चाइनीज मांझे ने ली 6 साल के मासूम की जान, प्रतिबंध के बावजूद बिक रही 'मौत की डोर'

Chinese Manjha Ban: उत्साहित पंतगबाज चाइनीज मांझे का उपयोग कर लोगों के जीवन को खतरे में डाल रहे हैं. प्रतिबंध के बाद भी चाइनीज मांझे का इस्तेमाल हो रहा है, जो प्रशासन की बड़ी लापरवाही को दर्शाता है.

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Chinese Manjha News: पतंग की डोर से गला कटने से एक बच्चे की मौत
धार:

मध्‍य प्रदेश में मकर संक्रांति पर हर साल नायलॉन का चाइनीज मांझा मूक पशु पक्षियों के साथ-साथ आम इंसान की जान ले रहा है. लेकिन चाइनीज मांझा बेचने वालों तथा खरीदने वालों पर प्रशासन द्वारा कोई कारगर कदम नहीं उठाए जाने के कारण मध्य प्रदेश के धार शहर में रविवार शाम 6 वर्षीय कनिष्क की दर्दनाक मौत हो गई. वहीं, 65 वर्षीय बुजुर्ग की चाइनीज मांझे की चपेट में आने से उसकी जान खतरे में पड़ गई. एक साढ़े चार साल के मासूम के चेहरे पर भी चाइनीज मांझे से कट लग गया, जिसके बाद 10 टांके लगाने पड़े.

 प्रतिबंध के बाद भी चाइनीज मांझे का इस्तेमाल 

उत्साहित पंतगबाज चाइनीज मांझे का उपयोग कर लोगों के जीवन को खतरे में डाल रहे हैं. प्रतिबंध के बाद भी चाइनीज मांझे का इस्तेमाल हो रहा है, जो प्रशासन की बड़ी लापरवाही को दर्शाता है. बात दें कि 6 वर्षीय मासूम बालक कनिष्क अपने पिता विनोद चौहान के साथ बैठकर मोटरसाइकिल पर जा रहा था, तभी हटवाड़ा में चाइना मंझा की चपेट में आने से उसका गला कट गया, जिसे तत्काल उपचार हेतु चिकित्सालय ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई. इस दुखद घटना के बारे में शहर में लोगों को पता लगा, तो लोगों में चाइना मंझा बेचने वाले और खरीदने वालों के साथ-साथ प्रशासन के खिलाफ रोष प्रकट किया. 

पिता के साथ घर लौट रहा था कनिष्‍क 

पुलिस के अनुसार यह घटना शहर के हटवारा चौक पर उस वक्त हुई, जब विनोद चौहान अपने छह-वर्षीय बेटे को बाइक पर पीछे बैठाकर कहीं जा रहे थे. अधिकारियों ने कहा, "चौहान अपने घायल बेटे को एक निजी अस्पताल ले गए. वहां से उसे (बच्चे को) जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया."

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दोषियों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं... 

चाइनीज मांजे से प्रतिवर्ष पशु-पक्षियों के साथ-साथ आम इंसान भी चपेट में आ रहे हैं, लेकिन इसकी बिक्री पर कोई रोक नहीं लग पा रही है. प्रशासन द्वारा चाइनीज मांझे को लेकर सख्त आदेश तो जारी किए जाते हैं, लेकिन दोषियों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जाती है, जिसका खामियाजा प्रतिवर्ष आम इंसान अपनी जान देकर चुकते हैं.

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