कृषि कानूनों के विरोधी हों या समर्थक, सभी किसान समिति के सामने अपना पक्ष रखें: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कई दौर की वार्ता हुई, कोई हल नहीं हुआ, किसानों ने अब तक बिना किसी अप्रिय घटना के शांतिपूर्वक आंदोलन किया है

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सुप्रीम कोर्ट.
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज कृषि कानूनों (Farm Laws) और किसान आंदोलन (Farmers Movement) के मामले पर सुनवाई में कहा कि हम शांतिपूर्ण विरोध पर अंकुश नहीं लगा सकते हैं. हम सोचते हैं कि कृषि कानूनों के अमल पर रोक के इस असाधारण आदेश को कम से कम वर्तमान के लिए इस तरह के विरोध के उद्देश्य की उपलब्धि के रूप में माना जाएगा और ये किसान संगठनों को समझाने के लिए प्रोत्साहित करेगा कि वे अपने सदस्यों के जीवन और स्वास्थ्य की रक्षा करने और दूसरों के जीवन और संपत्ति की रक्षा करने के लिए, व अपनी आजीविका वापस पाने के लिए वापस जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आठ सप्ताह के बाद मामले की सुनवाई होगी. 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कई दौर की वार्ता हुई, कोई हल नहीं हुआ. किसानों ने अब तक बिना किसी अप्रिय घटना के शांतिपूर्वक आंदोलन किया है. जो किसान संगठन कानूनों का विरोध कर रहे हैं या जो समर्थन में हैं, सभी समिति के सामने अपनी बात रखेंगे.  इस उम्मीद और अपेक्षा के साथ ये अंतरिम आदेश दे रहे हैं कि दोनों पक्ष इसे सही भावना से लेंगे और समस्याओं का निष्पक्ष, न्यायसंगत और न्यायसंगत समाधान करने का प्रयास करेंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कृषि कानूनों के लागू होने से पहले अस्तित्व में न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को अगले आदेश तक बनाए रखा जाएगा. इसके अलावा, किसानों की भूमि की रक्षा की जाएगी. अर्थात किसी भी किसान को कृषि कानून के तहत की गई किसी भी कार्रवाई के परिणामस्वरूप उसके टाइटल से वंचित नहीं किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समिति के गठन से किसान संगठनों और केन्द्र के बीच बातचीत के लिए अनुकूल वातावरण तैयार हो सकता है और किसानों के विश्वास और भरोसे में सुधार हो सकता है.

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समिति का गठन कृषि कानूनों और सरकार के विचारों से संबंधित किसानों की शिकायतों को सुनने और सिफारिशें करने के उद्देश्य से किया जाता है. इस समिति को सरकार द्वारा दिल्ली में एक स्थान के साथ-साथ सचिवीय सहायता प्रदान की जाएगी. समिति के लिए दिल्ली या कहीं और बैठक आयोजित करने का सारा खर्च केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाएगा. सभी किसानों के निकायों के प्रतिनिधि, चाहे वे कोई विरोध प्रदर्शन कर रहे हों या नहीं और वे कानूनों का समर्थन करते हैं या विरोध करते हैं, समिति के विचार-विमर्श में भाग लेंगे और अपने विचार बिंदुओं को सामने रखेंगे. समिति सरकार के साथ-साथ किसानों के निकायों और अन्य हितधारकों के प्रतिनिधियों की सुनवाई के बाद, इस न्यायालय के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी जिसमें उनकी सिफारिशें होंगी. यह पहली बैठने की तारीख से दो महीने के भीतर किया जाएगा. पहली बैठक आदेश की तारीख से दस दिन के भीतर होगी.

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समिति में भूपेन्द्र सिंह मान, राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारतीय किसान यूनियन और अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति, डॉ प्रमोद कुमार जोशी, कृषि अर्थशास्त्री, दक्षिण एशिया के निदेशक, अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान, अशोक गुलाटी, कृषि अर्थशास्त्री और कृषि लागत और मूल्य आयोग के पूर्व अध्यक्ष और अनिल घनवत, अध्यक्ष, शतकरी संगठन हैं.

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