स्थापना के शताब्दी वर्ष पूर्ण होने पर आरएसएस चलाएगा दुनिया का सबसे बड़ा सम्पर्क अभियान

क्षेत्रीय प्रचार प्रमुख ने बताया कि 15 दिसम्बर 2025 से 15 जनवरी 2026 तक हिंदू सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे तथा फरवरी 2026 में विभिन्न मतों एवं पंथों के लोगों के प्रमुखों के साथ सामाजिक सद्भाव कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय प्रचार प्रमुख सुभाष जी ने कहा है कि संघ की स्थापना के शताब्दी वर्ष पूर्ण होने पर आगामी विजय दशमी से लगातार एक साल तक संघ परिवार सम्पूर्ण राष्ट्र में जन-जागरूकता के लिए सात प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करेगा. इन कार्यक्रमों में पथ संचलन, घर-घर सम्पर्क अभियान, हिंदू सम्मेलनों का आयोजन, सामाजिक सद्भाव बैठक, प्रमुख जन गोष्ठी, युवा कार्यक्रम और शाखा विस्तार जैसे आयोजन शामिल हैं. वह बृहस्पतिवार को जिला मुख्यालय स्थित संघ कार्यालय पर पत्रकारों से बात कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि आरएसएस पिछले 100 वर्षों से अपने स्वयंसेवकों के माध्यम से व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण के लिए निरंतर काम कर रहा है. उन्होंने कहा ,‘‘ अब तक हम छह समूहों-- वैचारिकी, शिक्षा, सेवा, सुरक्षा, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में काम करते हुए राष्ट्रोत्थान और समाजोत्थान की दिशा में आगे बढ़ते रहे हैं.''

सुभाष जी का कहना था कि इसी क्रम में संघ के शताब्दी वर्ष के पूर्ण होने पर दो अक्टूबर (विजय दशमी) से अखिल भारतीय स्तर पर सात प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. इन कार्यक्रमों के तहत दो अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक समाज में अनुशासन का संदेश देने के लिए स्वयंसेवकों का गणवेश में पथ संचलन का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा.

क्षेत्रीय प्रचार प्रमुख के मुताबिक दो नवम्बर से दो दिसम्बर तक घर-घर सम्पर्क अभियान चलाया जाएगा. यह विश्व का अब तक का सबसे बड़ा सम्पर्क अभियान होगा.

क्षेत्रीय प्रचार प्रमुख ने बताया कि 15 दिसम्बर 2025 से 15 जनवरी 2026 तक हिंदू सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे तथा फरवरी 2026 में विभिन्न मतों एवं पंथों के लोगों के प्रमुखों के साथ सामाजिक सद्भाव कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा.

सुभाष जी का कहना है कि कि पंच परिवर्तन में पांच आयाम-- सामाजिक समरसता, कुटुम्ब प्रबोधन, पर्यावरण, स्व का बोध और नागरिक कर्तव्य शामिल हैं. पहला आयाम ‘सामाजिक समरसता' है, जिसमें जाति-भेद मिटाकर भाईचारा बढ़ाने पर जोर है. अनुसूचित जाति-जनजाति के बंधुओं के साथ समानता, उनके घर जाकर सहभागिता और त्योहारों में परस्पर शामिल होना इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं.

क्षेत्रीय प्रचार प्रमुख के मुताबिक दूसरा आयाम ‘कुटुंब प्रबोधन' है, जिसके अंतर्गत परिवार की एकता, संस्कारों का संवर्धन और परंपरागत मूल्यों का पालन अनिवार्य माना गया है. सप्ताह में एक बार सामूहिक पूजा या महापुरुषों की चर्चा, बच्चों को संस्कारित व्यवहार सिखाना और नित्य मंगल संवाद परिवार को मजबूत बनाते हैं.

Advertisement
Featured Video Of The Day
NDTV WORLD SUMMIT में हिस्सा लेने आ रहीं Sri Lanka PM Amarasuriya ने क्या कहा? | India-Sri Lanka