2029 तक देश की हर पंचायत में पैक्स की होगी स्थापना : अहमदाबाद में बोले अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जब तक हम प्राथमिक कृषि ऋण समिति (पैक्स) को मजबूत नहीं करते तब तक सहकारी ढांचा मजबूत नहीं हो सकता है,

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नई दिल्‍ली:

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने रविवार को अहमदाबाद में गुजरात राज्य सहकारी संघ के 'विकसित भारत के निर्माण में सहकारिता की भूमिका' पर आयोजित महासम्मेलन को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने त्रिभुवन कोऑपरेटिव यूनिवर्सिटी की स्थापना की है, जो राष्ट्रीय स्तर पर काम करेगी. देश के हर राज्य में सहकारिता से जुड़े सभी क्षेत्रों में कोऑपरेटिव के कॉन्सेप्ट के साथ पढ़ने की व्यवस्था बनाई गई है. 

उन्होंने कहा कि जब तक हम प्राथमिक कृषि ऋण समिति (पैक्स) को मजबूत नहीं करते तब तक सहकारी ढांचा मजबूत नहीं हो सकता है, इसीलिए मोदी सरकार ने 2029 तक देश की हर पंचायत में पैक्स की स्थापना का निर्णय लिया है. इस फैसले के अंतर्गत 2 लाख नई पैक्स और डेयरी रजिस्टर्ड की जाएंगी. सरकार ने विभिन्न प्रकार की लगभग 22 गतिविधियों को पैक्स के साथ जोड़ने का काम किया है. सरकार जल्द ही लिक्विडेशन में गई पैक्स के निपटारे और नए पैक्स के लिए भी नीति लेकर आने वाली है.

सहकारिता आंदोलन को पुनर्जीवित करने का प्रयास: शाह

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने 2025 को 'अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष' के तौर पर मनाने का निर्णय लिया है. सहकारिता शब्द पूरे विश्व में आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना वर्ष 1900 में था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत में 2021 से सहकारिता आंदोलन को पुनर्जीवित करने का एक बहुत बड़ा प्रयास शुरू हुआ और सहकारिता वर्ष की शुरुआत भारत में करने का निर्णय लिया गया.

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उन्होंने आगे कहा कि 2021 में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हुई शुरुआत के तहत 'सहकार से समृद्धि' और 'विकसित भारत में सहकारिता की भूमिका' के दो सूत्रों को देश के सामने रखा गया. उसी शुरुआत के अंतर्गत आज गुजरात में इस सहकारिता सम्मेलन का आयोजन किया गया है. सहकारिता क्षेत्र में हुए परिवर्तन के लाभ जब तक निचले स्तर पर पैक्स और किसानों तक नहीं पहुंचेंगे तब तक सहकारिता क्षेत्र मजबूत नहीं हो सकता. इसीलिए यह बहुत जरूरी है कि हम सहकारी संस्थाओं को आगे बढ़ाएं. हमें सभी प्रकार की सहकारी संस्थाओं में जागरूकता, प्रशिक्षण और पारदर्शिता लाने का प्रयास करना होगा.

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पूरे देश में सहकारिता को पहुंचाना जरूरी: शाह 

गृह मंत्री ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के दौरान साइंस ऑफ कोऑपरेशन और साइंस इन कोऑपरेशन पर भारत सरकार ने बल दिया है. आजादी के आंदोलन के समय देश में शुरू हुआ सहकारिता आंदोलन धीरे-धीरे देश के एक बड़े भाग में लगभग समाप्त हो चुका था. यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि इस आंदोलन के तहत हर राज्य और जिले तक सहकारिता का विस्तार हो. साथ ही हर राज्य में प्राथमिक सहकारी समितियों की स्थिति सुधरे, जिलास्तरीय संस्थाएं मजबूत हो और उनके माध्यम से राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर का सहकारी ढांचा भी मजबूत बने.

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उन्होंने कहा कि कई वर्षों से चली आ रही वैश्विक त्रि-स्तरीय सहकारिता ढांचे की कल्पना में हमने चौथे स्तर को जोड़ा है. सहकारिता के ढांचे की हर सहकारी गतिविधि से जुड़े राष्ट्रीय संस्थानों, राज्यस्तरीय सहकारी संस्थाओं, जिलास्तरीय संस्थाओं और हर क्षेत्र की प्राथमिक सहकारी समितियों को मजबूत करते हुए पूरे देश में सहकारिता को पहुंचाना जरूरी है. इसके लिए हमें अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष का उपयोग करना चाहिए.

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उन्होंने कहा कि यह पूरा अभियान तीन स्तंभों पर आधारित है, सहकारिता को शासन के मुख्य प्रवाह का हिस्सा बनाना, सहकारिता आंदोलन में टेक्नोलॉजी के माध्यम से पारदर्शिता एवं प्रमाणिकता लाना और अधिक से अधिक नागरिकों को सहकारिता आंदोलन के साथ जोड़ने की प्रक्रिया को गति देना. इन तीनों स्तंभों के आधार पर सहकारिता वर्ष के दौरान कार्य करने की आवश्यकता है और इसके लिए अनेक प्रकार के लगभग 57 इनीशिएटिव अब तक भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय ने किए हैं.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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