सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सेना की महिला अधिकारियों की ओर से दायर अवमानना याचिका पर 22 अक्टूबर को जस्टिस चंद्रचूड और जस्टिस नागरत्ना की बेंच में अहम सुनवाई होगी. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 8 अक्टूबर को सेना से कहा था कि आप अपने स्तर पर यह मामला सुलझाएं. ऐसा ना करें कि इसको लेकर हमें कोई आदेश फिर से देना पड़े. महिलाओं अधिकारियों की मानें तो सुप्रीम कोर्ट ने 25 मार्च 2021 को फैसला सुनाया था कि जिन महिलाओं के स्पेशल सेलेक्शन बोर्ड में 60 फीसदी से मिले हैं और जिनके खिलाफ डिसिप्लिन और विजिलेंस मामले नहीं हैं, उन महिला अधिकारियों को सेना परमानेंट कमीशन दे. इसके बाद इन महिलाओं को स्थाई कमीशन अब तक नहीं दिया गया है.
सेना किसी ना किसी वजह से इन महिलाओं को स्थाई कमीशन नहीं दे रही है. यही नहीं इन महिलाओं को सेना ने रिलीज करना शुरू कर दिया, जिस पर फिलहाल कोर्ट ने रोक लगा दी है. 10 अगस्त को इन महिलाओं ने रक्षा मंत्रालय और सेना को कानूनी नोटिस भेजा उसका भी कोई जवाब नहीं मिला तब जाकर इन महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा फिर से खटखटाया है.
सेना में वैसे तो अभी 1500 के करीब महिला अफसर हैं. पुरुष अफसरों की तादाद 48,000 के आसपास है. पुरुष अधिकारियों की तुलना में यह संख्या करीब तीन फीसदी ही है. अब सेना की इन 72 महिला अफसरों की उम्मीद सर्वोच्च न्यायालय पर ही टिकी है कि जो इनको सेना में स्थाई कमीशन दिला सकती है.