'ऑक्सफोर्ड में नस्लवाद' : भारतीय छात्रा का मुद्दा राज्यसभा में उठा, विदेश मंत्री बोले- 'जरूरत पड़ी तो...'

भारतीय छात्रा रश्मि सावंत को पिछले महीने यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ के अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देना पड़ा था. अतीत में उनकी कुछ टिप्पणियों और संदर्भों को लेकर विवाद उठा था, क्योंकि इन्हें 'नस्लवादी' और 'असंवेदनशील' बताया गया था.

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22 साल की रश्मि सामंत ऑक्सफोर्ड के स्टूडेंट यूनियन की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष बनी थीं.
नई दिल्ली:

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में भारतीय छात्रा रश्मि सामंत के छात्रसंघ से इस्तीफे का मुद्दा सोमवार को राज्यसभा में उठा. बीजेपी सांसद अश्विनी वैष्णव ने यह मुद्दा उठाया, जिसके बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि 'भारत नस्लवाद के मुद्दे से कभी आंखें नहीं फेर सकता है.' बता दें कि भारतीय छात्रा रश्मि सावंत को पिछले महीने यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ के अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देना पड़ा था. अतीत में उनकी कुछ टिप्पणियों और संदर्भों को लेकर विवाद उठा था, क्योंकि इन्हें 'नस्लवादी' और 'असंवेदनशील' बताया गया था. विदेश मंत्री ने कहा कि 'जब जरूरत पड़ी तो भारत ब्रिटेन के सामने ऐसे मुद्दे उठाएगा.'

ओडिशा से बीजेपी के सांसद ने राज्यसभा में विदेश मंत्री से कहा, 'मैं सदन का ध्यान दुनिया भर में चिंता के विषय नस्लवाद पर लाना चाहता हूं. ऐसा लगता है कि अभी-अभी दुनिया भर में औपनिवेशक काल में देखा जाने वाले भेदभाव का नजरिया बना हुआ है, खासकर यूनाइटेड किंगडम में.'

उन्होंने इस ओर भी ध्यान दिलाया कि 22 साल की रश्मि सामंत ऑक्सफोर्ड के स्टूडेंट यूनियन की अध्यक्ष बनने वाली पहली भारतीय महिला थीं. अश्विनी वैष्णव ने कहा कि रश्मि ने ‘किसी की भी भावनाओं को गैर इरादतन तरीके से आहत करने के लिए' सार्वजनिक रूप से माफीनामा जारी किया था, लेकिन वह मानती हैं कि उन्हें सुनियोजित तरीके से निशाना बनाया गया.

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अश्विनी वैष्णव ने कहा, 'उनकी विभिन्नता को सेलिब्रेट किया जाना चाहिए था, लेकिन उन्हें इसकदर साइबरबुली किया गया कि उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. यहां तक कि उनके माता-पिता की हिंदू आस्था को लेकर एक फैकल्टी के सदस्य ने सार्वजनिक हमला किया था, लेकिन उसपर भी कोई सजा नहीं हुई. अगर ऑक्सफोर्ड जैसे संस्थान में इस तरह की चीजें होती है, तो दुनिया भर में किस तरह का संदेश जाता है?'

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बता दें कि जैसे ही कर्नाटक के उडुपी से आने वाली सामंत का पद के लिए चयन हुआ था, उनके कुछ पुराने सोशल मीडिया पोस्ट वायरल हो गए थे, जिनके लिए उनकी आलोचना हो रही थी. इसमें 2017 में जर्मनी के बर्लिन होलोकॉस्ट मेमोरियल की विजिट के दौरान होलोकॉस्ट पर एक टिप्पणी और मलेशिया में ली गई एक तस्वीर पर 'चिंग चैंग' जैसे कैप्शन डाले गए थे, जिसके लिए उनकी आलोचना हो रही थी. उन्होंने एक LGBTQ+ कैंपेन में महिलाओं और ट्रांस महिलाओं में भेद जाहिर किया था, जिसके लिए भी उनकी आलोचना की जा रही थी और उनका इस्तीफा मांगा गया था.

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वैष्णव के बयान पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राज्यसभा में कहा, 'यह महात्मा गांधी की धरती है और हम नस्लवाद के खिलाफ कभी आंखें नहीं फेर सकते. खासकर, वहां, जहां भारतीय समुदाय काफी बड़ा है. यूके के साथ हमारे मजबूत संबंध हैं, जरूरत पड़ने पर हम मजबूती से ऐसे मुद्दों को उठाएंगे.'

उन्होंने कहा, 'हम इस मुद्दे को करीब से देखेंगे. जरूरत पड़ी तो आवाज उठाएंगे और हम हमेशा नस्लवाद और किसी भी तरह की असहिष्णुता के खिलाफ लड़ाई में आगे रहेंगे.'

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