"हाईकमान ने माना, हमारे अंदर चुनाव लड़ने की क्षमता नहीं", एनडीटीवी से बोले कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित

उन्होंने कहा, इस मुद्दे से यह साबित होता है कि हमारे अंदर चुनाव लड़ने की क्षमता नहीं है. दीक्षित ने कहा, जब खबर आई कि प्रशांत किशोर जैसे व्यक्ति से कांग्रेस बात कर रही है.

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Sandeep Dixit ने कांग्रेस को लेकर अपनी राय सामने रखी

नई दिल्ली:

प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) की कांग्रेस से बात न बन पाने के बात पार्टी नेताओं की प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी हैं. कांग्रेस की कमजोरियों औऱ चुनावी रणनीति जैसे मुद्दों पर एनडीटीवी ने पार्टी नेता संदीप दीक्षित (Sandeep Dikshit) से बातचीत की, उन्होंने कहा, इस मुद्दे से यह साबित होता है कि हमारे अंदर चुनाव लड़ने की क्षमता नहीं है. दीक्षित ने कहा, जब खबर आई कि प्रशांत किशोर जैसे व्यक्ति से कांग्रेस (Congress) बात कर रही है. माना जाता है कि उनके पास पॉलिटिकल दक्षता है,  इससे एक संतोष हुआ कि पार्टी के हाईकमान ने इसे माना है कि हमारे अंदर चुनाव लड़ने की क्षमता नहीं है. इसलिए हमें बाहर व्यक्ति की ज़रूरत होगी. कांग्रेस जो गंभीर चिंताओं से गुजर रही है, उसमें इस तरह का कदम सकारात्मक था. आगे तो अटकलें हो सकती हैं इसलिए बात आगे नहीं बढ़ी. मुझे इस बात से निराशा हुई. मुझे लगता था कि हमारा संदेश अच्छा है, लेकिन लोगों के बीच में हमारी इमेज जानी चाहिए उसमें कमी और अटकलें आ रही थीं. 

प्रशांत कशोर जैसा व्यक्ति जो इतने बड़े हैं, वो ये दिखा रहे थे कि वो ये कर सकते हैं, जो हम अपने आप में नहीं कर पाएंगे. मुझे उनके आने से बहुत आशा थी, इससे निराशा हुई है. नई कांग्रेस को बनाने में ये पीछे हटने वाला कदम था. हमने तय कर लिया है कि हमें अपने आप को बदलना है. अब वो बदलाव अंदर से आए या बाहर के किसी आदमी से आए. वो दोनों रास्ता सही है, जो कमियां कांग्रेस में गिनाई जाती है उसमें सीनfयर नेतृत्व की अहम भूमिका होती है. अंदर से बदलाव की उम्मीद नहीं दिख रही है.,इसलिए कोई बाहर का आदमी आ जाए.  बाहर के आदमी को हर संगठन यूज करता है. अगर हम ये करते तो वो सब कर पाते तो आम कार्यकर्ता समझता है कि पार्टी के अंदर होना चाहिए. हमें नहीं पता कि कौन लोग हैं, जिन्होंने इंट्री नहीं होने दी. किसने क्या कहा- वो नही पता मीडिया से अलग अलग बातें पता चलती हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित ने कहा,पंजाब और उत्तराखंड के चुनाव को लीजिए.ये क्लासिक कहानी है कि किस तरह से चुनाव को हारा जाता है. मैं पंजाब में इंवॉल्व था. मैंने अपने सामने चुनाव हारते देखा है. इसके लिए एआईसीसी जिम्मेदार थी. अगर कांग्रेस के तरीके ठीक नहीं पाए गए हैं. तो कार्यक्रताओं को लगता है. जो सिस्टम में ऊपर बैठा होता है,जिम्मेदार वही होता है. कांग्रेस के कार्यकर्ता इससे झिझकते हैं. अभी जिस तौरतरीके से एआईसीसी काम करती है.

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उन्होंने कहा, शायद किसी जमाने में ये तौरतरीके सही रहे होंगे. आज की स्थिति में हमारा नेतृत्व सक्षम नहीं है और ये बात साफ है. इसलिए हमें इस स्थिति में बाहर के लोगों का वेलकम करना चाहिए. प्रशांत किशोर को न लेने के कारण मुझे गंभीर नहीं लगते. हमारे जो तीन बड़े नेता है राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी ज्यादातर निर्णय़ यहीं लोग लेते हैं. पहले भी प्रशांत किशोर ने कुछ ऐसी शर्तें रखी थीं,जो लोगों को पसंद नहीं आईं. दोबारा संवाद में कुछ चीज़ें स्पष्ट होना चाहिए. जब किसी जानकार से लंबे समय की बात करेंगे तो कुछ मापदंड तय हो जाने चाहिए. बाकी बातें उसके बाद करनी चाहिए.

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उन्होंने कहा, आपको मानना चाहिए कि आप नेता हो और गर्व होना चाहिए. राजनीति का रास्ता सत्ता से होकर जाता है. समाज सेवा से होकर नहीं.राजनीति में समाज सेवा देश सेवा के रास्ते पक्ष विपक्ष के माध्यम से लेते हैं. जिन्हें इन राहों पर भरोसा नही है, उनके लिए और भी राह है, पार्टी पॉलिटिक्स के लिए होती है. जिन्हें पॉलिटिक्स से परहेज हैं उन्हें अलग रहना चाहिए. गौरतलब है कि राहुल गांधी ने कहा था कि वो सत्ता के बीच पले-बढ़े हैं, लेकिन उसकी इच्छा नहीं है.

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दीक्षित ने कहा, कोई जी23 ग्रुप नहीं है. कुछ लोग एक तरीके से सोच रहे थे. गुलाब नबी आजाद ने कहा कि हम अपनी बात सोनिया जा को कहना चाहते हैं. तो जो लोग इससे राज़ी थे हमने पत्र साथ में लिखा. उसमें जो भाावनाएं थीं वो आज भी वैसी ही हैं.जी23 का कोई मकसद नहीं है. हमारी सोच कांग्रेस के द्वारा है. हम कोशिश करेंगे कि नेतृत्व हमारी बात सुने. हमारा काम है जनता के लिए काम करना, उसमें हम कमजोर पड़ते हैं तो जनता का काम है नेतृत्व पर सवाल उठाना. कांग्रेस को ये तय करना चाहिए कि उस चेहरे को जनता के सामने रखें जो लोकप्रयता ज्यादा ले पाएगा. बहुत बार हमने ट्राई किया और जनता ने उस पर मुहर नहीं लगाई. लोकतंत्र में जनता लोकप्रियता का रास्ता दिखाती है.

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