उदयनिधि स्टालिन के 'सनातन धर्म' से जुड़े बयान का 'उचित जवाब' दिया जाना चाहिए : PM मोदी

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के बेटे उदयनिधि ने 'सनातन धर्म' की तुलना कोरोना वायरस, मलेरिया और डेंगू से करते हुए कहा था कि ऐसी चीजों का विरोध नहीं करना चाहिए, बल्कि इनका उन्मूलन कर देना चाहिए.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
नई दिल्ली:

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे और प्रदेश में मंत्री उदयनिधि स्टालिन के सनातन को लेकर दिए बयान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि उदयनिधि के 'सनातन धर्म' से जुड़े बयान का 'उचित जवाब' दिया जाना चाहिए. पीएम मोदी ने मंत्रिपरिषद की अनौपचारिक बैठक में ये बात कही.

सूत्रों के मुताबिक़ पीएम मोदी ने सनातन विवाद पर मंत्रिपरिषद की बैठक में मंत्रियों को सलाह दी कि उदयनिधि स्टालिन के इस बयान का जवाब दिया जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने मंत्रियों से इंडिया बनाम भारत मुद्दे पर बयानबाज़ी से बचने की नसीहत दी.

प्रधानमंत्री ने सभी मंत्रियों से साथ ही कहा कि जी20 की बैठक के दौरान सभी दिल्ली में ही रहें. उन्होंने कहा कि सभी जी20 का ऐप भी डाउनलोड करें और इस दौरान वीआईपी संस्कृति से दूर रहें.

जी20 को लेकर विदेश मंत्री ने प्रजेंटेशन दिया
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बैठक में जी20 पर प्रजेंटेशन दिया. कहा गया कि जिन मंत्रियों की ड्यूटी राष्ट्राध्यक्षों के साथ है, उन्हें उस देश की संस्कृति और खान-पान की जानकारी रखनी चाहिए. साथ ही कहा गया कि सभी मंत्री राष्ट्रपति के डिनर में एक साथ आएं.

उदयनिधि स्टालिन के बयान का चौतरफा विरोध हो रहा है. जहां बीजेपी ने इसकी कड़ी निंदा की है, वहीं ने उदयनिधि के बयान को निजी टिप्पणी बताकर किनारा कर लिया है. वहीं 'इंडिया' गठबंधन में शामिल अन्य दलों ने भी उदयनिधि को ऐसे बयानों से बचने की सलाह दी है.

बीजेपी नेता सुशील मोदी ने डीएमके नेता के सुझाव को राष्ट्रविरोधी करार दिया है. उन्होंने कहा कि उदयनिधि को हिरासत में लिया जाना चाहिए और जेल में डाल दिया जाना चाहिए. वह समुदाय में नफरत फैला रहे हैं. ये एक राष्ट्र-विरोधी कृत्य है.

उदयनिधि का बयान देश में नफरत फैलाने वाला- इंद्रेश कुमार
वहीं आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार ने कहा कि देश में नफरत फैलाने वाले राजनेताओं पर लगाम लगनी चाहिए. उन्होंने कहा, "ये मानवता, वैश्विकता और लोकतंत्र का सूत्र है कि हम एक बहु-धार्मिक देश हैं. अपने धर्म का पालन करें, दूसरे के धर्म का अपमान न करें और उसका सम्मान करें, ये लोकतंत्र विरोधी है. मानवता विरोधी, ईश्वर विरोधी, शांति और विकास विरोधी और ये राष्ट्रों की समृद्धि विरोधी है. पार्टियों और लोगों को ऐसे राजनेताओं को रोकना चाहिए ताकि देश में नफरत न फैले.''

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द्रमुक कांग्रेस का सहयोगी दल है. उदयनिधि के बयान के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, "हमारा रुख स्पष्ट है. सर्वधर्म समभाव कांग्रेस की विचारधारा है, लेकिन आपको यह समझना होगा कि हर राजनीतिक दल को अपने विचार रखने की आजादी है. हम हर किसी की आस्था का सम्मान करते हैं."

इधर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि किसी को भी ऐसे मामले में शामिल नहीं होना चाहिए, जिससे लोगों को ठेस पहुंच सकती हो. उन्होंने कहा कि हर धर्म से अलग-अलग भावनाएं जुड़ी होती हैं और भारत अनेकता में एकता का देश है. सीएम ने कहा "मैं तमिलनाडु और दक्षिण भारत के लोगों का बहुत सम्मान करती हूं, लेकिन मेरा विनम्र अनुरोध है कि सभी का सम्मान करें, क्योंकि हर धर्म की अलग-अलग भावनाएं होती हैं. भारत एक धर्मनिरपेक्ष एवं लोकतांत्रिक देश है. भारत अनेकता में एकता का देश है."

सनातन पर चिंता बीजेपी का पाखंड- प्रियंका चतुर्वेदी
शिवसेना (यूबीटी) नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने भाजपा पर निशाना साधते हुए उस पर अपनी राजनीति के लिए सनातन धर्म पर फर्जी चिंता दिखाने का आरोप लगाया और इसे पाखंड करार दिया. उन्होंने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, "सनातन धर्म शाश्वत सत्य - जीवन जीने का तरीका - विवेक और अस्तित्व का प्रतीक है. सनातनियों ने लंबे समय तक आक्रमणकारियों के हमलों को झेला है जो उनकी पहचान को समाप्त करने के लिए किये गये, फिर भी वे न केवल जीवित रहे बल्कि फले-फूले भी."

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वहीं समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्या ने द्रमुक नेता के बयान पर कहा, "भाजपा 'सनातन' शब्द की मार्केटिंग कर रही है. वे धर्म के नाम पर जनता की भावनाओं से खिलवाड़ कर रहे हैं."

गौरतलब है कि तमिलनाडु के युवा कल्याण मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने ये टिप्पणी कर विवाद पैदा कर दिया कि 'सनातन धर्म' समानता एवं सामाजिक न्याय के विरुद्ध है और इसका उन्मूलन करने की जरूरत है.

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के बेटे उदयनिधि ने 'सनातन धर्म' की तुलना कोरोना वायरस, मलेरिया और डेंगू से करते हुए कहा था कि ऐसी चीजों का विरोध नहीं करना चाहिए, बल्कि इनका उन्मूलन कर देना चाहिए.

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