यूक्रेन में मारे गए छात्र के पार्थिव शरीर को माता-पिता ने किया दान, गांववाले दे रहे श्रद्धांजलि

नवीन के पिता ने कहा कि मेरा बेटा मेडिकल क्षेत्र में काम करना चाहता था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. बेटे के पार्थिव शरीर को इसलिए वे मेडिकल के छात्रों के लिए दान दे रहे हैं.  नवीन के घर के बाहर भारी पुलिस बल है और उसके घर की ओर जाने वाले रास्ते को बंद कर दिया गया है.

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यूक्रेन में रूसी गोलाबारी में मारे गए छात्र का शव माता-पिता ने मेडिकल कॉलेज को किया दान

युद्धग्रस्त  यूक्रेन (Ukraine) में रूस की गोलाबारी में मारे गए कर्नाटक के एक मेडिकल छात्र का पार्थिव शरीर सोमवार को यहां हवाई अड्डे पर पहुंचा.  ‘खारकीव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी' में मेडिकल के अंतिम वर्ष के छात्र नवीन शेखरप्पा ज्ञानगौदर की 1 मार्च को संघर्ष क्षेत्र में मौत हो गई थी. ज्ञानगौदर के परिवार के सदस्य, मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई सहित कुछ अन्य लोग पार्थिव शरीर लेने के लिए हवाई अड्डे पहुंचे. इसके बाद शव को ज्ञानगौदर के पैतृक स्थान हावेरी जिले के रानेबेन्नूर तालुक के चालगेरी गांव ले जाया गया.

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खारकीव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी का 21 वर्षीय छात्र कथित तौर पर खाना खरीदने के लिए कतार में खड़ा था, जब 1 मार्च को रूसी गोलाबारी में उनकी मौत हो गई थी. नवीन के पार्थिव शरीर को आज जनता के दर्शन के लिए रखा गया, जहां लोगों ने उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दी. दोपहर करीब 1 बजे उनके गांव में जुलूस निकाला जाएगा. नवीन के माता-पिता ने कर्नाटक के एसएस मेडिकल कॉलेज को शाम करीब 4 बजे शव दान करने का फैसला किया है.

नवीन के पिता ने कहा कि मेरा बेटा मेडिकल क्षेत्र में काम करना चाहता था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. बेटे के पार्थिव शरीर को इसलिए वे मेडिकल के छात्रों के लिए दान दे रहे हैं.  नवीन के घर के बाहर भारी पुलिस बल है और उसके घर की ओर जाने वाले रास्ते को बंद कर दिया गया है.

सीएम बोम्मई ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ज्ञानगौदर ने संघर्ष क्षेत्र में अपनी जान गंवा दी. मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ज्ञानगौदर की मां पार्थिव शरीर को देश लाने के लिए लगातार गुहार लगा रही थीं. शुरू में हम युद्ध क्षेत्र से शव लाने की संभावना को लेकर भी संशय में थे. यह एक कठिन कार्य था, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी विशाल कूटनीतिक क्षमता से पूर्ण किया.''

यूक्रेन से हजारों छात्रों को घर वापस लाने के लिए प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री एस जयशंकर और अन्य अधिकारियों को धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘यह (पार्थिव शरीर लाना) असंभव था क्योंकि ज्यादातर समय हम युद्ध क्षेत्रों से अपने सैनिकों के पार्थिव शरीर नहीं ला पाते हैं. एक आम नागरिक का पार्थिव शरीर लाना, किसी चमत्कार से कम नहीं है.'' ज्ञानगौदर के माता-पिता ने अंतिम श्रद्धांजलि देने के बाद शव को दावनगेरे के एक निजी अस्पताल को दान करने का फैसला किया है.

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(इनपुट्स भाषा से भी)

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