Odisha Train Accident: कोरोमंडल एक्सप्रेस में नहीं था एंटी कॉलिजन सिस्टम, 288 हुआ मौतों का आंकड़ा

रेलवे के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने बताया, "एंटी कॉलिजन डिवाइस पुरानी तकनीक है. इस डिवाइस में सिर्फ नजदीक आने पर ब्रेक लग जाता था. सिग्नल लाल होने पर और इसको क्रॉस करने पर ब्रेक नहीं लगता था. कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन में ये डिवाइस नहीं थी. "

विज्ञापन
Read Time: 25 mins

हादसा बालासोर के बहानगा बाजार स्टेशन के पास शुक्रवार शाम करीब 7 बजे हुआ.

नई दिल्ली:

ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे में मरने वाला का आंकड़ा 288 हो गया है. अब तक 900 से ज्यादा यात्री घायल बताए जा रहे हैं. हादसा बालासोर के बहानगा बाजार स्टेशन के पास शुक्रवार शाम करीब 7 बजे हुआ. बहानगा बाजार स्टेशन की आउटर लाइन पर मालगाड़ी से कोरोमंडल एक्सप्रेस की टक्कर हुई और कुछ देर बाद एक और एक्सप्रेस ट्रेन इससे जा भिड़ी. हादसे की वजह के बारे में अब तक ठीक-ठीक कुछ भी जानकारी नहीं है. इस बीच रेलवे के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने न्यूज एजेंसी ANI के हवाले से जानकारी दी है कि ट्रेनों के बीच टक्कर रोकने वाला कवच सिस्टम 'एंटी कॉलिजन डिवाइस' इस रूट पर मौजूद नहीं था.

अमिताभ शर्मा ने बताया, "एंटी कॉलिजन डिवाइस पुरानी तकनीक है. इस डिवाइस में सिर्फ नजदीक आने पर ब्रेक लग जाता था. सिग्नल लाल होने पर और इसको क्रॉस करने पर ब्रेक नहीं लगता था. एंटी कॉलिजन डिवाइस के जरिए सामने से आ रही ट्रेन हो या पीछे से आ रही ट्रेन हो या एक ही ट्रैक पर ट्रेनें हो, तो ब्रेक लग जाता है. कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन में ये डिवाइस नहीं थी. 

सभी ट्रेनों में लगेगा एंटी कॉलिजन डिवाइस
उन्होंने बताया कि साउथ सेंट्रल की ट्रेनों में अभी ये डिवाइस लगा है. दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा रूट पर इसे लगाने का काम चल रहा है. 2024 तक ये पूरा हो जाएगा. आने वाले वक्त में कवच सभी ट्रेनों पर लगाने की योजना है.

Advertisement

क्या है एंटी कॉलिजन सिस्टम?
एंटी कॉलिजन सिस्टम का इस्तेमाल मानवीय भूल से होने वाले रेल हादसों को रोकने के किया जा रहा है. यह एक तरह का वॉर्निंग सिस्टम है. यह उस स्थिति में काम करता है जब एक ही ट्रैक पर आमने-सामने ट्रेन या कोई अवरोध आ जाता है. इस अलर्ट सिस्टम के कारण रेल हादसों को रोका जा सकता है. पिछले कुछ समय में रेलवे ने तेज गति से चलने वाली ट्रेनों में इस अलर्ट सिस्टम को लगाया है.

Advertisement

भारत में विकसित की गई है तकनीक
केंद्रीय रेल मंत्री के मुताबिक, यह एंटी कॉलिजन तकनीक भारत में विकसित की गई है, जिसे SIL4 सर्टिफिकेट मिला हुआ है. इसका मतलब है, अगले 10 हजार साल में मात्र एक बार ही इसमें खामियां आ सकती हैं. इसे इसलिए लाया गया है, ताकि ट्रेन एक्सीडेंट्स के आंकड़े को जीरो किया जा सके.

Advertisement
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि बहानगा बाजार स्टेशन की आउटर लाइन पर एक मालगाड़ी खड़ी थी. हावड़ा से चेन्नई जा रही कोरोमंडल एक्सप्रेस यहां डिरेल होकर मालगाड़ी से टकरा गई. एक्सप्रेस का इंजन मालगाड़ी पर चढ़ गया और बोगियां तीसरे ट्रैक पर जा गिरीं. कुछ देर बाद तीसरे ट्रैक पर आ रही हावड़ा-बेंगलुरु दुरंतो ने कोरोमंडल एक्सप्रेस की बोगियों को टक्कर मार दी. 

घायलों से मिले पीएम मोदी
इस बीच पीएम मोदी शनिवार शाम करीब 4 बजे घटनास्थल पहुंचे. उन्होंने अस्पताल में घायलों का हाल जाना. पीएम मोदी ने कहा कि दुर्घटना का जो भी दोषी है, उसे बक्शा नहीं जाएगा. पीएम ने अधिकारियों को हर तरह की जांच के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि हम इस घटना से सबक लेंगे और व्यवस्था को सुधारेंगे. पीएम ने घायलों की मदद करने वालों को शुक्रिया कहा.

Advertisement

ये भी पढ़ें:-

अगर 'कवच' होता तो टल सकता था ओडिशा का दर्दनाक ट्रेन हादसा, जानिए कैसे काम करता है ये सिस्टम?

क्या सिग्नल में गलती की वजह से डीरेल हुई कोरोमंडल एक्सप्रेस? सामने आया हादसे के पहले का रेल ट्रैफिक चार्ट

हादसे पर बात करते हुए भावुक हुए पीएम मोदी, कहा - जो भी दोषी होगा उसे छोड़ा नहीं जाएगा