वन नेशन, वन इलेक्शन बिल (One Nation, One Election Bill) लोकसभा में मंगलवार को पेश किया गया. विपक्षी सदस्यों ने इसका जमकर विरोध किया. बिल को अब संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेज दिया गया है. बिल का विरोध करते हुए कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि ये संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है. आजमगढ़ से एसपी सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि दो दिन पहले संविधान को बचाने और गौरवशाली परंपरा की कसमें खाई जा रही थीं. दो ही दिन के अंदर संविधान के संघीय ढांचे को खत्म करने के लिए संविधान संशोधन बिल लाया गया है.
यह संविधान के बुनियादी ढांचे पर हमला: मनीष तिवारी
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव' संबंधी सरकार के विधेयक पर आपत्ति जताते हुए लोकसभा में कहा कि यह संविधान के बुनियादी ढांचे पर हमला करता है और इस सदन के विधायी अधिकार क्षेत्र से परे है, इसलिए इसे वापस लिया जाना चाहिए.
बिल संविधान विरोधी: सपा
वन नेशन, वन इलेक्शन बिल का विरोध करते हुए लोकसभा में समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि हम इस बिल का विरोध करते हैं. सिर्फ दो दिन पहले संविधान की कसमें खाने वाले, आज इसे बदलने में कोई कसर नहीं रखी. दो ही दिन के अंदर संघीय ढांचे के खिलाफ ये बिल लाए हैं. जो लोग मौसम देखकर चुनाव की तारीखें बदलते हैं, आठ सीट पर एक साथ चुनाव नहीं करा पाते, वो बात करते हैं एक देश एक चुनाव की. सोचिए एक प्रांत के अंदर सरकार गिरती है, तो पूरे देश का चुनाव कराएंगे? ये बिल संविधान विरोधी, गरीब विरोधी, पिछड़ा विरोधी इस नीयत को वापस लिया जाना चाहिए.
बिल लाने की अनुमति कैसे मिली- डीएमके सांसद
लोकसभा में डीएमके सांसद टीआर बालू ने भी वन नेशन, वन इलेक्शन बिल को संविधान विरोधी बताया है. उन्होंने कहा कि सरकार के पास दो तिहाई बहुमत नहीं है, तो फिर उसे किस तरह से ये बिल लाने की अनुमति दी गई? इस पर स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि मैंने अभी इजाजत नहीं दी है. इन्होंने प्रस्ताव रखा है. टीआर बालू ने इसके बाद कहा कि सरकार को ये बिल वापस ले लेना चाहिए.
वन नेशन, वन इलेक्शन बिल, एक अल्ट्रा वायरस: TMC
तृणमूल कांग्रेस सांसद कल्याण बनर्जी ने वन नेशन वन इलेक्शन बिल का लोकसभा में जमकर विरोध किया. उन्होंने इस बिल को संविधान पर बड़ा हमला बताते हुए कहा कि ये अल्ट्रा वायरस है. संसद के पास कानून बनाने का अधिकार है, तो राज्य विधानसभा के पास भी कानून बनाने की पावर है. ऑटोनॉमी देश की विधानसभाओं को दूर ले जाएगी, इसलिए हम ये कह रहे हैं कि बिल संविधान विरोधी है.
बिल में चुनाव आयोग को असीमित अधिकार दिए गए हैं: गौरव गोगोई
दोनों कानून नागरिकों के वोट देने के अधिकार पर आक्रमण है, हम इसका विरोध करत हैं. चुनाव आयोग को इसमें ताकत दी गई है कि वह राष्ट्रपति को बताएगा कि कब चुनाव कराए जाने हैं. संविधान में चुनाव आयोग की भूमिका सिर्फ चुनाव कराने तक की है. इसमें चुनाव आयोग को असीमित अधिकार दिए गए है.गोगोई ने कहा कि बिल में बहुत ताकत दे दी गई है. चुनाव आयोग का खर्च कम करने का तर्क दिया जा रहा है. 3700 करोड़ के लिए गैरसंवैधानिक कानून लाया गया है. हम बिल का विरोध करते हैं. इसे जेपीसी में भेजा जाए.
सदन में होगी चर्चा: लोकसभा अध्यक्ष
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि कानून मंत्री भी बता चुके हैं कि बिल के लिए जेपीसी का गठन होगा. जेपीसी के समय बिल पर व्यापक चर्चा होगी. सभी दल के सदस्य उसमें शामिल होंगे. आप जितने घंटे चाहेंगे,उतनी चर्चा बिल पर आप कर सकेंगे. पूरी डीटेल से चर्चा होगी बिल पर. जितने दिन बिल पर चर्चा की मांग की जाएगी, उतने दिन चर्चा होगी.
'वन नेशन वन इलेक्शन' को इसी महीने कैबिनेट ने दी थी मंजूरी
गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस महीने की शुरुआत में 'वन नेशन वन इलेक्शन' विधेयक को मंजूरी दी थी. भाजपा और उसके सहयोगी विधेयक के समर्थन में हैं. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सितंबर में एक साथ चुनाव कराने संबंधी उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था. इस समिति की अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कर रहे थे.
यह बिल पूरे देश में एक चुनाव का मार्ग प्रशस्त करता है. सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार अब विधेयक (बिल) पर आम सहमति बनाना चाहती है. सरकार इसे विस्तृत चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति या जेपीसी के पास भेज सकती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस साल सितंबर में चरणबद्ध तरीके से लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के लिए एक साथ चुनाव कराने के लिए 'वन नेशन, वन इलेक्शन' के कार्यान्वयन को मंजूरी दी थी.
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