VIDEO: यूक्रेन में फंसे मध्यप्रदेश के छात्र के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल, भारत सरकार से लगा रहे मदद की गुहार

यूक्रेन की राजधानी कीव स्थित तारास शेवचेंको राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में चौथे सैमेस्टर के छात्र शिवांशु को 24 तारीख को भारत आना था लेकिन फ्लाइट कैंसिल हो गई, जिसके चलते पिछले 4 दिनों से वह अपने होस्टल के बेसमेंट में रह रहा है.

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शिवांशु के परिजनों का कहना है कि वह अपनी जान बचाकर बेसमेंट में छिपे हुए हैं और उन्हें खाने पीने की काफी दिक्कत है
नई दिल्ली:

यूक्रेन में लगातार बिगड़ते हालात को देखते हुए भारत ने युद्ध ग्रस्त इलाके से अपने लोगों की वापसी का अभियान तेज कर दिया है. अब तक सैकड़ों नागरिकों को एयरलिफ्ट कर भारत लाया गया है. हालांकि अभी भी हजारों भारतीय छात्र यूक्रेन के अलग-अलग हिस्सों में फंसे हुए हैं, जिन्हें निकालने की तमाम कोशिश की जा रही है. इस बीच यूक्रेन में अन्य छात्रों के साथ फंसे मध्यप्रदेश के रायगढ़ के रहने वाले शिवांशु सिंह का एक वीडियो सामने आया है, जो कि 4 दिनों से अपने होस्टल के बेसमेंट में छिपे हुए हैं.

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जानकारी के मुताबिक यूक्रेन की राजधानी कीव स्थित तारास शेवचेंको राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के चौथे सैमेस्टर के छात्र शिवांशु को 24 तारीख को भारत आना था लेकिन फ्लाइट कैंसिल हो गई, जिसके चलते पिछले 4 दिनों से वह अपने होस्टल के बेसमेंट में रह रहा है. शिवांशु के परिजनों का कहना है कि उनके बेटे सहित कई छात्र अपनी जान बचाकर बेसमेंट में छिपे हुए हैं और उन्हें खाने पीने की काफी दिक्कत है. ये इलाका बेलारूस के पास है, इसलिए शिवांशु वहां से बाहर नहीं निकल पा रहा है. परिजनों का रो रोकर बुरा हाल है. उन्होंने सरकार से मदद की गुहार लगाई है. 

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शिवांशु का मां ज्योति सिंह ने बताया कि मेरे बेटे की 24 तारीख की फ्लाइट थी, लेकिन फ्लाइट कैंसल हो जाने और वहां युद्ध की स्थिति बन जाने के कारण वो अपने देश वापस नहीं आ पाया. वह अन्य विद्यार्थियों के साथ चार दिनों से अपने होस्टल के बेसमेंट में ही निवास कर रहा है. सभी बहुत ज्यादा परेशानी का सामना कर रहे हैं, किसी से भी दूतावास द्वारा उनसे संपर्क नहीं किया जा रहा है. मेरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी टीम से विनम्र अनुरोध है कि इन विद्यार्थियों को जल्द से जल्द वतन वापस लाया जाए, जिससे कि वह सकुशल अपने परिजनों के पास पहुंच सके. ये विद्यार्थी देश की सेवा के लिए वहां पर मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे, जहां से आने के बाद अपने नागरिकों की सेवा कर सके. 

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