एनआईए (NIA) की जांच के अनुसार, ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया' (पीएफआई) राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में युवाओं को शामिल करने के लिए सोशल मीडिया का व्यापक स्तर पर इस्तेमाल कर रहा था और अब प्रतिबंधित किए जा चुके इस संगठन के एक मॉड्यूल ने तमिलनाडु के पहाड़ी इलाके वट्टक्कनल में आने वाले विदेशियों, खासकर यहूदियों पर हमला करने की तैयारी भी कर ली थी. एनआईए के अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी की जांच के अनुसार, इस मॉड्यूल में करीब 15 युवा और दक्षिणी राज्यों में उनसे जुड़े लोग शामिल थे.
इनमें अधिकतर पीएफआई के सदस्य या वे लोग शामिल थे, जो वैश्विक आतंकवादी संगठन आईएसआईएस का समर्थन करते हैं. इस मॉड्यूल ने भारत में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के इरादे से उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों, वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और अहमदिया समुदाय के मुसलमानों पर हमला करने की भी साजिश रची थी.अधिकारियों ने बताया कि मॉड्यूल ने महत्वपूर्ण व्यक्तियों और सार्वजनिक महत्व के स्थानों को लक्षित करने के लिए विस्फोटक और अन्य विनाशकारी सामग्री एकत्र करके सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए आपराधिक साजिश रची थी. उन्होंने बताया कि मॉड्यूल - अंसार-उल-खिलाफा केरल - आईएसआईएस / आईएसआईएल में शामिल करने के लिए मुस्लिम युवाओं को भर्ती करने, उन्हें इसके लिए प्रोत्साहित करने और कट्टरपंथी बनाने के एक गुप्त अभियान में शामिल था.
उन्होंने बताया कि इससे जुड़े लोगों ने आईएसआईएस की विचारधारा के प्रचार के लिए विभिन्न इंटरनेट आधारित मंचों का इस्तेमाल किया. जांचकर्ताओं द्वारा की गई सक्रिय निगरानी के दौरान मंसीद, स्वालित मोहम्मद, राशिद अली सफवान और जसीम एन नामक पांच संदिग्धों का पता लगाया गया. उन्हें दो अक्टूबर, 2016 को केरल के कन्नूर जिले से उस समय गिरफ्तार किया गया, जब वे कथित रूप से सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश रचने के लिए बैठक कर रहे हैं.
अधिकारियों ने बताया कि आरोपियों के आवास पर बाद में छापा मारा गया और वहां से डिजिटल उपकरणों एवं दस्तावेजों सहित अन्य सामग्री जब्त की गई. उन्होंने बताया कि आरोपियों को हिरासत में लेकर की गई पूछताछ से पता चला कि उन्होंने भारत के भीतर और बाहर अन्य साजिशकर्ताओं के साथ मिलकर फेसबुक एवं टेलीग्राम आदि जैसे सोशल मीडिया मंचों पर कथित रूप से सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए संवाद किया था. इनमें से एक आरोपी स्वालित मोहम्मद ने खुलासा किया कि उनकी गतिविधियों के वित्त पोषण के लिए उन्हें संयुक्त अरब अमीरात में अपने सहयोगियों से धन मिलता था.
अधिकारियों ने बताया कि आरोपियों ने आईएसआईएस की विचारधारा का प्रत्यक्ष रूप से और सोशल मीडिया के जरिए प्रचार किया एवं साजिश रची और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए सदस्यों की भर्ती की. उन्होंने ‘द गेट', ‘बाब अल नूर', ‘प्ले ग्राउंड' आदि जैसे विभिन्न टेलीग्राम समूह बनाए थे. अधिकारियों के अनुसार, जांच से पता चला कि आरोपियों ने साजिश रची और कोडाईकनाल के निकट वट्टक्कनल आने वाले विदेशियों, खासकर यहूदियों पर, केरल में कोझिकोड के प्रमुख राजनीतिक नेताओं पर और कोच्चि में जमात-ए-इस्लामी के एक कार्यक्रम पर हमला करने की तैयारी की.वट्टक्कनल तमिलनाडु के डिंडीगुल जिले में एक छोटा पर्वतीय क्षेत्र है, जहां हर साल सैकड़ों इजराइली युवा इजराइल में अनिवार्य सैन्य सेवा के बाद छुट्टियां मनाने आते हैं. एनआईए की जांच में यह भी पाया गया है कि भारत में आईएसआईएस के आतंकवादी नेटवर्क के लिए काम कर रहे केरल निवासी शाजहां ने कथित तौर पर आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए पहले तुर्की/सीरिया की भी यात्रा की थी और उसे वहां से निर्वासित कर दिया गया था.
एनआईए ने पाया कि शाजहां नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट में शामिल हो गया था, जो कि पीएफआई का शुरुआती रूप था. अधिकारियों ने बताया कि वह हारिस, शबीर, मनफ, मुस्तफा, सादिक, शाजिल जैसे पीएफआई नेताओं के संपर्क में आया. वह 2008 में सभी पीएफआई बैठकों में शामिल हुआ था जहां भारत तथा दुनिया के अन्य हिस्सों में ‘काफिरों' द्वारा मुस्लिमों पर किए जा रहे अत्याचारों पर चर्चा होती थी.
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