जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए हमले के बाद एक बार फिर हाजी पीर का जिक्र हो रहा है और केवल हाजी पीर ही नहीं बल्कि 1960 के दशक की फिल्म के गाने 'कश्मीर न देंगे' की भी चर्चा हो रही है. इस गाने की लाइन 'कश्मीर न देंगे' से ही ये साफ हो जाता है कि गाना किस बारे में है. हालांकि, ऐसा कहा जाता है कि इस गाने को बैन कर दिया गया था लेकिन असल में इस गाने और हाजी पीर का क्या कनेक्शन है और क्या इस गाने को बैन किया गया है? इस बारे में हम आपको यहां डिटेल में बताने वाले हैं.
1966 में रिलीज हुई फिल्म का गाना है 'कश्मीर न देंगे'
दरअसल, 'कश्मीर न देंगे' गाना फिल्म 'जौहर इन कश्मीर' का गाना है और इस फिल्म को इंद्रसेन जौहर ने डायरेक्ट किया था. यह फिल्म 1966 में रिलीज हुई थी और कहा जाता है कि जब यह फिल्म रिलीज हुई थी तब इस गाने को सेंसर कर दिया गया था और रोक लगा दी गई थी. हालांकि, सच यह है कि असल में इस गाने को बैन नहीं किया गया था बल्कि इस गाने की एक लाइन 'हाजी पीर' को हटाया गया था.
इस गाने से हटाया गया था 'हाजी पीर' शब्द
कहीं भी इस गीत में 'हाजी पीर' शब्द का इस्तेमाल नहीं मिलेगा. लेकिन अब सवाल ये है कि असल में इस शब्द पर इतनी आपत्ति क्यों थी और इसे हटाया क्यों गया था. दरअसल, गाने में एक लाइन थी, जिसमें कहा गया था कि 'यूं जीत कि हर बार हाजी पीर न देंगे'. अब इस लाइन को हटाए जाने के कारण को जानने के लिए आपका यह जानना जरूरी है कि आखिर हाजी पीर की क्या कहानी है.
क्या है हाजी पीर की कहानी
असल में हाजी पीर दर्रा हिमालय के पीर पंजाल रेंज में है जो कश्मीर के पुंछ और पाक अधिकृत कश्मीर के रावलकोट को आपस में जोड़ता है. हाजी पीर पर कब्जा होने के कारण पाकिस्तान यहां से न केवल पीओके बल्कि कश्मीर घाटी पर भी नजर रख सकता है. कश्मीर में पाकिस्तानी आतंकवादियों के प्रवेश का भी यह मुख्य रास्ता है. 1947 के बंटवारे से पहले जम्मू को कश्मीर घाटी से जोड़ने वाली मेन सड़क हाजी पीर से होकर गुजरती थी लेकिन 1948 में जब पीओके पर कब्जा हुआ तो पाकिस्तान ने हाजी पीर दर्रे पर भी कब्जा कर लिया.
ताशकंद में हुए समझौते के बाद फिर पाकिस्तान के कब्जे में चला गया था हाजी पीर
हालांकि, 1965 के युद्ध में एक बार फिर भारतीय सेना ने हाजी पीर पर कब्जा कर लिया लेकिन 10 जनवरी 1966 को ताशकंद में समझौता हुआ तो भारत और पाकिस्तान के बीच 5 अगस्त 1965 की स्थिति में लौटने पर राजीनामा हो गया और इस तरह से हाजी पीर दर्रा एक बार फिर भारत के हाथ से निकल गया. उसी साल दिसंबर में यह फिल्म जौहर इन कश्मीर रिलीज हुई थी और इसमें यह गाना था और इसी गाने की एक लाइन थी जिसमें हाजी पीर का इस्तेमाल किया गया था.
हालांकि, हमें इसकी जानकारी नहीं मिली कि हाजी पीर वाली लाइन सेंसर किए जानें और हाजी पीर पर कब्जा करके भी ताशकंद में उसे खो देने के बीच कोई संबंध है या नहीं है.