कोई मुस्कुरा गया, कोई सुना गयाः किसके पास क्या तीर है, लोकसभा में इशारों में दिखा गया

लोकसभा अध्यक्ष पद के चुनाव को सत्ता पक्ष और विपक्ष ने अपनी ताकत दिखाने के अवसर के रूप में लिया, क्योंकि इस पद के लिए आमसहमति नहीं बन पाई थी. इस लड़ाई में सत्ता पक्ष ने बाजी मारी. सदन मतदान की नौबत नहीं आई और चुनाव ध्वनि मत से ही हो गया.

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नई दिल्ली:

18वीं लोकसभा की हंगामेदार शुरुआत हुई है.पहले सत्र के तीसरे दिन लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव कराया गया. यह चुनाव ध्वनिमत से हुआ.इसमें बीजेपी सांसद ओम बिरला लोकसभा अध्यक्ष चुने गए.पीएम, नेता प्रतिपक्ष और संसदीय कार्यमंत्री ने उन्हें उनके आसन तक पहुंचाया. इसके बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने उन्हें शुभकामनाएं दीं.इस क्रम में बिरला को उनके पिछले कार्यकाल की याद दिलाई गई और इस बार विपक्ष की मजबूती का एहसास दिलाया गया.वहीं बिरला के धन्यवाद ज्ञापन ने सदन में हंगामा खड़ा कर दिया.लोकसभा अध्यक्ष ने अपने धन्यवाद भाषण में आपातकाल को याद करते हुए उसकी निंदा की और दो मिनट का मौन रखा. उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का नाम लेकर उनपर हमला किया. इसका विपक्ष ने कड़ा प्रतिवाद किया. लोकसभा की आज की कार्यवाही ने आने वाले दिनों की याद दिला दी है. 

सत्ता पक्ष और विपक्ष की ताकत

लोकसभा अध्यक्ष पद के चुनाव को सत्ता पक्ष और विपक्ष ने अपनी ताकत दिखाने के अवसर के रूप में लिया, क्योंकि इस पद के लिए आमसहमति नहीं बन पाई थी. इस लड़ाई में सत्ता पक्ष ने बाजी मारी. सदन मतदान की नौबत नहीं आई और चुनाव ध्वनि मत से ही हो गया. दरअसल इस चुनाव में बीजेपी ने '400 पार' का नारा दिया था. लेकिन वह कुल 240 सीटें ही जीत पाई. एनडीए के उसके सहयोगियों को मिला लें तो उसके पास 293 सदस्य हैं. ऐसे में एनडीए यह नहीं दिखाना चाहता था कि वह कमजोर है.इसलिए उसने विपक्ष की उपाध्यक्ष पद की मांग को नहीं माना.

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला.

वहीं विपक्ष पिछली बार की तुलना में और ताकतवर हुआ है. पिछले चुनाव में 51 सीटें जीतने वाली कांग्रेस इस बार 99 सीटें जीतने में कामयाब रही है.वहीं लोकसभा चुनाव में बना इंडिया गठबंधन संसद में भी एकजुट नजर आ रहा है. विपक्ष भी सत्ता पक्ष को अपनी ताकत का एहसास दिलाना चाहता है.  

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संविधान पर आमने-सामने

इस बार के चुनाव में विपक्ष ने संविधान और आरक्षण पर खतरे को मुद्दा बनाया. विपक्षी नेताओं ने चुनाव प्रचार मं इस बात पर जोर दिया कि अगर बीजेपी सत्ता में आई तो संविधान और आरक्षण को खत्म कर देगी. इसका उसे फायदा भी मिला.विपक्षी गठबंधन अधिक संख्या में सीटें जीतने में कामयाब रहा.कांग्रेस ने अपनी सीटें करीब-करीब दो गुनी कर ली.वहीं पिछले चुनाव में पांच सीटों पर सिमटने वाली समाजवादी पार्टी ने 37 सीटें जीत लीं. उसकी यह जीत बीजेपी के अपने दम पर बहुमत हासिल करने की राह में बाधा बन गई.

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टीएमसी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन के साथ कांग्रेस नेता राहुल गांधी.

बीजेपी तमाम कोशिशें करके भी पश्चिम बंगाल में अपने सांसदों की संख्या नहीं बढ़ा पाई और तमिलनाडु में एक बार फिर उसे शून्य से ही संतोष करना पड़ा.यह सब संविधान और आरक्षण को मुद्दा बनाने की वजह से हुआ.विपक्ष दलितों और ओबीसी में आरक्षण खत्म करने का डर बिठाने में सफल रहा. 

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सत्ता पक्ष का विपक्ष पर हमला

विपक्ष के इस संविधान प्रेम को देखते हुए ही प्रधानमंत्री जब इस लोकसभा के पहले दिन संसद पहुंचे तो उन्होंने आपातकाल के बहाने कांग्रेस पर हमला किया.वहीं आज लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद में अपने पहले हाँ भाषण में लगभग वहीं बातें दोहराईं, जो पीएम मोदी ने 24 जून को कही थीं.लोकसभा में आज के इस घटनाक्रम ने आने वाले दिनों का ट्रेलर दिखा दिया है. यह तो तय है कि इस बार ताकतवर होकर आया विपक्ष सत्ता के सामने झुकने वाला नहीं है. 

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आपातकाल को लेकर संसद परिसर में प्रदर्शन करते सत्ता पक्ष के सांसद.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु गुरुवार को संसद के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगी. इसके बाद उनके अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया जाएगा. उस पर 28 जून को बहस शुरू हो सकती है.इस दौरान एक बार फिर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने होंगे.इस दौरान विपक्ष अन्य मुद्दों के साथ-साथ NEET UG परीक्षा में हुई कथित धांधली पर आक्रामक रुख अपना सकता है.

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