सरकारी धन से मुफ्त चुनावी तोहफों का वादा करने वाले दलों पर रोक की याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल

याचिका में कहा गया है कि अनुचित तरीके से मतदाताओं का राजनीतिक समर्थन हासिल करने के लिए उठाए जाने वाले इस तरह के लोकलुभावन कदमों पर पूरी तरह पाबंदी लगनी चाहिए, क्योंकि इससे संविधान का उल्लंघन होता है.

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सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है
नई दिल्ली:

उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है और निर्वाचन आयोग को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि उन राजनीतिक दलों को अपंजीकृत कर दिया जाए या उनके चुनाव चिह्न जब्त कर लिए जाएं, जो चुनाव से पहले सार्वजनिक धन से अतार्किक चुनावी तोहफे देने का वादा करते हैं या इन्हें बांटते हैं. याचिका में कहा गया है कि अनुचित तरीके से मतदाताओं का राजनीतिक समर्थन हासिल करने के लिए उठाए जाने वाले इस तरह के लोकलुभावन कदमों पर पूरी तरह पाबंदी लगनी चाहिए, क्योंकि इससे संविधान का उल्लंघन होता है.

याचिका में कहा गया है कि निर्वाचन आयोग को तर्कसंगत निवारक उपाय करना चाहिए. याचिका के जरिए शीर्ष न्यायालय से यह घोषित करने का आग्रह किया गया है कि चुनाव से पहले सार्वजनिक धन से अतार्किक चुनावी तोहफे देने का वादा मतदाताओं को अनुचित रूप से प्रभावित करता है, समान अवसर प्रदान करने के नियम को बिगाड़ता है और चुनाव प्रक्रिया की पवित्रता को दूषित करता है.

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अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर याचिका में एक विकल्प के रूप में न्यायालय से केंद्र को इस संबंध में एक कानून बनाने का निर्देश देने की मांग की गई है.

अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे के मार्फत दायर याचिका में कहा गया है, ‘‘याचिकाकर्ता का कहना है कि राजनीतिक दलों द्वारा चुनावी तोहफे देकर मतदाताओं को प्रभावित करने की हालिया प्रवृत्ति न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों के अस्तित्व के लिए बड़ा खतरा है, बल्कि यह संविधान की भावना को भी चोट पहुंचाती है.''

याचिका में कहा गया है, ‘‘यह अनैतिक परंपरा सत्ता में बने रहने के लिए मतदाताओं को सरकारी खजाने से रिश्वत देने की तरह है. लोकतांत्रिक सिद्धांतों और परंपराओं को संरक्षित करने के लिए इस प्रवृत्ति को रोकना होगा.''

याचिका में चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश 1968 के संबद्ध पैराग्राफ में एक अतिरिक्त शर्त शामिल करने के लिए निर्वाचन आयोग को एक निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है, जो एक राज्य स्तरीय पार्टी के रूप में मान्यता के लिए शर्तों से संबंधित है. इस अनुरोध का मकसद यह है कि चुनाव से पहले राजनीतिक दल सार्वजनिक धन से चुनावी तोहफे देने का वादा नहीं करें.

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याचिकाकर्ता ने कहा है कि चुनाव से पहले सार्वजनिक धन से निजी वस्तुओं या सेवाओं का वादा या वितरण, जो सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए नहीं है, संविधान के कई अनुच्छेदों का उल्लंघन करता है, जिसमें अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) भी शामिल है.

याचिका में कुछ राज्यों में चल रही विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया में कुछ राजनीतिक दलों द्वारा किए गए वादों का उल्लेख किया गया है. याचिकाकर्ता ने कहा कि लोकतंत्र का आधार चुनावी प्रक्रिया है और पैसे बांटना तथा चुनावी तोहफे देने का वादा कई बार चुनाव रद्द कराने की वजह बनने के साथ-साथ एक खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है.

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याचिकाकर्ता की दलील है कि चुनावी तोहफे देने के मनमाने और अतार्किक वादे से आयोग के उस आदेश का उल्लंघन होता है, जिसमें स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराये जाने की बात कही गई है.

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