प्रधानमंत्री ने G-20 प्रतिनिधियों को 2024 में 'लोकतंत्र के उत्सव' का गवाह बनने के लिए किया आमंत्रित

अपने संदेश में प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि ‘आतंकवाद विभाजित करता है, लेकिन पर्यटन एकजुट करता है’.

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नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘अतिथि देवो भव' के लोकाचार पर जोर देते हुए बुधवार को जी-20 प्रतिनिधियों को 2024 के आम चुनावों के दौरान भारत आने और ‘लोकतंत्र के उत्सव' का गवाह बनने के लिए आमंत्रित किया. गोवा में बुधवार को जी-20 पर्यटन मंत्रिस्तरीय बैठक के उद्घाटन सत्र में मोदी का एक रिकॉर्डेड संदेश प्रसारित किया गया. अपने संदेश में प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि ‘आतंकवाद विभाजित करता है, लेकिन पर्यटन एकजुट करता है'. प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि विचार-विमर्श और ‘गोवा प्रारूप' के जरिए पर्यटन की परिवर्तनकारी शक्ति को साकार किया जा सकेगा और इसमें सामूहिक प्रयासों को महत्वपूर्ण योगदान होगा.

‘गोवा प्रारूप और कार्य योजना' पर एक मंत्रिस्तरीय विज्ञप्ति बृहस्पतिवार को यहां जी-20 मंत्रिस्तरीय बैठक के अंत में जारी की जाएगी. मोदी ने कहा, ‘‘भारत के जी-20 की अध्यक्षता का आदर्श वाक्य 'वसुधैव कुटुम्बकम' और ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' अपने आप में वैश्विक पर्यटन का आदर्श वाक्य हो सकता है.'' अपने संबोधन में उन्होंने पर्यटन के गुणों और लोगों को एकजुट करने की इसकी क्षमता की प्रशंसा की.

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा कहा जाता है कि आतंकवाद बांटता है, लेकिन पर्यटन एकजुट करता है. पर्यटन में जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों को एकजुट करने की क्षमता है, जिससे एक सामंजस्यपूर्ण समाज का निर्माण होता है.'' भारत में वर्ष 2024 में होने वाले अगले आम चुनाव का उल्लेख करते हुए मोदी ने जी-20 प्रतिनिधियों को ‘लोकतंत्र की जननी' में ‘लोकतंत्र के उत्सव' को देखने के लिए देश आने का न्योता दिया. उन्होंने कहा, ‘‘करीब 10 लाख मतदान केंद्रों के साथ, आपके लिए इस त्योहार को देखने के लिए स्थानों की कोई कमी नहीं होगी.''

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वर्ष 2014 के आम चुनावों में कुछ टूर ऑपरेटरों ने भारत में ‘चुनावी पर्यटन' की पेशकश की थी. विदेशी पर्यटकों के विभिन्न समूहों को चुनाव प्रचार के दौरान वाराणसी और अन्य स्थानों पर ले जाया गया था. मोदी वाराणसी से लोकसभा के लिए चुने गए, और बाद में भारत के प्रधानमंत्री बने. उन्होंने विभिन्न जी-20 देशों के मंत्रियों और अन्य प्रतिनिधियों को बधाई दी और कहा, ‘‘मैं अतुल्य भारत में आप सभी का स्वागत करता हूं.''

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अतुल्य भारत पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन मंत्रालय द्वारा चलाए जा रहे एक लोकप्रिय अभियान की टैगलाइन भी है. मोदी ने कहा, ‘‘भारत की यात्रा सिर्फ दर्शनीय स्थलों की यात्रा के बारे में नहीं है बल्कि यह एक ऐसा अनुभव है, जिसे लंबे समय तक महसूस किया जा सकता है.'' उन्होंने कहा, ‘‘चाहे वह संगीत हो या भोजन, कला या संस्कृति, भारत की विविधता वास्तव में शानदार है. उच्च हिमालय से लेकर घने जंगलों, शुष्क रेगिस्तान से लेकर सुंदर समुद्र तटों, साहसिक खेलों से लेकर आध्यात्म तक, भारत के पास सभी के लिए कुछ न कुछ है.''

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उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में ‘अतिथि देवो भव' कहा गया है, जिसका अर्थ है कि अतिथि भगवान का रूप होते हैं. उन्होंने कहा कि पिछले नौ वर्षों में केंद्र सरकार ने भारत में पर्यटन के पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित करने पर विशेष जोर दिया है. उन्होंने कहा, ‘‘हमने पर्यटन क्षेत्र को अपने सुधारों के केंद्र बिंदु के रूप में रखा है.'' अतिथि देशों सहित विभिन्न जी-20 देशों के पर्यटन मंत्री और प्रतिनिधि दो दिवसीय मंत्रिस्तरीय बैठक में भाग ले रहे हैं.

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अमेरिका, ब्रिटेन, स्पेन, दक्षिण अफ्रीका, मॉरीशस, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया, नाइजीरिया, ओमान, नीदरलैंड, बांग्लादेश जैसे देशों और शीर्ष अंतरराष्ट्रीय संगठनों के लगभग 130 प्रतिनिधि गोवा में होने वाले कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं.ॉ मोदी ने कहा कि पर्यटन मंत्रियों को शायद ही कभी खुद पर्यटक बनने का मौका मिलता है, भले ही वे वैश्विक स्तर पर 2,000 अरब डॉलर से अधिक के क्षेत्र को संभाल रहे हों. यह रेखांकित करते हुए कि यह बैठक भारत के प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में से एक गोवा में हो रही है, प्रधानमंत्री ने आग्रह किया कि वे अपनी गंभीर चर्चाओं से कुछ समय निकालें और राज्य की प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिक पक्ष का पता लगाएं.
 

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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