- संसद के शीतकालीन सत्र में लोक सभा की उत्पादकता 111 प्रतिशत और राज्य सभा की 121 प्रतिशत दर्ज की गई थी
- शीतकालीन सत्र के दौरान लोक सभा में दस विधेयक पेश किए गए जिनमें से आठ विधेयक पारित किए गए
- राज्य सभा ने कुल लगभग 92 घंटे कार्य किया और इस सत्र के दौरान 58 तारांकित प्रश्न तथा 208 शून्यकाल निवेदन लिए
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान राजनीतिक हंगामा, विरोध प्रदर्शन के बीच अच्छा काम-काज हुआ. लोक सभा सचिवालय के मुताबिक सदन में तय समय से ज़्यादा काम हुआ और इस सत्र के दौरान सदन की प्रोडक्टिविटी 111% रही. राज्य सभा में काम लोक सभा से ज़्यादा हुआ, उच्च सदन में उत्पादकता 121% दर्ज़ की गयी.
सत्र के आखिरी दिन लोक सभा स्पीकर ओम बिरला ने सदन में कहा, "सभी माननीय सदस्यों के सहयोग से सदन की उत्पादकता 111 प्रतिशत के करीब रही. सदन की कार्यवाही के सुचारु संचालन के लिए माननीय प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष, सत्ता पक्ष एवं प्रतिपक्ष के सभी माननीय सदस्यों, लोक सभा सचिवालय तथा मीडिया के प्रति हार्दिक आभार."
लोक सभा सचिवालय के मुताबिक सत्र के दौरान सदन में 10 विधेयक पेश किए गए, जिनमें से 8 विधेयक पारित किए गए.
पारित किये गए विधेयक हैं:
(i) मणिपुर वस्तु एवं सेवा कर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2025;
(ii) केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025;
(iii) स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025;
(iv) विनियोग (संख्या 4) विधेयक, 2025;
(v) निरसन एवं संशोधन विधेयक, 2025;
(vi) सबका बीमा सबकी रक्षा (बीमा कानून में संशोधन) विधेयक, 2025;
(vii) भारत के रूपांतरण हेतु परमाणु ऊर्जा के सतत दोहन एवं संवर्धन विधेयक, 2025; और
(viii) विकसित भारत - रोजगार गारंटी और आजीविका मिशन (ग्रामीण): वीबी - जी राम जी ( विकसित भारत- जी राम जी) विधेयक, 2025
शून्यकाल के दौरान लोक सभा के सांसदों ने सार्वजनिक महत्व के कुल 408 मामले उठाए गए, और नियम 377 के तहत कुल 372 मामलों पर चर्चा हुई. 11 दिसंबर, 2025 को सदन में शून्यकाल के दौरान 150 सांसदों को अपने मामले उठाने का मौका मिला.
हालांकि मनरेगा की जगह लाये गए नए "जी राम जी बिल" पर गुरुवार को मध्य रात्रि तक चली चर्चा पर चिंता जताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, "कल की बैठक के दौरान कुछ विपक्षी सदस्यों द्वारा नारेबाजी करना, तख्तियां प्रदर्शित करना, माननीय मंत्री द्वारा चर्चा का उत्तर देने को बाधित करना, पत्र फाड़ना तथा उन्हें सभापीठ के समक्ष रिक्त स्थान पर फेंकना, यह आचरण माननीय संसद सदस्यों की गरिमा के प्रतिकूल था. मैं आग्रहपूर्वक आशा करता हूं कि माननीय सदस्य आत्ममंथन करेंगे और भविष्य में इस प्रकार के अव्यवस्थित एवं अनुचित आचरण की पुनरावृत्ति नहीं करेंगे."














