पीएम मोदी 5 जनवरी को पंजाब में अमरिदर सिंह के साथ कर सकते हैं चुनावी रैली

प्रधानमंत्री का पंजाब के चंडीगढ़ स्थित स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (PGIMR) के सैटेलाइट केंद्र का फिरोजपुर में उद्घाटन करने का कार्यक्रम है, इसके बाद वह एक रैली को संबोधित कर सकते हैं.

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पीएम मोदी और कैप्टन अमरिंदर सिंह चुनावी रैली में एक साथ मंच साझा करेंगे
नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) 5 जनवरी 2022 को पंजाब में बीजेपी के चुनाव प्रचार का शंखनाद कर सकते हैं. इस बात की प्रबल संभावना है कि पीएम मोदी नए सहयोगी व सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) के साथ मंच भी साझा कर सकते हैं. प्रधानमंत्री का पंजाब के चंडीगढ़ स्थित स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (PGIMR) के सैटेलाइट केंद्र का फिरोजपुर में उद्घाटन करने का कार्यक्रम है और इसके बाद वह एक रैली को संबोधित कर सकते हैं. बीजेपी के सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी.

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केंद्र सरकार के तीन विवादित कृषि कानूनों को रद्द किए जाने के बाद प्रधानमंत्री की पंजाब में यह पहली रैली होगी.
बीजेपी सूत्रों ने कहा कि मोदी की इस रैली से भाजपा और उसके सहयोगियों के चुनावी अभियान की शुरुआत हो जाएगी. अमरिंदर सिंह की पंजाब लोक कांग्रेस का बीजेपी के साथ गठबंधन हुआ है. बीजेपी सूत्रों ने कहा कि सिह भी इस रैली में शामिल हो सकते हैं. अगर अमरिंदर सिंह इस रैली में शामिल होते हैं तो यह पहला मौका होगा जब प्रधानमंत्री मोदी और सिंह एक साथ मंच साझा करेंगे.

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मोदी और सिंह के अलावा पंजाब के चुनाव प्रभारी और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और केंद्रीय मंत्रिमंडल में उनके सहयोगी हरदीप सिंह पुरी और मीनाक्षी लेखी के भी इस रैली में शामिल होने की संभावना है.दरअसल, कृषि कानूनों के खिलाफ बड़ी संख्या में पंजाब के किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाल दिया था. किसान केंद्र सरकार पर इन्हें निरस्त करने का लगातार दबाव बनाते रहे. आखिरकार सरकार ने 19 नवंबर को कृषि कानूनों पर अपने कदम वापस खींच लिये थे.

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प्रधानमंत्री ने देश से माफी' मांगते हुए इन्हें निरस्त करने की घोषणा की थी. उन्होंने एमएसपी पर कानूनी गारंटी के लिए एक समिति गठित करने की घोषणा करते हुए किसानों से अपना आंदोलन वापस लेने की गुजारिश भी की थी. इसके बाद संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन एक विधेयक लाकर इन कानूनों को निरस्त कर दिया गया था. इस विधेयक के पारित होने के बाद किसानों ने सशर्त अपना आंदोलन वापस ले लिया था.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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