उत्तराखंड के देहरादून में त्रिपुरा के MBA छात्र अंजेल चकमा की नस्लीय हमले में मौत हो गई थी. छात्र को नस्लीय गालियां दी गई और उस पर चाकू से हमला किया गया. चोट के बाद आईसीयू में 14 दिन तक जिंदगी और मौत से जंग लड़ने के बाद अंजेल चकमा की 27 दिसंबर को मौत हो गई थी. इस घटना के बाद पूरे उत्तर-पूर्व में आक्रोश पैदा हो गया. पीड़ित परिवार ने हमलावरों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है. छात्र संगठनों ने भी इस घटना को नस्लीय भेदभाव की कड़ी मिसाल बताते हुए केंद्र सरकार से 'उत्तर-पूर्व के युवाओं के खिलाफ देश में फैले नस्लीय उत्पीड़न को रोकने के लिए ठोस कदम' उठाने की अपील की है.
सुप्रीम कोर्ट के वकील ने दायर की याचिका
अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. याचिका में उत्तर-पूर्वी राज्यों के नागरिकों के खिलाफ नस्लीय अपमान और हिंसा को ‘हेट क्राइम' की अलग श्रेणी में मान्यता देने और देशभर में विशेष पुलिस इकाइयों व नोडल एजेंसियों के गठन की मांग की गई है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट से कानून बनने तक अंतरिम दिशानिर्देश तय करने की मांग की गई है. ये याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील अनूप प्रकाश अवस्थी ने दाखिल की है.
जागरूकता कार्यक्रमों के निर्देश देने की मांग
याचिका में कहा गया है कि “चीनी”, “चिंकी” जैसे नस्लीय अपशब्द सामाजिक बहिष्कार, मानसिक आघात और जानलेवा हिंसा को बढ़ावा देते हैं, जो अनुच्छेद 14, 19 और 21 का सीधा उल्लंघन है. याचिकाकर्ता ने केंद्र और राज्यों में विशेष पुलिस इकाइयों, स्थायी नोडल एजेंसियों और शैक्षणिक संस्थानों में जागरूकता कार्यक्रमों के निर्देश देने की मांग की है.
सजा तय करने के लिए कानून बनाने की मांग
याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत उपयुक्त रिट, आदेश या निर्देश जारी करने की मांग की है, ताकि देश में प्रचलित नस्लीय भेदभाव और हिंसा की समस्या का प्रभावी समाधान किया जा सके. याचिका में विशेष रूप से ‘रेशियल स्लर' (नस्लीय अपमानजनक टिप्पणी) को हेट क्राइम की एक अलग श्रेणी के रूप में मान्यता देने और इसके लिए सजा तय करने हेतु, कानून बनने तक अंतरिम दिशानिर्देश तैयार करने की मांग की गई है.
इसके अलावा, केंद्र और राज्य स्तर पर एक स्थायी नोडल एजेंसी, आयोग या निदेशालय के गठन का भी अनुरोध किया गया है. जहां नस्लीय अपराधों की शिकायत दर्ज कर उनका समाधान किया जा सके. याचिका में प्रत्येक जिले और महानगरीय क्षेत्र में ऐसे अपराधों से निपटने के लिए विशेष पुलिस इकाई गठित करने के निर्देश देने की भी मांग की गई है. याचिकाकर्ता ने यह भी आग्रह किया है कि केंद्र और राज्य सरकारें शैक्षणिक संस्थानों में कार्यशालाओं और बहस का आयोजन करें, ताकि नस्लीय भेदभाव की समस्या और उसके समाधान के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके.
9 दिसंबर को हुआ था हमला
देहरादून के सेलाकुई इलाके में नस्लीय हमले में त्रिपुरा के 24 वर्षीय एमबीए छात्र अंजेल चकमा की मौत हो गई. जिन्हें 9 दिसंबर 2025 को देहरादून के सेलाकुई इलाके में केवल उनकी उत्तर-पूर्वी पहचान के आधार पर नस्लीय गालियां दी गईं और चाकू से हमला किया गया. गंभीर चोटों के चलते 14 दिनों तक आईसीयू में रहने के बाद 27 दिसंबर 2025 को उनकी मौत हो गई.
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