कोरोना संकट के बीच ऑक्सीजन की किल्लत ने हाहाकार मचा दिया है. राजधानी दिल्ली में भी हालात काफी खराब हैं. हालात ये हो गए हैं कि मामला दिल्ली हाई कोर्ट तक चला गया है. अस्पतालों की अर्जी पर सोमवार को एक बार फिर हाई कोर्ट में ऑक्सीजन के मसले पर सुनवाई हुई. इस दौरान जयपुर गोल्डन अस्पताल ने दिल्ली सरकार को घेरा.
सुनवाई के दौरान अस्पताल ने हाई कोर्ट में कहा कि कल दिल्ली सरकार के एक मंत्री ने कहा था कि अस्पताल बेवजह SoS का मामला उठा रहे हैं. गोल्डन अस्पताल ने कोर्ट में कहा कि हमें बताएं कि मरीजों की मौत से कितने घंटे पहले हम सरकार को सूचना दें?
जयपुर गोल्डन अस्पताल ने कोर्ट में ये भी कहा कि हमें शाम 5 बजे तक 3.6MT ऑक्सजीन मिलनी थी, लेकिन नहीं मिल सकी. अस्पताल ने कहा कि दिल्ली सरकार के अफसर पूरी तरह फेल हो गए हैं, वो सप्लाई चेन को समझ नहीं रहे हैं और उसे बिगाड़ रहे हैं. अस्पताल ने कहा कि हमें सप्लायर से सीधे संपर्क करने दें, सरकार बीच में न आए.
बता दें कि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कल इस मसले पर कई ट्वीट किए थे. उन्होंने लिखा था कि ''आज सुबह मेरे पास एक ऐसे अस्पताल का ऑक्सीजन SOS कॉल आया, जिसके पास अभी 18KL उपलब्ध है जबकि उसका एक दिन का खर्च 4.8KL है. उसकी स्टोरेज क्षमता भी 21KL ही है. यानी उसके पास क़रीब 72 घंटे का ऑक्सीजन उपलब्ध है.''
मनीष सिसोदिया ने इससे आगे लिखा था कि मेरा अस्पतालों से अनुरोध है कि ऑक्सीजन की कमी को लेकर अनावश्यक अलार्म न बजाए. ऐसा करने से जरूरतमंद अस्पतालों तक मदद पहुंचने में समस्या आ रही है.
मनीष सिसोदिया के ट्वीट के बाद आज ये मसला दिल्ली हाई कोर्ट की सुनवाई के दौरान भी उठा.