30 मार्च को मेरठ में रैली के जरिए UP में चुनाव अभियान का आगाज करेंगे PM मोदी, इस बार ऐसा है समीकरण

यूपी में इस बार फिर बीजेपी की उम्मीदें जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोकदल के साथ गठबंधन पर भी टिकी हैं. इस क्षेत्र में जाटों के बीच आरएलडी की महत्वपूर्ण मौजूदगी है, जिनकी आबादी राज्य में 18 प्रतिशत है.

Advertisement
Read Time: 3 mins
नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 मार्च को मेरठ में एक मेगा रैली के साथ 80 लोकसभा सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश में भाजपा के चुनाव अभियान को हरी झंडी दिखाएंगे. अभिनेता अरुण गोविल मेरठ से बीजेपी के उम्मीदवार हैं. अरुण गोविल ने 80 के दशक में रामानंद सागर की 'रामायण' में राम की भूमिका निभाई थी. इस साल की शुरुआत में 22 जनवरी को अयोध्या में भव्य राम मंदिर का उद्घाटन किया गया था.

उत्तर प्रदेश में लोकसभा की सबसे अधिक सीटें हैं, 370 सीटें जीतने की भाजपा की योजना के लिए ये राज्य बेहद महत्वपूर्ण है. बीजेपी जानती है कि अगर उसे पिछले दो चुनावों के अपने स्कोर को पार करना है, तो उसे यहां एक बड़े प्रयास की जरूरत है.

2014 में बीजेपी ने यूपी में 71 सीटें जीती थीं. पांच साल बाद 2019 में, अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी और मायावती की बहुजन समाज पार्टी के बीच गठबंधन के कारण ये आंकड़ा घटकर 62 हो गया. वहीं कुछ सीटों पर बीजेपी कुछ हजार वोटों के अंतर से जीत हासिल कर पाई.

भाजपा इस बार बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है, खासकर अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण और उद्घाटन के अपने वादे को पूरा करने के बाद. उनका मनोबल इस बात से भी बढ़ा है कि सपा-बसपा गठबंधन अब इतिहास बन गया है. जहां अखिलेश यादव विपक्षी गुट भारत के साथ हैं, वहीं मायावती इस चुनाव में अकेले मैदान में उतर रही हैं.

बीजेपी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश से भी काफी उम्मीदें हैं, यहां पिछली बार उन्होंने इतना अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था. 2014 में बीजेपी ने इस क्षेत्र की 27 में से 24 सीटें जीती थीं. लेकिन 2019 में ये संख्या पांच सीटों से कम हो गई, आठ सीटें एसपी-बीएसपी गठबंधन के पास चली गईं.

इस बार फिर बीजेपी की उम्मीदें जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोकदल के साथ गठबंधन पर टिकी हैं. इस क्षेत्र में जाटों के बीच आरएलडी की महत्वपूर्ण मौजूदगी है, जो राज्य के 18 प्रतिशत लोग हैं. भले ही आरएलडी इस बार राज्य में 2 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, लेकिन उन्हें पश्चिमी यूपी में बीजेपी के वोट शेयर में इजाफा होने की उम्मीद है.

राज्य में भाजपा के बाकी सहयोगियों में एडीएस और निषाद पार्टी शामिल हैं, जिनका विभिन्न जाति समूहों के बीच दबदबा है.

बीजेपी के लिए इस चुनाव में नकारात्मक पक्ष ये है कि, अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव, जो 2019 के चुनावों से पहले सपा से बाहर चले गए थे और सपा के वोट काटकर भाजपा को कई सीटें जीतने में मदद की थी, उन्होंने अब परिवार के साथ समझौता कर लिया है.

चाचा-भतीजे का ये मेल-मिलाप कन्नौज समेत कई सीटों पर बीजेपी का काम मुश्किल कर सकता है, जहां 2019 में अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव बीजेपी से हार गईं थीं.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Britain Election 2024: ब्रिटेन चुनाव में PM Rishi Sunak के खिलाफ हुए भारतीय मूल के लोग, नहीं देंगे वोट?
Topics mentioned in this article