अगर 3 वर्षीय सात्विक की तबीयत खराब न होती, तो उसके माता-पिता और पुरी जिले के उनके पांच दोस्त पहलगाम की बैसरन घाटी में आतंकी हमले का शिकार हो गए होते. सात्विक के माता-पिता स्वरूप जेना और पूजा सुंदरे अपने पांच दोस्तों के साथ घाटी घूमने के लिए गए थे. 22 अप्रैल को उनकी ट्रिप का आखिर दिन था. उनके प्लान के मुताबिक ये लोग बैसरन घाटी को घूमने के बाद ओडिशा के लिए रवाना होने वाले थे. ये लोग 22 अप्रैल को आतंकी हमले से ठीक कुछ पहले ही बैसरन घाटी से बाहर निकले थे.
दरअसल सात्विक को तेज बुखार हो गया था. ऐसे में इन लोगों ने महज 30 मिनट के अंदर ही बैसरन घाटी को घूमा और वापसी के लिए निकल गए. सही समय पर बैसरन घाटी से निकलने के कारण ही ये जिंदा बच सके. इनके अनुसार जब हमले शुरू हुआ था, तब ये लोग पर्यटक घाटी से मुश्किल से 300 मीटर नीचे थे.
एक हफ्ते के लिए गए थे श्रीनगर
सत्यबाड़ी ब्लॉक और सखीगोपाल के विभिन्न गांवों से ताल्लुक रखने वाले ये लोग 16 अप्रैल को एक साथ जम्मू और कश्मीर में एक सप्ताह बिताने के लिए श्रीनगर गए थे. सात्विक और उसके माता-पिता के अलावा, समूह में नुसामेश्वरपुर ग्राम पंचायत (जीपी) के सरपंच प्रशांत कुमार पाणि, बिररामचंद्रपुर जीपी की सरपंच बरसरानी सेठी और उनके पति प्रशांत कुमार सेठी, जयपुर जीपी के पीएस सदस्य दीपक कुमार सत्पथी और श्रीरामचंद्रपुर जीपी के तोफन बेहरा शामिल थे. इन लोगों की किस्तम अच्छी थी और ये लोग हमले में बाल-बाल बच गए.
सांसद संबित पात्रा ने की मदद
22 अप्रैल को घर वापस लौटने से पहले उनका अंतिम गंतव्य पहलगाम ही था. हालांकि, आतंकी हमले के कारण पहलगाम से जम्मू पहुंचने में 15 घंटे लग गए. सांसद संबित पात्रा के हाथों राहत मिली, जिन्होंने फंसे हुए पर्यटकों की मदद के लिए कदम बढ़ाया.
गौरतलब है कि 22 अप्रैल को पहलगाम की बैसरन घाटी में सैलानियों पर आतंकवादियों ने अचानक हमला बोला. फायरिंग कर 26 लोगों की हत्या कर दी. इस हमले की दुनिया भर में निंदा की गई. भारत सरकार ने भी पाकिस्तान के खिलाफ सख्त फैसले लिए. 23 अप्रैल को पीएम मोदी की अध्यक्षता में सीसीएस बैठक हुई. इसमें भारत ने कई बड़े फैसले लिए. इनमें पाकिस्तान में भारतीय दूतावास बंद करना, ऑटारी बॉर्डर बंद करना और सिंधु जल संधि पर रोक शामिल है. इसके अलावा पाकिस्तानी राजनयिकों को 48 घंटे में देश छोड़ने का आदेश भी दिया गया.
साखीगोपाल, पुरी देव कुमार की रिपोर्ट