Odisha Train Accident: रेलवे को सुधार से पहले सुरक्षा पर करना चाहिए फोकस

इस साल सरकार ने रेलवे के लिए रिकॉर्ड 2.4 ट्रिलियन रुपयये (30 बिलियन डॉलर) का पूंजी परिव्यय किया. ये पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 50 प्रतिशत ज्यादा है. इस बजट का इस्तेमाल रेलवे ट्रैक को अपग्रेड करने, भीड़भाड़ को कम करने और नई ट्रेनों को जोड़ने के लिए किया जाएगा.

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बालासोर जिले के बहानगा बाजार स्टेशन के पास ये ट्रेन हादसा हुआ. हादसे के बाद इस रूट पर रेल ट्रैफिक बंद करना पड़ा है.

नई दिल्ली:

भारत का विशाल रेलवे नेटवर्क चमचमाती नई ट्रेनों और आधुनिक स्टेशनों के साथ 30 अरब डॉलर की लागत वाले बदलाव और मेकओवर के दौर से गुजर रहा है. लेकिन शुक्रवार को ओडिशा के बालासोर में हुई ट्रेन दुर्घटना से पता चलता है कि अभी रेलवे को सुरक्षा पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है. ओडिशा में दो दशकों में देश के सबसे भीषण रेल हादसे में कम से कम 261 लोगों की मौत हो गई. 900 से ज्यादा घायल बताए जा रहे हैं. हादसे की भयावहता को देखते हुए मरने वालों की संख्या आगे और बढ़ सकती है.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा ट्रेन नेटवर्क है. यह हर दिन 13 मिलियन यानी 1.3 करोड़ लोगों को उनकी मंजिल तक पहुंचाती है. 2022 में रेलवे ने लगभग 1.5 बिलियन टन यानी 150 करोड़ टन माल ढुलाई की.

भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश की लंबे समय से जीवन रेखा मानी जाती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार में 170 साल पुरानी रेलवे ने तेजी से विस्तार और आधुनिकीकरण का दौर भी देखा है, ताकि तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी को बढ़ाया जा सके.

इस साल सरकार ने रेलवे के लिए रिकॉर्ड 2.4 ट्रिलियन रुपयये (30 बिलियन डॉलर) का पूंजी परिव्यय किया. ये पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 50 प्रतिशत ज्यादा है. इस बजट का इस्तेमाल रेलवे ट्रैक को अपग्रेड करने, भीड़भाड़ को कम करने और नई ट्रेनों को जोड़ने के लिए किया जाएगा.

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भारत में निर्मित एक नई सेमी-हाई-स्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस को इस आधुनिकीकरण के प्रमाण के रूप में प्रदर्शित किया गया है. पीएम मोदी ने कई ट्रेनों की पहली यात्राओं को झंडी दिखाकर रवाना किया है. हालांकि, विशेषज्ञों के मुताबिक शुक्रवार को हुई रेल दुर्घटना इस बदलाव को लेकर एक बड़ा झटका बनकर आई है.

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किरोडीमल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख प्रकाश कुमार सेन ने कहा, "पिछले कुछ वर्षों में सुरक्षा रिकॉर्ड में सुधार हुआ है, लेकिन अभी और काम करना बाकी है. प्रकाश कुमार सेन 2020 में प्रकाशित हुई स्टडी "भारत में रेल पटरी से उतरना और सुधारात्मक उपाय" के मुख्य लेखक भी हैं. उन्होंने कहा, "ऐसी दुर्घटनाओं के लिए आम तौर पर मानवीय भूल या ट्रैक का खराब रखरखाव जिम्मेदार होता है."

उन्होंने कहा कि रेलवे बढ़ती मांग से निपटने के लिए अधिक से अधिक ट्रेनों की शुरुआत कर रहा है, लेकिन उन्हें मेंटेन रखने के लिए कर्मचारियों की संख्या पर्याप्त नहीं है. सेन ने कहा कि श्रमिकों को पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित नहीं किया जाता है. उन पर काम का बोझ बहुत अधिक होता है. उन्हें पर्याप्त आराम नहीं मिलता है.

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उन्होंने कहा कि जिस रूट पर शुक्रवार को हादसा हुआ, वह देश के सबसे पुराने और बिजी रूट में एक है. यहां से भारत का अधिकांश कोयला और तेल भी ढोया जाता है. सेन ने कहा, "ये ट्रैक बहुत पुराने हैं...इन पर लोड बहुत अधिक है, अगर रखरखाव अच्छा नहीं है, तो ऐसे हादसे होंगे."

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'अच्छा सुरक्षा रिकॉर्ड'
हालांकि, भारतीय रेलवे का कहना है कि सुरक्षा हमेशा एक प्रमुख फोकस रहा है. पिछले कुछ वर्षों में दुर्घटना दर कम हुई हैं. रेल मंत्रालय के एक प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने कहा, 'सुरक्षा को लेकर यह सवाल इसलिए उठ रहा है, क्योंकि अभी एक घटना हुई है. लेकिन अगर आप आंकड़े देखेंगे तो पाएंगे कि सालों से कोई बड़ी दुर्घटना नहीं हुई है.'

रेलवे के प्रवक्ता ने कहा कि प्रति मिलियन ट्रेन किलोमीटर में दुर्घटनाओं की संख्या वित्त वर्ष 2021-22 में 0.03 तक गिर गई थी. 2013-14 में यह दर 0.10 थी. झा ने कहा, "वे आपको हमेशा बताएंगे कि दुर्घटनाएं बहुत प्रबंधनीय स्तर पर होती हैं, क्योंकि वे उनके बारे में प्रतिशत के संदर्भ में बात करते हैं." 

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