प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को दिल्ली में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में जाति जनगणना को भी मंजूरी दे दी गई. इस पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने पीएम मोदी को धन्यवाद दिया. साथ ही केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री चिराग पासवान ने भी इस कदम को वंचित तबकों को सशक्त करने की दिशा में उठाया गया ठोस कदम बताया.
राय ने दिया पीएम को धन्यवाद
नित्यानंद राय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "पूर्व में भी जब समाज के गरीब वर्गों को 10 फीसदी आरक्षण प्रदान किया गया था, तब समाज में व्यापक स्वीकार्यता देखने को मिली और किसी प्रकार का सामाजिक तनाव उत्पन्न नहीं हुआ था. प्रधानमंत्री जी का बहुत-बहुत आभार."
पीएम के निर्णय से खत्म हुआ अफवाह
चिराग पासवान ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में जाति आधारित जनगणना को मंजूरी देकर देशहित में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया. मेरी और मेरी पार्टी की एक लंबे अरसे से मांग रही थी कि देश में जाति आधारित जनगणना कराई जाए, आज इस मांग को स्वीकृति मिल चुकी है. इसको लेकर मैं देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्री का हृदय से आभार प्रकट करता हूं. पिछले कुछ वर्षों में जातीय जनगणना को लेकर मेरे और केंद्र सरकार के बीच कई भ्रांतियां फैलाई गईं. आज का निर्णय इन सभी अफवाहों का स्पष्ट जवाब है."
वंचितों को हुआ कल्याण
जेडीयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद संजय कुमार झा ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा, "देशभर में आगामी जनगणना के साथ जातीय गणना भी कराने के ऐतिहासिक फैसले के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का संपूर्ण जदयू परिवार की ओर से कोटिशः आभार एवं अभिनंदन.हमें विश्वास है, इस फैसले से वंचित तबकों के कल्याण एवं उत्थान के लिए और अधिक कारगर योजना बनाने में मदद मिलेगी. जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ‘न्याय के साथ विकास' की अपनी नीति के अनुरूप, देश में सबसे पहले बिहार में पूरी पारदर्शिता के साथ जातीय गणना करा कर उसका परिणाम भी सार्वजनिक कर दिया है."
कांग्रेस ने किया था विरोध
सरकार के फैसले की जानकारी देते हुए अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कांग्रेस की सरकारों ने जाति जनगणना का विरोध किया है. 1947 के बाद से जाति जनगणना नहीं हुई. जाति जनगणना की जगह कांग्रेस ने जाति सर्वे कराया, यूपीए सरकार में कई राज्यों ने राजनीतिक दृष्टि से जाति सर्वे किया है. उन्होंने आगे कहा कि 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने लोकसभा में आश्वासन दिया था कि जाति जनगणना पर कैबिनेट में विचार किया जाएगा. तत्पश्चात एक मंत्रिमंडल समूह का भी गठन किया गया था, जिसमें अधिकांश राजनीतिक दलों ने जाति आधारित जनगणना की संस्तुति की थी. इसके बावजूद कांग्रेस की सरकार ने जाति जनगणना के बजाए, सर्वे कराना ही उचित समझा, जिसे सीईसीसी के नाम से जाना जाता है. उन्होंने आगे कहा कि इन सब के बावजूद कांग्रेस और इंडी गठबंधन के दलों ने जाति जनगणना के विषय को केवल अपने राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग किया.