झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) से पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव (Pappu Yadav) ने दिल्ली में सोमवार को मुलाकात की. मुलाकात के बाद पप्पू यादव ने कहा कि हेमंत सोरेन जी से आत्मीय मुलाकात हुई, जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा झूठे मुकदमे में फंसा कर प्रताड़ित करने और आदिवासी समाज को अपमानित करने का काम किया गया. साथ ही उन्होंने कहा कि साहेबगंज पुल और एयरपोर्ट को लेकर लंबी बातचीत हुई. साहेबगंज में एयरपोर्ट बनने से बिहार और खासकर भागलपुर के लोगों को सहूलियत मिलेगी. इसके अलावा हमने मिलकर बिहार और झारखण्ड में अपनी सरकार बनाने की रणनीति पर गंभीरता से विचार विमर्श किया. हम दोनों भाई आगे भी मिलकर झारखंड और बिहार को आगे बढ़ने का काम करेंगे.
यह मुलाकात क्यों है अहम?
इस मुलाकात के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं. पूर्णिया सीट से चुनाव जीतने के बाद पप्पू यादव का राजनीतिक कद तेजी से बढ़ा है. बिहार और झारखंड के कुछ हिस्सों में युवाओं के बीच उनकी पकड़ लंबे समय से रही है. वहीं हेमंत सोरेन भी जेल से बाहर आने के बाद एक बार फिर जेएमएम को मजबूत करने के प्रयास में लगे हैं. अगले 3-4 महीनों में झारखंड में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. इस चुनाव में जेएमएम एक बार फिर मजबूत गठबंधन बनाकर चुनाव में उतरना चाहती है. झारखंड की कई सीटों पर यादव मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है इसे देखते हुए भी इस मुलाकात को अहम माना जा रहा है.
झारखंड में राजद ने 22 सीटों पर किया है दावा
राजद का विकल्प बनना चाहते हैं पप्पू यादव?
बिहार की राजनीति में पिछले कुछ समय में पप्पू यादव ने तेजस्वी यादव को लगातार चुनौती दी है. पूर्णिया लोकसभा चुनाव और बाद में हुए रूपौली विधानसभा चुनाव में राजद की हार के बाद पप्पू यादव का आत्मविश्वास बढ़ा हुआ है. ऐसे में इस मुलाकात को अपनी स्वीकार्यता बढ़ाने के एक रास्ते के तौर पर देखा जा रहा है.
बिहार के कुछ हिस्सों में अभी भी है जेएमएम की पकड़
अविभाजित बिहार में झारखंड अलग राज्य आंदोलन का नेतृत्व करने वाली जेएमएम का अभी भी बिहार के कुछ हिस्सों में जनाधार है. जमुई की चकाई विधानसभा सीट पर जेएमएम के उम्मीदवार ने कई चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया है. जमुई के अलावा भी पूर्णिया के कुछ हिस्सों में रहने वाले कुछ जनजातियों के बीच भी जेएमएम की अच्छी अपील रही है.
राष्ट्रीय राजनीति में भी दोनों को एक दूसरे की जरूरत
लोकसभा में झारखंड मुक्ति मोर्चा के 3 सांसद हैं. वहीं पप्पू यादव निर्दलीय जीतकर पहुंचे हैं. ऐसे में अपनी बात को मजबूती से संसद में रखने के लिए भी पप्पू यादव तमाम निर्दलीय और छोटे दलों से संपर्क करते रहे हैं. पप्पू यादव के चंद्रशेखर आजाद के साथ भी अच्छे रिश्ते रहे हैं.
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