"दिल्‍ली सर्विस बिल का विरोध करना गलत": कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित

भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार इस मई में दिल्ली में नौकरशाहों के तबादले और पोस्टिंग पर अध्यादेश लेकर आई थी, जिसने दिल्ली में निर्वाचित सरकार को सेवाओं पर नियंत्रण देने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नकार दिया था.

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यह तय था कि बिल लोकसभा में पारित हो जाएगा- संदीप दीक्षित
नई दिल्‍ली:

कांग्रेस नेता और दिल्ली से पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने अपनी पार्टी के रुख से अलग रुख अपनाते हुए एक बार फिर केंद्र सरकार के अध्यादेश विधेयक(दिल्‍ली सर्विस बिल) को अपना समर्थन दिया है और कहा है कि इस विधेयक का विरोध करना गलत है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज राज्यसभा में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 को पेश करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. लोकसभा में यह विधेयक पहले ही पास हो चुका है. राज्‍यसभा में भी इसका पास होना तय माना जा रहा है. 

संदीप दीक्षित ने कहा, "यह तय था कि यह बिल लोकसभा में पारित हो जाएगा, क्योंकि वहां सरकार के पास बहुमत है. जब यह बिल राज्यसभा में पेश किया जाएगा, हालांकि सरकार के पास यहां बहुमत नहीं है, लेकिन लोकसभा की तरह ही अगर कुछ अन्य दल इस विधेयक का समर्थन करेंगे, तो यह पारित हो जाएगा... मेरी राय में, इस विधेयक का विरोध करना गलत है."

इससे पहले 3 अगस्त को I.N.D.I.A गठबंधन के सदस्यों के वॉकआउट के बाद विधेयक को लोकसभा में ध्वनि मत से पारित किया गया था. अरविंद केजरीवाल बिल के खिलाफ विपक्षी दलों का समर्थन मांग रहे हैं, खासकर राज्यसभा में. आम आदमी पार्टी (आप) पर हमला बोलते हुए संदीप दीक्षित ने कहा कि वे खुद फंस गए हैं.

केजरीवाल पर हमला बोलते हुए संदीप दीक्षित ने कहा, "आम आदमी पार्टी कौन होती है, किसी भी पार्टी पर हमला करने वाली, वे खुद फंस गए हैं. उन्हें यह भी नहीं पता कि उनकी पार्टी के बड़े नेता जेल से बाहर होंगे या जेल में होंगे. उन्हें अपनी चिंता करनी चाहिए. कांग्रेस पार्टी सिर्फ इस बिल के लिए उनके साथ है."

इसके अलावा, कांग्रेस नेता ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के लोगों को "मूर्ख" बनाया है. दीक्षित ने कहा, "जिस तरह से अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के लोगों को बेवकूफ बनाया है, उसी तरह अब वह गठबंधन के सदस्यों और पूरे देश को बेवकूफ बना रहे हैं."

भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार इस मई में दिल्ली में नौकरशाहों के तबादले और पोस्टिंग पर अध्यादेश लेकर आई थी, जिसने दिल्ली में निर्वाचित सरकार को सेवाओं पर नियंत्रण देने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नकार दिया था. केंद्र ने 19 मई को दिल्ली में ग्रुप-ए अधिकारियों के स्थानांतरण और पोस्टिंग के लिए एक प्राधिकरण बनाने के लिए अध्यादेश पेश किया, जिसे आप सरकार ने सेवाओं के नियंत्रण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बताया है. 

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सुप्रीम कोर्ट के 11 मई के फैसले से पहले दिल्ली सरकार के सभी अधिकारियों के स्थानांतरण और पोस्टिंग उपराज्यपाल के कार्यकारी नियंत्रण में थे. कांग्रेस ने पहले अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा था कि अगर संसद में अध्यादेश के स्थान पर कोई विधेयक लाया जाता है, तो वे दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर केंद्र के अध्यादेश का विरोध करेंगे.

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