पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने सोमवार को ही घोषणा की है कि उनकी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) अब भारतीय जनता पार्टी (BJP) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का हिस्सा नहीं है. इसके बाद एनडीटीवी से एक्सक्लूसिव बात करते हुए उन्होंने कई मुद्दों पर अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि हमारे साथ नाइंसाफी हुई, एनडीए ने चिराग पासवान का साथ देने का फैसला किया, इसीलिए अब हम उस गठबंधन से अलग होते हैं.
पशुपति पारस ने कहा कि बिहार में दलितों के साथ अत्याचार हो रहा है. मैं आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए के उम्मीदवारों के खिलाफ लड़ूंगा और जो भी मजबूत उम्मीदवार उनके खिलाफ खड़ा होगा, हम उसका समर्थन कर उसे जिताएंगे.
तेजस्वी को सीएम बनाए जाने के सवाल पर पशुपति पारस ने कहा कि हमलोग सबसे वफादार माने जाते हैं. हम महागठबंधन में शामिल होंगे तो उस गठबंधन के मुखिया अगर सीएम बनें तो मुझे कोई एतराज नहीं है.
इस मौके पर पारस ने रामविलास पासवान को 'दूसरा आंबेडकर' बताते हुए उन्हें भारत रत्न से अलंकृत करने की भी मांग की. उन्होंने कहा, "मैं 2014 से राजग के साथ रहा हूं. लेकिन, आज मैं घोषणा करता हूं कि अब से मेरी पार्टी का राजग के साथ कोई संबंध नहीं होगा.”
पारस ने पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले केंद्रीय मंत्री के पद से उस समय इस्तीफा दे दिया था, जब उनके भतीजे चिराग की लोक जनशक्ति पार्टी-रामविलास (लोजपा-आरवी) को राजग की घटक के रूप में चुनाव लड़ने के लिए पांच सीटें आवंटित की गई थीं और इन सभी सीटों पर पार्टी उम्मीदवार विजयी रहे थे.
लोजपा (आरवी) को जो सीटें मिली थीं, उनमें रामविलास पासवान का गढ़ कहलाने वाली हाजीपुर सीट भी शामिल थी, जिससे पारस 2019 में लोकसभा सदस्य चुने गए थे. वर्तमान में इस सीट का प्रतिनिधित्व चिराग कर रहे हैं, जो केंद्रीय मंत्री भी हैं.
इसके अलावा, राज्य सरकार ने पारस से वह बंगला खाली कराकर चिराग को आवंटित कर दिया, जिससे वह (पारस) अपनी पार्टी का संचालन कर रहे थे.
पारस ने 2020 के विधानसभा चुनावों के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ अपने भतीजे के विद्रोह को अस्वीकार करते हुए उनसे नाता तोड़ लिया था.
रालोजपा के कार्यक्रम में पारस ने नीतीश पर 'दलित विरोधी' होने का आरोप लगाया और दावा किया कि 38 में से 22 जिलों का दौरा करने के बाद उन्हें एहसास हो गया है कि बिहार एक नयी सरकार चाहता है.
हाल-फिलहाल में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद से कई बार मुलाकात कर चुके पारस ने हालांकि अपने पत्ते नहीं खोले. उन्होंने कहा, "मैं बाकी 16 जिलों का दौरा भी जल्द पूरा करना चाहता हूं और राज्य के सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी को मजबूत करना चाहता हूं."