों के घरों के बर्तन भी मांजा करती थीं. समय निकालकर चरखा भी चलाया करती थीं क्योंकि उससे भी कुछ पैसे जुट जाते थे. कपास के छिलके से रुई निकालने, रुई से धागे बनाने का काम भी हीरा बेन करती थीं.

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पीएम मोदी ने बताया था कि, बारिश के दिनों में घर की खपरैल छत से पानी न टपके इसलिए वे जून के महीने में कड़ी धूप में छत की खपरैल को ठीक करने के लिए ऊपर चढ़ जाती थीं. इतनी मेहनत के बाद भी पानी टपकता था. वे कमरे में जहां पानी गिरता था, वहां बर्तन रख देती थीं. उस पानी का घर के कामों में उपयोग करती थीं.

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पीएम मोदी ने हीरा बेन के 99 वें जन्मदिन पर एक ब्लॉग भी लिखा था जिसमें उन्होंने अपनी मां के जीवन से जुड़े कुछ तथ्य साझा किए थे. पीएम मोदी ने लिखा था, "मेरी मां का मुझ पर बहुत अटूट विश्वास रहा है. उन्हें अपने दिए संस्कारों पर पूरा भरोसा रहा है. मुझे दशकों पुरानी एक घटना याद आ रही है. तब मैं संगठन में रहते हुए जनसेवा के काम में जुट चुका था. घरवालों से संपर्क ना के बराबर ही रह गया था. उसी दौर में एक बार मेरे बड़े भाई, मां को बद्रीनाथ जी, केदारनाथ जी के दर्शन कराने के लिए ले गए थे. बद्रीनाथ में जब मां ने दर्शन किए तो केदारनाथ में भी लोगों को खबर लग गई कि मेरी मां आ रही हैं. उसी समय अचानक मौसम बहुत खराब हो गया. ये देखकर कुछ लोग केदारघाटी से नीचे की तरफ चल पड़े. वे अपने साथ में कंबल भी ले गए. वे रास्ते में बुजुर्ग महिलाओं से पूछते जा रहे थे कि क्या आप नरेंद्र मोदी की मां हैं? ऐसे ही पूछते हुए वे लोग मां तक पहुंचे. उन्होंने मां को कंबल दिया, चाय पिलाई. फिर तो वे लोग पूरी यात्रा भर मां के साथ ही रहे. केदारनाथ पहुंचने पर उन लोगों ने मां के रहने के लिए अच्छा इंतजाम किया. इस घटना का मां के मन में बड़ा प्रभाव पड़ा. तीर्थ यात्रा से लौटकर जब मां मुझसे मिलीं तो कहा कि, कुछ तो अच्छा काम कर रहे हो तुम, लोग तुम्हें पहचानते हैं.”

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पीएम मोदी ने लिखा था, "अब इस घटना के इतने वर्षों बाद, जब आज लोग मां के पास जाकर पूछते हैं कि आपका बेटा पीएम है, आपको गर्व होता होगा, तो मां का जवाब बड़ा गहरा होता है. मां उन्हें कहती है कि जितना आपको गर्व होता है, उतना ही मुझे भी होता है. वैसे भी मेरा कुछ नहीं है. मैं तो निमित्त मात्र हूं. वो तो भगवान का है."

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पीएम मोदी ने ब्लॉग में लिखा था कि, "हमारे घर से थोड़ी दूर पर एक गांव था, जिसमें मेरे पिताजी के बहुत करीबी दोस्त रहा करते थे. उनका बेटा था अब्बास. दोस्त की असमय मृत्यु के बाद पिताजी अब्बास को हमारे घर ही ले आए थे. एक तरह से अब्बास हमारे घर में ही रहकर पढ़ा. हम सभी बच्चों की तरह मां अब्बास की भी बहुत देखभाल करती थीं. ईद पर मां, अब्बास के लिए उसकी पसंद के पकवान बनाती थीं. त्योहारों के समय आसपास के कुछ बच्चे हमारे यहां ही आकर खाना खाते थे. उन्हें भी मेरी मां के हाथ का बनाया खाना बहुत पसंद था."

हीरा बेन इतनी उम्र में भी फिट और स्वस्थ थीं. अहमदाबाद के एक डायटिशियन के अनुसार काफी उम्रदराज होने पर भी हीरा बेन को कोई बीमारी न होने के पीछे उनका सादा भोजन रहा. वे हमेशा घर का खुद का बनाया सादा भोजन पसंद करती रहीं. वे कभी ज्यादा तेल मसाले वाला खाना पसंद नहीं करती थीं.  

हीरा बेन बहुत साहसी थीं. कोरोना वायरस संक्रमण के दौर में जब वैक्सीन लगवाने को लेकर लोगों में असमंजस था, तब उन्होंने खुद वैक्सीन लगवाकर समाज के सामने उदाहरण पेश किया था. उन्होंने वैक्सीन लगवाकर लोगों के मन में बसे भ्रम दूर करने की कोशिश की थी.

साल 2016 में जब नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बने हुए करीब दो साल बीत गए थे तब उनकी मां हीरा बेन पहली बार दिल्ली में उनके 7, रेसकोर्स रोड स्थित आधिकारिक आवास पर आई थीं. बाद में हीरा बेन के गुजरात लौट जाने के बाद पीएम मोदी ने अपने ट्विटर अकाउंट से कुछ तस्वीरें साझा की थीं, जिनमें वे अपनी मां को अपने आवास के बगीचे की सैर कराते हुए दिखाई दे रहे थे. तस्वीरों के साथ पीएम मोदी ने ट्वीट किया था, ''मेरी मां गुजरात लौट गईं. काफी लंबे समय के बाद उनके साथ अच्छा वक्त बिताया और वह भी उनके पहली बार आरसीआर आने पर.'' उस समय हीरा बेन गुजरात के मेहसाणा जिले के एक छोटे से कस्बे वडनगर में स्थित अपने घर में रहती थीं.

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