ग्रामीण विकास से जुड़े मामलों पर संसद की स्थायी समिति ने गुरुवार को MGNREGA योजना के कार्यान्वयन में आ रही अड़चनों और चुनैतियों की समीक्षा की. ग्रामीण विकास मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारीयों ने संसदीय समिति के सामने MGNREGA के कार्यान्वयन से जुड़े अहम तथ्य पेश किये. कोरोना महामारी के दौर में ग्रामीण इलाकों में MGNREGA करोड़ों ग्रामीण वर्करों और प्रवासी मज़दूरों के लिए रोज़गार का अहम जरिया बनकर उभरा है.
सूत्रों के मुताबिक बैठक में MGNREGA के तहत मज़दूरों की तरफ से आ रही शिकायतों पर चर्चा हुई. बैठक में कुछ सांसदों ने ये सवाल उठाया कि MGNREGA के तहत मौजूदा 200 रुपये की मज़दूरी दर खेती से जुड़े दूसरे कामों में ग्रामीण वर्करों को मिलने वाली मज़दूरी से काफी कम है.
देश के कई इलाकों में गैर-मनरेगा कामों के लिए ग्रामीण वर्करों को मज़दूरी 400 से 500 प्रति दिन की रेट पर मिल रही है. इस वजह से ग्रामीण वर्कर बड़ी संख्या में MGNREGA में काम नहीं मांग रहे और कई इलाकों में MGNREGA का काम प्रभावित हो रहा है.
बैठक में MGNREGA के तहत कार्य सूची को और बढ़ाने का भी सवाल उठा. कुछ सांसदों ने कहा की MGNREGA के तहत कार्य सूची को बढ़ाना जरूरी है, नए कामों को शामिल करने से ग्रामीण भारत में स्थायी विकास का काम और तेज हो सकेगा.
- - ये भी पढ़ें - -
* भारत में पिछले 24 घंटे में नए COVID-19 केसों में 14.2 फीसदी बढ़ोतरी
* 'नवीन पटनायक ने भाजपा नेता पर हमले के आरोपी बीजद विधायक को निलंबित किया
* अगले महीने आ सकती है कोरोना की तीसरी लहर, NIDM की रिपोर्ट में कई सुझाव