'एक राष्ट्र-एक चुनाव' : क्या कानून में बदलाव के लिए राज्यों की मंजूरी की जरूरत होगी?

सरकार की गजट अधिसूचना के अनुसार पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति यह भी जांच करेगी कि संविधान में संशोधनों के लिए राज्यों के भी समर्थन की जरूरत होगी या नहीं?

विज्ञापन
Read Time: 15 mins
केंद्र लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की संभावना तलाश रहा है.
नई दिल्ली:

'एक राष्ट्र-एक चुनाव' (One Nation-One Election) के लिए केंद्र द्वारा गठित समिति देश में एक साथ संसदीय और राज्य विधानसभा चुनाव कराने की संभावना की जांच करेगी. समिति संविधान, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम और किसी भी अन्य प्रासंगिक नियमों में विशिष्ट संशोधनों की जांच करेगी और सिफारिश करेगी.

आज जारी की गई सरकार की गजट अधिसूचना के अनुसार पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति यह भी जांच करेगी कि संविधान में संशोधनों के लिए राज्यों के भी समर्थन की जरूरत होगी या नहीं? इसमें कहा गया कि समिति तुरंत काम शुरू करेगी और जल्द से जल्द रिपोर्ट देगी.

समिति के अन्य सदस्य गृह मंत्री अमित शाह, लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा के पूर्व विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, 15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष सी कश्यप, वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी हैं.

कांग्रेस 'इंडिया' के सहयोगियों से परामर्श करेगी

सूत्रों ने आज एनडीटीवी को बताया कि कांग्रेस पार्टी एक राष्ट्र-एक चुनाव की व्यवहारिकता के अध्ययन में शामिल होने का फैसला लेने से पहले विपक्षी दलों के गुट 'इंडिया' के अपने सहयोगियों से परामर्श करेगी.

गजट अधिसूचना के अनुसार, समिति न केवल लोकसभा और विधानसभा चुनाव, बल्कि नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव भी एक साथ कराने की व्यवहार्यता पर गौर करेगी.

यदि त्रिशंकु सदन, अविश्वास प्रस्ताव, दलबदल या ऐसी कोई अन्य घटना होती है तो समिति एक साथ चुनाव से जुड़े संभावित समाधानों का विश्लेषण करेगी और सिफारिश करेगी.

सरकार ने अधिसूचना में कहा है कि राष्ट्रीय, राज्य, नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों के लिए वैध मतदाताओं के लिए एक एकल मतदाता सूची और पहचान पत्र बनाने का रास्ता खोजा जाएगा.

Advertisement

बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई मौकों पर 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की जरूरत पर जोर दिया है. यह बीजेपी के 2014 के लोकसभा चुनावों के घोषणापत्र का भी हिस्सा था.

सन 1967 तक भारत में चार चुनाव एक साथ हुए

सन 1967 तक भारत में एक साथ चुनाव होते रहे हैं. देश में इस तरह से चार चुनाव हुए. सन 1968-69 में कुछ राज्य विधानसभाओं को समय से पहले भंग कर दिए जाने के बाद यह परंपरा खत्म हो गई. लोकसभा भी पहली बार 1970 में निर्धारित समय से एक साल पहले भंग कर दी गई थी और 1971 में मध्यावधि चुनाव हुए थे.

Advertisement
भाजपा 'एक राष्ट्र, एक पार्टी' से ग्रस्त : डी राजा

समिति के गठन पर पहली राजनीतिक प्रतिक्रियाओं में से एक में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी राजा ने एनडीटीवी को बताया कि भाजपा 'एक राष्ट्र, एक पार्टी' से ग्रस्त है और विपक्ष के 'इंडिया' बैनर के तहत एकजुट होने के बाद से वह घबराई हुई है.

Featured Video Of The Day
UNICEF की ताज़ा रिपोर्ट, भारत में डरा रही है बच्चों की घटती आबादी, 2050 तक रह जाएंगे इतने