"पूर्व में रहने वाले चीनी तो दक्षिण के लोग दिखते हैं अफ्रीकी", सैम पित्रोदा के बयान पर मचा बवाल

उनके इस बयान पर बीजेपी नेता हिमंत बिस्वा सरमा ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, "सैम भाई, मैं नॉर्थ ईस्च से हूं और मैं भारतीय लगता हूं. हमारा देश विविधताओं का देश है - हम भले ही अलग दिखते हैं लेकिन हम सब एक हैं. हमारे देश के बारे में थोड़ा तो समझ लो."

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नई दिल्ली:

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैम पित्रोदा पिछले महीने अमेरिका में विरासत कर के बारे में अपने कमेंट के कारण चर्चाओं में आए थे. उनके इस बयान के कारण सत्तारूढ़ बीजेपी ने बड़े पैमाने पर कांग्रेस और उन पर निशाना साधा था और अब अपने नए बयान के कारण उन्होंने बहस का नया मुद्दा छेड़ दिया है. द स्टेटमेंट को दिए एक्सक्लूजीव इंटरव्यू में सैम पित्रोदा ने भारत को विविधतापूर्ण देश बताया, जहा पूर्व के लोग चीनी जैसे दिखते हैं, पश्चिम के लोग अरब जैसे, उत्तर के लोग गोरे और दक्षिण के लोग अफ्रीका जैसे दिखते हैं. हालांकि, उनके इस बयान से कांग्रेस ने किनारा कर लिया है. 

उनके इस बयान पर बीजेपी नेता हिमंत बिस्वा सरमा ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, "सैम भाई, मैं नॉर्थ ईस्च से हूं और मैं भारतीय लगता हूं. हमारा देश विविधताओं का देश है - हम भले ही अलग दिखते हैं लेकिन हम सब एक हैं. हमारे देश के बारे में थोड़ा तो समझ लो."

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एक्टर से राजनेता और हिमाचल प्रदेश के मंडी से भाजपा की लोकसभा उम्मीदवार कंगना रनौत ने भी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सैम पित्रोदा पर "नस्लवादी" और "विभाजनकारी" टिप्पणियां करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, "सैम पित्रोदा, राहुल गांधी के मेंटर हैं. भारतीयों पर उनकी नस्लवादी और विभाजनकारी टिप्पणी को सुनें. उनकी आइडियोलॉजी ही डिवाइड और रूल की है. भारतीयों को चीनी और अफ्रीकी कहना गलत है." 

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पित्रोदा ने कहा कि "देश में आइडियाज को लेकर भी विविधिता है" और उन्होंने कहा, "इसका मतलब ये नहीं है कि कौन सही या गलत है.. बल्कि सवाल यह है कि आप किस में यकीन करते हैं." उन्होंने कहा, "... एक अन्य दृष्टिकोण है जो कहता है कि हमारे संस्थापकों ने हिंदू राष्ट्र के लिए नहीं बल्कि धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के लिए ब्रिटिश राज का विरोध किया था. पाकिस्तान ने धर्म के आधार पर अलग होने का फैसला किया था... और आप देख सकते हैं कि इसकी वजह से क्या हुआ. हम दुनिया में लोकतंत्र का जीता-जागता उदाहरण हैं. यहां-वहां के कुछ झगड़ों को छोड़ दें तो हमने खुशनुमा माहौल में 70 से 75 साल बिताए हैं."

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उन्होंने कहा, "हम सभी भाई और बहन हैं और हम अलग-अलग भाषाओं, धर्मों और खाने का सम्मान करते हैं. गुजराती होने के नाते मुझे डोसा पसंद हैं और अगर मैं तमिलनाडु जाता हूं और वहां की भाषा में बात करता हूं तो यह सामान्य है. मैं तब भी अपने घर पर हूं... यह मेरा भारत है, जो लोकतंत्र, स्वतंत्रता और बंधुत्व में निहित है."

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