मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बनी महाराष्ट्र सरकार के कार्यकाल को अब एक साल पूरा हो गया है. इस एक साल में जहां यह सरकार कई विवादों में घिरी रही तो वहीं एकनाथ शिंदे अधिकांश विधायकों और सांसदों के साथ ही शिवसेना पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह अपने पास रखने में कामयाब रहे. इस एक साल के दौरान पार्टी में बने दो गुटों के बीच जमकर आरोप-प्रत्यारोप भी देखने को मिले. महाराष्ट्र सरकार में बतौर मुख्यमंत्री एक साल पूरा करने के मौके पर शिवसेना ने एक वीडियो जारी किया है, जिसमें देव, देश और धर्म के लिए किस तरह से यह सरकार पिछले एक साल से काम कर रही है, यह बताने की कोशिश की गई है.
शिवसेना के सांसद राहुल शेवाले ने कहा कि आज हम बालासाहेब ठाकरे के स्वप्नपूर्ति का दिन मना रहे हैं. बालासाहेब ठाकरे का एक ही सपना था कि एक शिवसैनिक महाराष्ट्र राज्य का मुख्यमंत्री होना चाहिए. बीजेपी के सहयोग से वो सपना पूरा हुआ है.
एक सरकार, कई विवाद
हालांकि पिछले एक साल में महाराष्ट्र की सरकार बहुत सारे विवादों में घिरी रही है. पिछले एक साल में सरकार अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करने में असफल रही है. आरे में मेट्रो कारशेड, बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को लेकर पिछली सरकार के निर्णयों को बदलने के कारण सरकार विवादों में रही तो महाराष्ट्र के प्रोजेक्ट दूसरे राज्यों में जाने के कारण भी सरकार पर सवाल उठे हैं. इसके साथ ही राज्य भर में किसानों को होने वाली परेशानी और समुदायों के बीच बढ़ते तनाव को लेकर भी सरकार से सवाल पूछे जा रहे हैं.
शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे के प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा कि आज एक साल में मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हुआ है. कैबिनेट में कोई भी महिला नहीं है. जो भी बड़े प्रोजेक्ट थे, वो दूसरे राज्यों में चले गए. बड़े प्रोजेक्ट दूसरे राज्यों में गए. जरा सी बरसात के कारण तीन दिनों से अंधेरी सबवे में पानी भर जाता है. लोगों को अब समझ आ रहा है कि शिवसेना कैसे काम करती थी.
हिंदुत्व के मुद्दे को आगे ले जाने की कोशिश
महाराष्ट्र में अगले साल होने वाले चुनावों से पहले अब महाराष्ट्र सरकार की कोशिश है कि जिस हिंदुत्व के मुद्दे पर बीजेपी और शिंदे ने मिलकर सरकार बनाई थी, उसे वो आगे ले जाएं. इसलिए सरकार की ओर से कई जिलों और प्रोजेक्ट के नाम भी बदले गए हैं. औरंगाबाद का नाम छत्रपति संभाजी नगर किया गया, उस्मानाबाद का नाम धाराशिव किया गया तो अहमदनगर का नाम अहिल्या नगर कर दिया गया. वहीं बांद्रा वर्सोवा सी लिंक का नाम स्वातंत्र्यवीर सावरकर सेतु रखा गया. इसके साथ ही मुंबई कोस्टल रोड का नाम छत्रपति संभाजी महाराज के नाम पर रखे जाने का ऐलान किया गया है तो MTHL प्रोजेक्ट का नाम अटल बिहारी वाजपेयी स्मृति न्हावा शेवा अटल सेतु रखा गया.
विपक्ष के साथ गठबंधन की भी चुनौतियां
हालांकि चुनावी साल में सरकार के सामने एक चुनौती अपने ही गठबंधन को बरकरार रखने की रहने वाली है. 2024 में चुनाव एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में लड़ा जाएगा या देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में इसे लेकर दोनों में विवाद बरकरार है. शिवसेना की ओर से जहां पहले एक सर्वे के आधार पर अखबार में इश्तेहार देकर जहां यह बताने की कोशिश की गई की राज्य में एकनाथ शिंदे को लोग देवेंद्र फडणवीस से ज्यादा पसंद करते हैं तो वहीं सरकार के एक साल पूरे होने के मौके पर एक नए इश्तेहार में 'फिर एक बार शिंदे सरकार' का नारा देकर शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे को गठबंधन में बड़ा नेता बताने की कोशिश करते दिख रहे हैं. ऐसे में विपक्ष के अलावा अपने गठबंधन में चल रही परेशानियों को खत्म करना इस सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी.
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