पीएम मोदी अमेरिका हुए रवाना; क्वाड समिट में करेंगे शिरकत, 10 प्रमुख बातें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) 21 से 23 सितंबर तक अमेरिका के दौरे पर रहेंगे. इस दौरान पीएम मोदी भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के ग्रुप 'द क्वाड्रिलैटरल सिक्योरिटी डायलॉग' (QUAD) में शिरकत करेंगे. इसके अलावा पीएम मोदी भारतीय समुदाय को संबोधित भी करेंगे.

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नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) 21 से 23 सितंबर तक अमेरिका के दौरे पर रहेंगे. इस दौरान पीएम मोदी भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के ग्रुप 'द क्वाड्रिलैटरल सिक्योरिटी डायलॉग' (QUAD) में शिरकत करेंगे. इसके अलावा पीएम मोदी भारतीय समुदाय को संबोधित भी करेंगे.

  1. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  21 से 23 सितंबर तक अमेरिका में क्वॉड समिट (QUAD Summit 2024) में शिरकत करेंगे. इस दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) के साथ उनकी द्विपक्षीय मुलाकात भी होगी. यह क्वॉड का पांचवां एडिशन है. अमेरिका के डेलावेयर में यह समिट होगी. डेलावेयर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का गृहनगर है. पीएम मोदी के इस महत्वपूर्ण दौरे के दौरान उनके और जो बाइडेन के बीच कई समझौते भी होंगे. 
  2. क्वॉड समिट 2024 में यूक्रेन-गाजा युद्ध समाप्त कराने के लिए समाधान ढूंढने की कोशिश की जाएगी. इसमें ‘ग्लोबल साउथ' की चिंताओं को दूर करने पर चर्चा होगी. इसमें कैंसर से निपटने के लिए अहम पहल की शुरुआत हो सकती है. राष्ट्रपति जो बाइडेन और पीएम मोदी की द्विपक्षीय मुलाकात में कम से कम दो अहम समझौते होने की संभावना है. पहला समझौता इंडो पैसेफिक इकोनॉमिक स्ट्रक्चर पर और दूसरा समझौता इंडिया-अमेरिका ड्रग फ्रेमवर्क पर हो सकता है.
  3. पीएम मोदी के 21 सितंबर को दिल्ली से रवाना होंगे. अमेरिका में फिलाडेल्फिया एयरपोर्ट पर उनका स्वागत होगा. इसी दिन राष्ट्रपति जो बाइडेन से उनकी द्विपक्षीय मुलाकात होगी. वे क्वाड समिट में हिस्सा लेंगे और इसके बाद न्यूयॉर्क रवाना हो जाएंगे.
  4. पीएम मोदी 22 सितंबर को नासाउ कॉलेजियम की मीटिंग में भाग लेंगे. न्यूयॉर्क में पीएम मोदी भारतीय समुदाय की एक सभा को भी संबोधित करेंगे. डायस्पोरा इवेंट 'मोदी एंड यूएस प्रोग्रेस टुगेदर' न्यूयॉर्क के उपनगर यूनियनडेल में आयोजित होगा. इस कार्यक्रम के टिकट के लिए 25,000 से अधिक लोगों ने आवेदन किया है.
  5. प्रधानमंत्री मोदी 23 सितंबर को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में 'भविष्य के शिखर सम्मेलन' को संबोधित करेंगे. इसका विषय इस बार 'बेहतर कल के लिए बहुपक्षीय समाधान' रखा गया है.  इसके बाद वे भारत के लिए रवाना हो जाएंगे.
  6. अमेरिका की यात्रा और क्वॉड समिट में शिरकत के दौरान पीएम मोदी एआई (AI), क्वांटम कंप्यूटिंग, सेमीकंडक्टर और बायोटेक्नोलॉजी जैसे अत्याधुनिक क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच अधिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख अमेरिकी कंपनियों के सीईओ (CEO) के साथ बातचीत करेंगे.
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  8. क्वाड शिखर सम्मेलन में शामिल हो रहे दुनिया के चार बड़े देशों के प्रमुखों में भारत के प्रधानमंत्री ही एकमात्र ऐसे नेता हैं जिन्होंने युद्ध में जानी दुश्मन बने यूक्रेन और रूस के राष्ट्रपतियों से उनके देश में जाकर मुलाकात की है. उन्होंने अलग-अलग बातचीत में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडोमिर जेलेंस्की से युद्ध खत्म करने की अपील की है. उम्मीद की जा रही है कि क्वॉड समिट में पीएम मोदी एक बार फिर से शांति के लिए पहल कर सकते हैं.
  9. नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल में ईस्ट एशिया और ओशिनिया ने कहा है कि वैसे तो क्वाड सम्मेलन का आयोजन इस बार भारत में ही होना था, लेकिन जब हमने इसमें शामिल होने वाले सभी नेताओं के कार्यक्रम को देखा, तो हमें इसकी संभावना नहीं दिखी, इसके बाद हमने यह फैसला किया कि कार्यक्रम का आयोजन भारत की जगह अमेरिका में होना चाहिए. हालांकि, अब अगले साल भारत में इसका आयोजन होगा. 
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  11. क्वाड का गठन 2007 में हुआ था, लेकिन बीच में ऑस्ट्रेलिया के इससे बाहर आने के बाद ये प्रभाव में नहीं आ सका. इसके बाद 2017 में इसे दोबारा एक्टिव किया गया. सन 2004 में जब हिंद महासागर में सुनामी आई थी, तो बड़े पैमाने पर तटीय देश प्रभावित हुए थे. इसके बाद भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने प्रभावित देशों की मदद की थी. सन 2007 से लेकर 2010 के बीच क्‍वाड शिखर सम्मेलन की बैठकें होती रहीं. इसके बाद बैठकें बंद हो गईं. इस बीच चीन ने ऑस्ट्रेलिया पर काफी दबाव बनाया, इसका नतीजा यह हुआ कि ऑस्ट्रेलिया ने इस संगठन से दूरियां बना ली थीं.
  12. क्वॉड का मकसद हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते दबदबे को रोकना है. क्वाड भारत को अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ संयुक्त नौसैनिक अभ्यास और संचालन में शामिल होने का एक प्लेटफॉर्म देता है. इससे भारतीय नौसेना की कुशलता और क्षमता दोनों बढ़ती है. चूंकि, चीन लगातार क्वाड का विरोध करता रहा है, इसलिए माना जाता है कि क्वाड चीन को जवाब देने का एक जरिया है.
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