"बगल में खड़े एक अंकल गोली लगने से गिर गए और उनके खून के छींटे मेरे चेहरे पर पड़े. इस दौरान किसी ने मुझे धक्का दिया और फिर मैं मेज के नीचे छिप गया"....22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले से ऐसी कई खौफनाक यादें जुड़ी हुई हैं. जिन लोगों ने अपने परिवार के सदस्यों को मरते हुए देखा है, उनके लिए एक-एक पहल सदमे से भरा हुआ है. उस काले दिन को याद कर अभी भी इन लोगों की रूह कांप जाती है. छत्तीसगढ़ के व्यवसायी दिनेश मिरानिया भी अपने परिवार के साथ पहलगाम घूमने गए थे. उन्हें उनकी 13 साल की बेटी के सामने ही गोली मार दी गई.
दिनेश मिरानिया के बेटे शौर्य मिरानिया जो 18 साल के हैं, उन्होंने उस दिन के खौफनाक मंजर को बयां किया. उन्होंने बताया कि कैसे पल भर में उनके पिता को गोली मार दी गई. उस काले दिन को याद करते हुए शौर्य ने बताया कि जब उनके पिता और बहन बैसरन घाटी के मैदान में थे तभी आतंकवादी वहां पहुंचे. आतंकवादियों ने उनके पिता से कलमा पढ़ने को कहा और जब वह ऐसा करने में विफल रहे तो उन्हें गोली मार दी गई. ठीक ऐसा ही आतंकवादियों ने एक अन्य व्यक्ति के साथ किया.
‘‘हम दोपहर में बैसरन घाटी के प्रसिद्ध घास के मैदान में थे और वहां से गुलमर्ग जाने की योजना थी. मेरी बहन ‘जिपलाइन' की सवारी करना चाहती थी, इसलिए मैं उसे वहां पर ले गया. वहां वह डर गई और उसने यह कहते हुए मना कर दिया कि यह बहुत ऊंचा है. फिर उसने कहा कि मैं ‘ट्रैम्पोलिन' करना चाहती हूं. मैंने उसे हमारे पिता के पास जाने के लिए कहा जो ट्रैम्पोलिन के पास खड़े थे और मैं खाने के काउंटर पर चला गया. मैंने उससे कहा कि हम कुछ खाने के बाद नीचे उतरेंगे. जब मैं काउंटर पर था तो मैंने पीछे से गोली चलने की आवाज सुनी लेकिन मैंने इस पर ध्यान नहीं दिया. फिर बगल में खड़े एक अंकल गोली लगने से गिर गए और उनके खून के छींटे मेरे चेहरे पर पड़े''
‘‘मैं वहां इंतजार कर रहा था और अपने परिवार के सदस्यों को फोन करने की कोशिश कर रहा था. लेकिन फोन नहीं लग पा रहा था. कुछ देर बाद बहन से बात हुई तब उसने बताया कि पिताजी को गोली लगी है.मेरी बहन ने मुझे बताया कि वह पिताजी के साथ थी, तभी एक बंदूकधारी वहां पहुंचा और उसने मेरे पिताजी से कलमा पढ़ने को कहा. मेरे पिताजी ऐसा नहीं कर सके. जैसे ही मेरे पिताजी ने अपनी टोपी और चश्मा निकाला, उन्हें आतंकवादियों ने गोली मार दी. मेरे पिताजी के पीछे खड़े एक अन्य व्यक्ति ने मेरी बहन को पकड़ लिया, लेकिन कलमा पढ़ने में विफल रहने पर उसे भी गोली मार दी गई. वहां मौजूद एक तीसरे व्यक्ति को आतंकवादियों ने इसलिए बख्श दिया, क्योंकि उसने कलमा पढ़ा था.''
'मेरे पास से गोली निकलकर पापा को लगी'
इस हमले में हर्षल के पिता संजय लेले और उनके रिश्तेदार हेमंत जोशी और अतुल मोने (43) मारे गए. हर्षल ने कहा, ‘‘हमने अभी दोपहर का खाना खाया ही था कि हमें गोलियों की आवाज सुनाई दी.'' हमले के दौरान हर्षल गोली लगने से घायल हो गए और एक गोली उनके पास से निकलकर उनके पिता को लगी.
‘‘अपनी मां को बचाना मेरी जिम्मेदारी था. मैंने खुद को अपने पिता की जगह पर रखकर सोचा. उनके मन में पहला विचार मां को बचाने का आता, इसलिए मैंने वही किया.'' बंदूकधारियों ने पुरुषों को उनके परिवारों के सामने गोली मार दी. मेरी मां आंशिक लकवे से पीड़ित हैं, इसलिए उन्हें चलने में दिक्कत होती है, मैं और मेरे रिश्ते के भाई ध्रुव जोशी उन्हें उठाकर ऊबड़-खाबड़ रास्ते से गुजरते हुए भागे, वह कई जगहों पर फिसल गईं और चोटिल हो गईं, लेकिन हमारे पास कोई विकल्प नहीं था.'' सुरक्षित जगह तक पहुंचने में तीन घंटे से अधिक का समय लगा. जब हमने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों को हमलास्थल की ओर जाते देखा तो हमें उम्मीद थी कि वे मेरे पिता और अन्य रिश्तेदारों को जीवित लेकर आएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ.''3.
'इंसान नहीं बल्कि राक्षस थे'
हमले में अपने पिता संतोष जगदाले और अंकल कौस्तुभ गणबोटे को खोने वाली आसावारी जगदाले ने इस भयावह घटना को बयान करते हुए कहा कि हमलावर इंसान नहीं बल्कि राक्षस थे. आसावारी ने बताया, 'हम बैसरन घाटी में मिनी स्विटजरलैंड कहे जाने वाली जगह पर फोटोशूट कर रहे थे, तभी अचानक गोलियों की आवाज आई. हमने कुछ स्थानीय लोगों से पूछा, तो उन्होंने कहा कि स्थानीय लोग बाघों को भगाने के लिए गोलियां चलाते हैं. लेकिन जैसे ही हमने देखा कि लोग मारे जा रहे थे और कुछ लोग कलमा पढ़ रहे थे, हमें समझ में आ गया कि यह कुछ और था.'
‘‘एक आतंकवादी, जो करीब बीस साल का था, उसने मेरे पिता से खड़े होने को कहा. मेरे पिता ने उससे अपील की कि उन्हें नुकसान न पहुंचाए. उसने एकदम ठंडे लहजे में कहा कि वह हमें दिखाएगा कि उन्हें कैसे मारना है. इतना कहकर उसने तीन गोलियां चलाईं, जिनमें से एक मेरे पिता के सिर में लगी, दूसरी कान के आर-पार हो गई और तीसरी उनकी छाती में लगी. अंकल कौस्तुभ गणबोटे को सिर के पिछले हिस्से में गोली मारी गई जो उनकी आंख को भेदते हुए निकल गयी. एक आदमी को गोली तब मारी गई जब वह अपनी पत्नी और बेटे के लिए खाने का सामान लेने गया था जबकि उसकी पत्नी और बेटा फोटोशूट कर रहे थे". (एजेंसी इनपुट के साथ)