संसद में जारी गतिरोध के बीच विपक्ष के 20 से अधिक सांसद शनिवार को मणिपुर का दौरा करेंगे

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की 29 और 30 जून की मणिपुर की दो दिन की यात्रा के ठीक एक महीने बाद विपक्ष के गठबंधन इंडिया फ्रंट के सांसद राज्य का दौरा करेंगे.

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मणिपुर में हुई जातीय हिंसा की घटनाओं में 140 से अधिक जानें गई हैं और 3,000 से अधिक लोग घायल हुए हैं.
नई दिल्ली:

संसद में गतिरोध और मणिपुर में जातीय हिंसा को लेकर केंद्र और विपक्ष के बीच तनातनी के बीच विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया मोर्चे के सांसद शनिवार और रविवार को राज्य का दौरा करेंगे और वहां के हालात का जायजा लेंगे. लोकसभा में कांग्रेस के सचेतक मनिकम टैगोर ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि 26 विपक्षी दलों के गठबंधन के 20 से अधिक सांसद इस सप्ताह के अंत में मणिपुर का दौरा करेंगे और मौके पर हालात का जायजा लेंगे.

विपक्षी गठबंधन के सूत्रों ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल में 26 पार्टियों में से प्रत्येक से एक संसद सदस्य या उनके प्रतिनिधि के शामिल होने की उम्मीद है. सांसद राज्य के घाटी और पहाड़ी दोनों क्षेत्रों के साथ-साथ कुछ राहत शिविरों का भी दौरा करेंगे.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की 29 और 30 जून की दो दिवसीय यात्रा के ठीक एक महीने बाद विपक्षी सांसद राज्य का दौरा करेंगे. राहुल गांधी की यात्रा के पहले दिन सुरक्षा चिंताओं को लेकर इम्फाल से 20 किलोमीटर दूर बिष्णुपुर में उनके काफिले को रोके जाने के बाद काफी हंगामा हुआ था. वे चूड़ाचांदपुर जा रहे थे, जो उन जिलों में से एक है जहां भारी हिंसा हुई है. इसके बाद कांग्रेस नेता इम्फाल वापस चले गए थे और हेलीकॉप्टर से चुराचांदपुर गए थे.

अधिकारियों ने दावा किया था कि काफिला इसलिए रोका गया था क्योंकि जिस मार्ग पर राहुल गांधी यात्रा कर रहे थे उस पर महिला प्रदर्शनकारियों का एक बड़ा गुट मौजूद था. हालांकि, कांग्रेस सूत्रों ने कहा था कि महिलाएं राहुल गांधी को रोकने के लिए पुलिस का विरोध कर रही थीं और नहीं चाहती थीं कि वह वापस जाएं. उन्होंने कहा कि महिलाएं चाहती थीं कि वह चुराचांदपुर के साथ-साथ उनके गांव भी आएं.

अपने दौरे के दूसरे दिन कांग्रेस नेता ने पोस्ट किया था, ''मणिपुर में हिंसा के कारण जिन लोगों ने अपने प्रियजनों और घरों को खो दिया है. मैं जिस भी भाई, बहन और बच्चे से मिलता हूं, उनकी दुर्दशा को देखना और सुनना हृदय विदारक है."

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जिनकी तृणमूल कांग्रेस भी भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (INDIA) का हिस्सा है, ने केंद्र पर कटाक्ष करते हुए पिछले हफ्ते सवाल किया था कि इतनी सारी केंद्रीय टीमें बंगाल में क्यों भेजी गईं, लेकिन मणिपुर में कोई भी नहीं भेजा गया? उन्होंने कहा, "हम मणिपुर के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करना चाहते हैं. बीजेपी ने (पंचायत चुनाव के बाद) बंगाल में इतनी सारी केंद्रीय टीमें भेजी थीं, तो पूर्वोत्तर राज्य में कोई केंद्रीय टीम क्यों नहीं भेजी गई?"

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नियम 267 के तहत मणिपुर में हिंसा पर लंबी चर्चा की विपक्ष की मांग को लेकर 20 जुलाई को मानसून सत्र शुरू होने के बाद से संसद के दोनों सदनों को बार-बार स्थगित किया गया है. विपक्षी दलों ने संसद में प्रधानमंत्री से बयान देने की भी मांग की है, जिसे केंद्र ने यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि गृह मंत्री अमित शाह विपक्ष को जवाब देंगे.

मणिपुर मुद्दे पर सरकार से जवाब मांगने के लिए कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव भी पेश किया है, जिसे कल लोकसभा अध्यक्ष ने स्वीकार कर लिया. इसी तरह का एक प्रस्ताव तेलंगाना के सत्तारूढ़ दल भारत राष्ट्र समिति द्वारा भी पेश किया गया था.

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मणिपुर में जातीय हिंसा में 140 से अधिक लोगों की जान चली गई है और 3,000 से अधिक लोग घायल हो गए हैं. हिंसा 3 मई को शुरू हुई थी जब मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किया गया था. हिंसा के चलते 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हो गए हैं.

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