साइबर क्राइम और डिजिटल फ्रॉड पर नकेल क्यों नहीं, संसद की स्थायी समिति ने जताई चिंता

बैठक के बाद एक सांसद ने एनडीटीवी को बताया कि साइबर अपराध के मामलों में सजा की दर बहुत कम है. उनके मुताबिक, 2021 से 2025 के बीच मुंबई में करीब 850 करोड़ रुपये के डिजिटल फ्रॉड दर्ज किए गए, लेकिन सिर्फ दो मामलों में ही सजा मिल पाई.

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  • संसद की स्थायी समिति ने साइबर अपराध और डिजिटल फ्रॉड पर बैठक की.
  • बैठक में साइबर क्राइम के खतरे और रोकथाम के विकल्पों पर चर्चा की गई.
  • सांसदों ने साइबर अपराधों में सजा की कम दर को लेकर चिंता व्यक्त की.
  • साइबर अपराध से बचने के उपायों के बारे में जागरूक करने पर जोर दिया.
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नई दिल्ली:

गृह मामलों पर संसद की स्थायी समिति ने देश में साइबर अपराध और डिजिटल धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों पर संसद में एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का फैसला किया है. स्थायी समिति ने बुधवार को साइबर क्राइम के बढ़ते खतरे और उसे रोकने के विकल्पों पर संसद में लगभग तीन घंटे लंबी बैठक की. 

बैठक के दौरान संसदीय समिति ने Cyber Crime – Ramifications, Protection and Prevention (साइबर क्राइम - परिणाम, प्रभाव और बचाव) विषय पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, सार्वजनिक व निजी बैंकों और कई सरकारी विभागों के प्रतिनिधियों के साथ लंबी चर्चा की.

बैठक में वित्त मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ़ फाइनेंसियल सर्विसेज (DFS), दूरसंचार विभाग (DoT), TRAI और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) की संस्था भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया दल (CERT-In) के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए .

सूत्रों के मुताबिक, सरकारी एजेंसियों और निजी कंपनियों के अधिकारियों ने संसदीय समिति को बताया कि देश में इंटरनेट की पहुंच बढ़ने और डिजिटल लेनदेन में अप्रत्याशित वृद्धि के साथ ही डिजिटल धोखाधड़ी और साइबर अपराध के मामले भी बढ़ रहे हैं. एजेंसियों ने ऐसे मामलों से सख्ती से निपटने के लिए उठाये जा रहे क़दमों से भी समिति को अवगत कराया.

सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि सांसदों ने साइबर अपराध के बढ़ते मामलों को रोकने में सिक्योरिटी एजेंसियों की विफलता पर चिंता व्यक्त की. डिजिटल धोखाधड़ी के मामलों को नियंत्रित करने के लिए उठाए जा रहे नए कदमों पर सरकारी एजेंसियों से कई सवाल भी किए.

एक सांसद ने एनडीटीवी को बताया कि साइबर अपराध के मामलों में सजा की दर बहुत कम है. उनके मुताबिक, 2021 से 2025 के बीच मुंबई में करीब 850 करोड़ रुपये के डिजिटल फ्रॉड के मामले दर्ज किए गए थे, लेकिन इस दौरान अब तक सिर्फ दो मामलों में ही दोषियों को सजा मिल पाई है.

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सांसदों का मानना है कि आम लोगों को अक्सर ये पता नहीं होता कि डिजिटल धोखाधड़ी का शिकार होने के बाद उन्हें कहां-किससे संपर्क करना चाहिए. कुछ सांसदों ने डिजिटल अपराधों के मामलों पर नकेल कसने के लिए एजेंसियों के बीच आपसी समन्वय कमज़ोर होने का मुद्दा भी उठाया.

बैठक में इस पर आम सहमति बनी कि आम लोगों को साइबर अपराध व डिजिटल धोखाधड़ी से बचने, निपटने और न्याय पाने के लिए मौजूदा विकल्पों के बारे में अधिक जागरूक करना बेहद ज़रूरी हो गया है.
 

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