Parliament winter session :संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन की हंगामेदार शुरुआत हुई. संसद के मॉनसून सत्र के दौरान हंगामा करने के लिए राज्य सभा से 12 सांसद पूरे सत्र के लिए निलंबित (Suspension) कर दिए गए हैं. संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी (Pralhad Joshi)ने मंगलवार सुबह ट्वीट कर कहा कि सदन की गरिमा बनाए रखने के लिए सरकार को मजबूरी में निलंबन का यह प्रस्ताव सदन के सामने रखना पड़ा. लेकिन यदि ये 12 सांसद अभी भी अपने दुर्व्यवहार के लिए सभापति और सदन से माफी मांग लें, तो सरकार भी उनके प्रस्ताव पर खुले दिल से सकारात्मक रूप से विचार करने को तैयार है. उन्होंने यह भी कहा, 'सरकार हर मुद्दे पर नियमानुसार बहस करने और हर सवाल का जवाब देने को तैयार है. कल से सदन में कई महत्वपूर्ण बिल सदन में पेश किए जाने हैं. मैं एक बार फिर सभी पार्टियों से सदन को चलने देने और इन सभी बिलों पर सार्थक एवं स्वस्थ चर्चा करने की अपील करता हूं. 'विपक्ष चाहता हैं कि 12 सांसदों का निलंबन वापस हो, इस मुद्दे पर उन्होंने कांग्रेस की ओर से बुलाई गई बैठक के बाद राज्यसभा के चेयरमैन से भी मुलाकात की है.
इस बीच, उधर, मंगलवार को संसद की कार्यवाही शुरू होते ही लोकसभा में विपक्ष के सांसदों ने वॉक आउट किया. शोरशराबे के बीच उनको अपनी बात कहने का मौका नही मिला. हंगामे के चलते लोकसभा की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक स्थगित करनी पड़ीगौरतलब है कि मॉनसून सत्र में हंगामा करने के लिए सांसदों के खिलाफ यह कार्रवाई हुई है.उच्च सदन के जिन 12 सांसदों को सोमवार को सस्पेंड किया गया उनके नाम एल्मारम करीम (माकपा), फुलो देवी नेताम (कांग्रेस), छाया वर्मा (कांग्रेस), रिपुन बोरा (कांग्रेस), बिनोय विस्वाम (भाकपा), राजमणि पटेल (कांग्रेस), डोला सेन ( तृणमूल कांग्रेस), शांत छेत्री ( तृणमूल कांग्रेस), सैयद नासिर हुसैन ( कांग्रेस), प्रियंका चतुर्वेदी ( शिवसेना), अनिल देसाई (शिवसेना) और अखिलेश प्रसाद सिंह ( कांग्रेस) शामिल हैं. उपसभापति हरिवंश की अनुमति से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस सिलसिले में एक प्रस्ताव रखा जिसे विपक्षी दलों के हंगामे के बीच सदन ने मंजूरी दे दी.
संसद के मॉनसून सत्र में राज्यसभा में हंगामे के दौरान धक्का-मुक्की करने और सदन की मर्यादा का कथित तौर पर उल्लंघन करने के आरोपों के बाद राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने इस मामले की जांच के लिए एक समिति गठित की थी. इस समिति की सिफारिशों के आधार पर इन सांसदों के खिलाफ सोमवार को कार्रवाई की गई. संजय सिंह, प्रताप सिंह बाजवा वगैरह को इसलिए सस्पेंड नहीं किया गया क्योंकि उनका मामला दस अगस्त का था. जिन्हें सस्पेंड किया गया उनका मामला 11 अगस्त का है जो मॉनसून सत्र का अंतिम दिन था, इसीलिए उनके खिलाफ आज कार्रवाई की गई है. दूसरी ओर, विपक्ष का कहना है कि 12 सांसदों का निलंबन नियमों के खिलाफ है. नियम 256 के अनुसार सदस्य को सत्र के बाकी बचे समय के लिए निलंबित किया जाता है. चूंकि मॉनसून सत्र 11 अगस्त को ही समाप्त हो चुका है ऐसे में इस सत्र में सदस्यों का निलंबन गलत है. विपक्ष इस मामले में सरकार के खिलाफ सामूहिक रूप से रणनीति बनाकर 'हमले' की तैयारी कर रहा है.