कांग्रेस ने शुक्रवार को कर्नाटक की भाजपा नीत सरकार से तथाकथित 'ऑपरेशन वोटर' घोटाले का पर्दाफाश करने के लिए इसकी जांच उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की निगरानी में कराने का आदेश देने की मांग की. विपक्षी दल ने गुरुवार को बेंगलुरु में मतदाताओं की जानकारी की चोरी और निजता के हनन का आरोप लगाया. इस सिलसिले में एनजीओ चिलूम ट्रस्ट और उसके एक कर्मचारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है.
कांग्रेस का आरोप है कि एक निजी एजेंसी को ऑनलाइन आवेदन भरने के सिलसिले में जागरुक करने के लिए घर-घर जाकर सर्वेक्षण करने की अनुमति दी गई और उन्हें स्वयं को बूथस्तरीय अधिकारी बताकर मतदाताओं की निजी जानकारी जुटाने का जिम्मा सौंपा गया.
विधानसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने यह जानना चाहा कि "क्या भाजपा सरकार एक एजेंट को फंसा कर अपने भ्रष्ट मंत्रियों को बचाना चाहती है." सिलसिलेवार ट्वीट में सिद्धरमैया ने सरकार पर जनता को धोखा देने का आरोप लगाते हुए कहा कि उसने मतदाताओं की जानकारी चुराई है और गैरकानूनी तरीके से निजी जानकारी जुटाई है.
सिद्धरमैया ने सवाल किया, "बेंगलुरु पुलिस ने ऑपरेशन वोटर घोटाला में लोकेश नामक एक एजेंट के खिलाफ मामला दर्ज किया है जो (एनजीओ) चिलूम में 20,000 रुपये के वेतन पर नौकरी करता था. बसवराज बोम्मई सरकार एक सामान्य कर्मचारी को बलि का बकरा बनाकर अपने भ्रष्ट मंत्रियों को बचाना चाहती है."
उन्होंने कहा, "ऑपरेशन वोटर घोटाले के वास्तविक दोषियों का पर्दाफाश करने के लिए हम उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की निगरानी में जांच कराने की मांग करते हैं. सरकार न्यायिक जांच शुरू करने से डर क्यों रही है? बसवराज बोम्मई मामले को रफा-दफा करने की जल्दी में क्यों हैं?"