राजस्थान में विवाह पंजीकरण संशोधन बिल का मामला पहुंचा हाई कोर्ट, NGO ने दायर की PIL

जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि बाल विवाह को भी अनिवार्य बनाते हुए, राजस्थान सरकार ने विवाह के अनिवार्य पंजीकरण पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या की है क्योंकि इस मामले पर कोई जनमत नहीं मांगी गई है. एनएफएचएस के 2015-2016 के आंकड़ों के अनुसार, कम उम्र में विवाह के 35% मामले राजस्थान में होते हैं.

विज्ञापन
Read Time: 10 mins
जोधपुर के NGO सारथी ट्रस्ट ने राजस्थान उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की है.
जोधपुर:

राजस्थान विवाह अनिवार्य पंजीकरण संशोधन विधेयक 2021 के खिलाफ चल रहा विरोध का मामला अब राजस्थान हाई कोर्ट (Rajasthan High Court) पहुंच गया है. एक NGO ने हाई कोर्ट में इसके खिलाफ एक जनहित याचिका दायर की है.

जोधपुर के संवयंसेवी संगठन (एनजीओ) सारथी ट्रस्ट ने राजस्थान उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की है, जिसका नेतृत्व सामाजिक कार्यकर्ता कृति भाटी कर रही हैं, जिन्होंने बाल विवाह के खिलाफ अथक प्रयास किया है और कम उम्र में हुए विवाहों को रद्द कराती रही हैं. जनहित याचिका में ऐसे विधेयक की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है.

18 साल से कम उम्र की लड़की और 21 साल से कम उम्र के लड़के के विवाह सहित सभी विवाहों को अनिवार्य रूप से पंजीकृत करने वाले विधेयक ने राजस्थान में हंगामा खड़ा कर दिया है. विपक्ष का आरोप है कि सरकार इस विधेयक के जरिए बाल विवाह को बैक डोर से एंट्री दे रही है.

"बाल विवाह पर पूरी तरह रोक लगे", राजस्थान के नए कानून का सामाजिक संगठनों ने किया विरोध

जनहित याचिका में तर्क दिया गया है कि अगर बाल विवाह पंजीकृत कर लिया जाता है तो उसे बाद में रद्द करना और मुश्किल हो जाएगा.  याचिका में कहा गया है कि जब बाल विवाह का शिकार बाद में वयस्क होने पर विवाह को रद्द कराने को तैयार हो जाता है तब उसे एक पंजीकरण प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने की आवश्यकता होगी, जिस तक उनकी पहुंच हो भी सकती है और नहीं भी.

चूंकि राजस्थान विधानसभा में विधेयक पारित हो चुका है, इसलिए राजस्थान उच्च न्यायालय के पास जनहित याचिका की सुनवाई का प्राथमिक क्षेत्राधिकार है.

बाल विवाह को वैध करने के आरोपों के बीच राजस्थान में नए बिल पर बवाल

जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि बाल विवाह को भी अनिवार्य बनाते हुए, राजस्थान सरकार ने विवाह के अनिवार्य पंजीकरण पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या की है क्योंकि इस मामले पर कोई जनमत नहीं मांगी गई है. एनएफएचएस के 2015-2016 के आंकड़ों के अनुसार, कम उम्र में विवाह के 35% मामले राजस्थान में होते हैं.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Maharashtra Politics: Balasaheb Thackeray के उत्तराधिकारी पर क्या बोले Vageesh Saraswat | NDTV India